आप और कांग्रेस -फिर गठबंधन की राह? 

आप और कांग्रेस -फिर गठबंधन की राह? 

-*कमलेश भारतीय
अभी लोकसभा चुनाव की बात है । आप और कांग्रेस में गठबंधन था । कांग्रेस नौ पर तो आप एक लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े और जहां कांग्रेस पांच क्षेत्रों पर विजयी रही, वहीं आप इकलौते कुरुक्षेत्र से हार गयी । इस हार का ठीकरा कांग्रेस पर फोड़कर चुनाव परिणाम के तुरंत बाद कांग्रेस के साथ गठबंधन खत्म करने की घोषणा कर आप अपने रास्ते और कांग्रेस अपने रास्ते चल दीं।  
अब बासी कढ़ी में फिर उबाल आया है और आप व कांग्रेस के गठबंधन की चर्चा शुरू हो गयी है । जहां कांग्रेस हाईकमान ने के सी वेणुगोपाल को जिम्मेदारी सौंपी है, वहीं आप की ओर से राघव चड्ढा यह जिम्मेदारी निभाएंगे। जबकि नामांकन में बहुत कम समय बच रहा है । अभी तक कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमेटी मुश्किल से नब्बे में से आधी सीटों पर चिंतन मंथन कर पाई है, ऐसे में आनन फानन में आप पार्टी को कौन सी सीटें गठबंधन में देगी, यह फैसला करना टेढ़ी खीर जैसा होगा लेकिन वोटों का बिखराव रोकने के लिए यह गठबंधन शायद जरूरी हो गया लगता है । आप  सभी नब्बे सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है यानी हर क्षेत्र में कहीं कम, कहीं ज्यादा नुकसान से बचने के लिए कांग्रेस शायद वोट कटने से बचाने के लिए आप से गठबंधन करने को तैयार हो गयी है जबकि इसकी हवा देखते हुए गठबंधन की जरूरत नहीं, ऐसा कांग्रेस नेता कहते हैं। इसके बावजूद गठबंधन मजबूरी बनता जा रहा है‌।हरियाणा में इनेलो बसपा गठबंधन है तो जजपा का चंद्रशेखर के साथ गठबंधन है जबकि भाजपा का हलोपा के साथ गठबंधन है यानी इस बार हर दल गठबंधन की राजनीति करने पर विवश है ।राजनीतिक गठबंधन जैसे बेमेल शादियों जैसे होते हैं ! भाजपा जजपा का गठबंधन साढ़े चार साल रहा लेकिन न्यूनतम साझा कार्यक्रम बना या नहीं या इस पर कोई काम हुआ  कोई नहीं जान पाया। आखिर नये चुनाव आने से पहले भाजपा व जजपा में तलाक हो गया, अब दोनों एक दूसरे के खिलाफ प्रचार कर रहे हैं और एक दूसरे पर आरोप जड़ रहे हैं । भाजपा का महाराष्ट्र और पंजाब में लम्बे समय तक गठबंधन रहा लेकिन भाजपा ने सत्ता में भागीदारी से पीछे हटने पर महाराष्ट्र में गठबंधन टूट गया । पंजाब में किसानों के हक में सिमरनजीत कौर बादल ने संसद में आवाज उठाई और भाजपा से गठबंधन तोड़ दिया। 
अभी केंद्र में भाजपा, तेलुगु देशम और नीतीश कुमार के जदयू दलों में गठबंधन है । बजट में इन दोनों राज्यों बिहार व आंध्र को जो पैकेज दिये गये, दूसरे राज्य हैरत में पड़ गए । यह कब तक निभेगा? कोई नहीं जानता। नीरज कहते हैं :

आप मत पूछिये क्या सफर में हम पे गुजरी
था लुटेरों का जहां गांव वहीं रात हुई!! 

-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी।