19वें इशारा अंतर्राष्ट्रीय कठपुतली फेस्टिवल दिल्ली और चंडीगढ़ में
अपनी दिलचस्प कहानियों के साथ दिल्ली और चंडीगढ़ में होने वाला कठपुतली महोत्सव आपको मंत्रमुग्ध करने के लिए तैयार है|
नई दिल्ली: अपनी 19वीं वर्षगांठ के मौके पर इशारा अंतर्राष्ट्रीय कठपुतली महोत्सव इस साल 14 से 20 फरवरी, 2023 तक नई दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर में और 13 से 16 फरवरी तक चंडीगढ़ के टैगोर थिएटर में होगा| इस महोत्सव का प्रॉडक्शन टीमवर्क आर्ट्स करते आई है,जिसे इशारा पपेट थिएटर ट्रस्ट का मजबूत साथ हासिल है |इस अनोखे महोत्सव में न सिर्फ़ कठपुतलियों और अलग अलग देश से आए कलाकारों का जमावड़ा होगा, बल्कि कहानी और तकनीक का अनोखा संगम देखने को मिलेगा| इसमें मनमोहक परफॉर्मेंस के साथ, जाने माने कलाकारों का ऐसा प्रदर्शन देखने को मिलेगा जिसमें मौज मस्ती पूरे शबाब पर होगी|
2001 में अपनी शुरूआत के साथ से ही अंतर्राष्ट्रीय कठपुतली महोत्सव,कठपुतली कला के जरिए दुनिया भर के कहानीकारों और कलाकारों को एक मंच पर लाने का काम कर रहा है, जो कठपुतली कला के माध्यम से कहानी गढ़ने का जश्न मनाते हैं|
एक बार फिर 2023 में भारत में शानदार कठपुतली कला का आगाज़ होने जा रहा है जिसमें हॉलैंड, हंगरी, इटली और कोरिया से आए कलाकार अपने कला का जौहर दिखाएंगे| इस उत्सव में सभी उम्र के लोगों के लिए कठपुतली के जरिए कहानी कहने की शानदार फेहरिस्त तैयार की गई है|
19वें इशारा अंतर्राष्ट्रीय कठपुतली थियेटर फेस्टिवल का ऐलान करते हुए संस्थापक दादी पुदुमजी ने कहा कि,हम धमाकेदार अंदाज़ में वापस आ गए हैं, भारत का सबसे लंबा चलने वाला वार्षिक कठपुतली उत्सव महामारी के कारण 3 साल के अंतराल के बाद लौटा है|पुदुमजी ने कहा कि
हमलोग एक ऐसी दुनिया में दाखिल होने जा रहे हैं जहां यकीन ना करने की गुंजाइश पूरी तरह से खत्म हो जाती है| उन्होंने आगे कहा कि महोत्सव में ऐसे कई पपेट्री शो होंगे, जो ना सिर्फ आपको लुभाएंगे बल्कि आपको काल्पनिक और मुग्ध करने वाली दुनिया में ले जाएंगे|
पुदुमजी ने एक उदाहरण पेश करते हुए बताया कि इस बार भारत "आयशा की यात्रा" को एक नए रूप में पेश करेगा,जिसका सार स्वीडिश बच्चों की किताब से लिया गया है| भारतीय परिवेश के अनुकूल होने के कारण ये कहानी लोगों में कौतूहल पैदा करती है और उन्हें प्रेरणा देती है|
टीमवर्क आर्टस के एमडी के संजय रॉय ने बताया कि 19वां इशारा अंतर्राष्ट्रीय कठपुतली महोत्सव भारत और विदेशों की प्रस्तुतियों को एक दूसरे के करीब लाता है| पिछले कई सालों के दौरान इसमें प्रशिक्षण, कहानी कहने और नई खोज के अवसर पैदा हुए हैं जिसने भारत में एक जीवंत समकालीन कठपुतली भाषा को जन्म दिया है |
