एडवांस जेनेटिक्स रिसर्च का उपयोग मानव कल्याण के लिए किया जाना चाहिए: कुलपति प्रो. राजबीर सिंह
रोहतक, गिरीश सैनी। एडवांस जेनेटिक्स रिसर्च का उपयोग मानव कल्याण के लिए किया जाना चाहिए। इस एडवांस रिसर्च में टेक्नोलोजी की महत्वपूर्ण भूमिका है। जैव प्रौद्योगिकी तथा टेक्नोलॉजी के नवीनतम प्रयोग ने चिकित्सा विज्ञान में भी क्रांति की है। जरूरत है कि इस जन उपयोगी शोध संबंधित ज्ञान को जन-मानस तक ले जाया जाए। यह उद्गार महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने जेनेटिक्स विभाग द्वारा- ह्यूमन जेनेटिक डिसऑर्डर: रिसेंट एडवांसमेंट्स विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ करते हुए व्यक्त किए।
एमडीयू के डा. राधा कृष्णन फाउंडेशन फंड द्वारा प्रायोजित इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने कहा कि कोरोना काल में एमडीयू ने जीनोम सिक्वेंसिंग लैब की स्थापना कर चिकित्सा एवं शोध में महत्वपूर्ण पहल की। इस कार्य को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी वैश्विक रिपोर्ट में सराहा। उन्होंने विज्ञान के विद्यार्थियों से चिकित्सा विज्ञान की प्रगति बारे आम जन को जागरूक करने का आह्वान किया। उन्होंने इस राष्ट्रीय संगोष्ठी के आयोजन के लिए जेनेटिक्स विभाग को बधाई एवं शुभकामनाएं दी।
एम्स, नई दिल्ली की प्रो. मधुलिका काबरा ने- जेनोमिक टेस्टिंग इन क्लिनिकल प्रैक्टिस: यूटिलिटी एंड पिटफॉल्स विषय पर व्याख्यान दिया। एम्स, नई दिल्ली की प्रो. रीमा दादा ने- कॉम्प्लेक्स लाइफस्टाइल डिजिज: रोल ऑफ योगा इन हेल्थ प्रमोशन विषय पर अपने विचार रखे। एम्स, नई दिल्ली के डा. मयंक सिंह ने- एक्सप्लोरिंग डेयूबीक्यूटिन एन्जाइम्स एज ए थेराप्यूटिक टारगेट इन कैंसर विषय पर व्याख्यान दिया।
जेनेटिक्स विभाग की अध्यक्षा प्रो. मीनाक्षी वशिष्ठ ने प्रारंभ में स्वागत भाषण दिया और संगोष्ठी की रूपरेखा पर प्रकाश डाला। डीन, फैकल्टी ऑफ लाइफ साइंसेज प्रो. राजेश धनखड़ ने जैव विज्ञान संकाय बारे जानकारी देते हुए संचालित शोध कार्यों बारे जानकारी दी। आयोजन सचिव डा. एस.के. तिवारी ने आभार प्रदर्शन किया। इस दौरान फैकल्टी ऑफ लाइफ साइंसेज के विभागों के अध्यक्ष, प्राध्यापक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।