प्रेम की बूस्टर डोज मिल जाए तो बात बन जाए
कोरोना की चौथी लहर के बारे में कहा जा रहा है कि जून में आएगी। कोविड के मामले बढ़ने लगे हैं, लेकिन तसल्ली की बात यह है कि मरीजों को अस्पतालों में भर्ती करने की नौबत नहीं आ रही है। ज्यादातर मरीज अपने घर पर रहते हुए ही इलाज करा रहे हैं और ठीक हो रहे हैं।
कोरोना की चौथी लहर के बारे में कहा जा रहा है कि जून में आएगी। कोविड के मामले बढ़ने लगे हैं, लेकिन तसल्ली की बात यह है कि मरीजों को अस्पतालों में भर्ती करने की नौबत नहीं आ रही है। ज्यादातर मरीज अपने घर पर रहते हुए ही इलाज करा रहे हैं और ठीक हो रहे हैं। अब कोरोना से मौत के मामले तो न के बराबर हैं। परंतु सभी को सावधान रहने की जरूरत है, इसीलिए मास्क को अभी जारी रखना होगा। चंडीगढ़ में तीन हफ्ते बाद ही मास्क पहनने का नियम लौट आया। अब यदि सार्वजनिक स्थानों और भीड़भाड़ वाली जगहों पर बिना मास्क मिले तो 500 रुपए का चालान कटेगा, नहीं भरा तो एफआईआर दर्ज हो जाएगी। केरल की सरकार ने भी मास्क को अनिवार्य कर दिया है। दिल्ली एनसीआर से जुड़े यूपी व हरियाणा के 11 जिलों में पहले ही मास्क पहनना अनिवार्य घोषित कर दिया गया था। हरियाणा में 18 से 59 साल के लोगों को कोविड की बूस्टर डोज मुफ्त में लगाई जाएगी। प्रदेश में बूस्टर डोज पर आने वाला करीब 300 करोड़ रुपए का खर्च कोरोना राहत कोष से किया जाएगा।
हरियाणा के किसी भी सरकारी अस्पताल या डिस्पेंसरी में बूस्टर डोज मुफ्त लगवाई जा सकेगी। केंद्र सरकार ने देश भर में मुफ्त बूस्टर डोज की सुविधा सिर्फ 60 साल से ऊपर के लोगों को दी है। देश भर में बूस्टर डोज अपने खर्च पर लगवाने का प्रावधान है। प्राइवेट अस्पतालों को बूस्टर डोज 250 रुपए में दी गई है, जिस पर 150 सुविधा शुल्क लगता है, यानी लोगों को एक बूस्टर डोज करीब 400 रुपए की पड़ती है। बूस्टर डोज उन व्यक्तियों के लिए उपयोगी है जिन्हें वैक्सीन की दूसरी डोज लिए हुए नौ महीने हो चुके हैँ। वैक्सीन का असर नौ माह के बाद कम होने लगता है, ऐसे में शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बनाए रखने के लिए बूस्टर डोज कारगर होती है। दुनिया के अधिकांश देशों में बूस्टर डोज सरकार की ओर से लगाई जा रही है, जबकि हमारे देश में अधिकांश आबादी को इसके लिए पैसे देने पड़ रहे हैं। वैक्सीन लगवाने के बाद शरीर में एंटीबॉडी बनने लगती हैं जो कोरोना को बेअसर कर देती हैं और व्यक्ति को संक्रमण नहीं होता है। बूस्टर डोज मिलने के बाद शरीर में फिर से एंटीबॉडी बन जाती हैं।
कहते हैं कि प्रेम एक सुपर पॉवर है। जब आप किसी व्यक्ति, चीज या अपने शौक के प्रेम में पड़ जाते हैं तब अच्छा महसूस करने लगते हैं। ऐसा मस्तिष्क में फील गुड हार्मोन्स के रिसाव के कारण होता है। ये वही हार्मोन हैं जो टहलने, व्यायाम करने और कुछ मीठा खाने से रिसते हैं। इनसे मूड अच्छा हो जाता है। जब हमें प्रेम मिल जाता है तो यह किसी जैविक आतिशबाजी की तरह होता है। इससे दिल की धड़कन बढ़ जाती है। अमेरिकी न्यूरो साइंटिस्ट स्टेफनी आर्टिग कहती हैं कि जब हम अपने साथी के प्रति प्रेम रखते हैं तब मन में गहरी शांति महसूस होती है। प्रेम के प्रभाव से दर्द कम हो जाता है, व्यक्ति की रचनात्मकता बढ़ जाती है और याद रखने की क्षमता में भी वृद्धि होती है। जीवन में यदि चाहने वाले दोस्तों और केयर करने वाले रिश्तेदारों की कमी हो तो उससे कुछ प्रकार की शारीरिक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, जैसे नींद न आना, ब्लड प्रेशर बढ़ जाना या डायबिटीज हो जाना।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार व कॉलमिस्ट हैं)