महोत्सव में इटली के कठपुतली निर्देशक अगोस्टीनो कतियाबोय'इल फिल आर्मोनिको' पेश करेंगे,जिसे टिएट्रो टेग्स,अगोस्टीनो कतियाबोय और रीता ज़ाज़ा जैसे कलाकार जमीन पर उतारेंगे | इटली की ओर से दिल को छू लेने वाली कहानियों और हास्य लघुचित्रों के प्रदर्शन में कल्पना का ऐसा उत्सव होगा, जो खुद कठपुतली कलाकार कतियाबोय के जीवन से प्रेरित है|संगीत की धुन पर थिरकती कठपुतलियां इस शानदार प्रदर्शन में शब्दों की जगह लेती हैं जहां कठपुतली और इंसान एक दूसरे में पूरी तरह घुल मिल जाते हैं |
कोरिया के थिएटर संगसहवा के बैनर तले निर्देशक बोनसुक किम की 'कोरिया पपेट फैंटेसी' की प्रस्तुति होगी,जिसमें कोरिया के समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर के रंग बिरंगे,अदभुत और अजूबे पहलुओं से लोगों को रूबरू कराया जाएगा|कठपुतलियों के इस शो में नृत्य और संगीत का समावेश होगा जिसमें कोरिया के भूत, वर्तमान और आने वाले कल की झलकियां दिखेंगी|
हंगरी की ओर से दिल को थामने वाली प्रस्तुति कंफोर म्यूजिकल पपेट थिएटर की ओर से की जाएगी जिसमें “द ड्रैगन एंड द डेविल” पेश किया जाएगा, ये प्रस्तुति हंगरी की प्रसिद्ध पारंपरिक लोककथाओं पर आधारित होगी जिसमें आप रहस्य-रोमांच और एक से बढ़कर एक मंत्रमुग्ध करने वाली प्रस्तुतियों का लुत्फ उठा पाएंगे|
महोत्सव में नीदरलैंड से 'जान क्लासेन,कैटरीजिन एंड द क्राउन ऑफ़ किंग विलियम अलेक्जेंडर ' पेश किया जाएगा, जिसमें फ्रैंस हक्केमर्स बतौर कलाकार और निर्देशक हिस्सा लेंगे| इस प्रस्तुति में नीदरलैंड की पवन चक्कियों और वान गॉग की जमीन की खुशबू होगी,ये डच संस्कृति का ऐसा अनूठा उत्सव होगा जिसमें कलाकार आपको अपने मज़ेदार अंद़ाज से हर पल गुदगुदाएंगे|
इस महोत्सव के ज़रिए अब तक 100 से ज्यादा अंतर्राष्ट्रीय कठपुतली कंपनियां अपने फन का जौहर दिखा चुकी हैं जिसमें अमेरिका, बेल्जियम,इटली,जर्मनी,स्विट्ज़रलैंड,स्पेन,तुर्की ,ब्राज़ील,श्रीलंका,इंडोनेशिया, ताइवान,जापान, अफ़ग़ानिस्तान,स्वीडन,नॉर्वे, इज़रायल,आयरलैंड, ईरान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं|
इस महोत्सव में हिस्सा लेने के लिए हर साल अलग-अलग जगहों से बड़ी संख्या में लोग कठपुतलियों के पारम्परिक से लेकर आधुनिक रूपों को देखने आते हैं। रंगमंच पर रॉड से लेकर नृत्य-संगीत के एक से बढ़कर एक नमूने पेश किए जाते हैं।
हकीकत में कहा जाए तो इशारा अंतरराष्ट्रीय कठपुतली महोत्सव ने विभिन्न शैक्षिक कार्यशालाओं के जरिए युवाओं से लेकर बुजुर्गों को मनोरंजन का साधन उपलब्ध कराने के साथ उन्हें पुरस्कृत कर शिक्षित और सशक्त बनाने का काम किया है।