टिकटों के बंटवारे के बाद सावधानी हटी, दुर्घटना घटी? 

टिकटों के बंटवारे के बाद सावधानी हटी, दुर्घटना घटी? 

-*कमलेश भारतीय
हरियाणा विधानसभा के चुनाव के लिए भाजपा ने 90 में से अभी 67 सीटों पर प्रत्याशियों की सूची जारी की थी कि पूरे राज्य में हड़कंप मच गया । घोषित किये गये 67 में से 29 प्रत्याशियों के विरोध में खुलकर भाजपा के नेता ही आ गये । अभी तक बिजली मंत्री रहे चौ रणजीत चौटाला ने तुरंत इस्तीफा देकर निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर डाली। यही क्यों, हिसार से सावित्री जिंदल ने भी अपने समर्थकों के दबाब में आकर चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी, बरवाला से महंत दर्शन गिरी भाजपा प्रत्याशी व डिप्टी स्पीकर रणबीर गंगवा के सामने निर्दलीय ही डटने जा रहे हैं ! हिसार में  स्वास्थ्य मंत्री डाॅ कमल गुप्ता का टिकट देने का विरोध मेयर रहे गौतम सरदाना और जिला उपाध्यक्ष तरूण जैन भी किया है । तरूण जैन तो निर्दलीय चुनाव भी लड़ेंगे । यह तो ऐसे हुआ जैसे वाहनों पर लिखा रहता है -सावधानी हटी, दुर्घटना घटी ! इस तरह भाजपा जैसी अनुशासित पार्टी दुर्घटना यानी अनुशासनहीनता की शिकार हो गयी है । मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी नाराज कर्णदेव काम्बोज को मनाने गये, उन्होंने हाथ मिलाने की बजाय हाथ जोड़ दिये । मतलब यह कि रूठे नेताओं को मनाने यानी डैमेज कंट्रोल का काम भाजपा को शुरू करना पड़ा ! किस किसको मनाओगे ? ईडी क्या कर रही है ? लगता है ईडी के हरियाणा में चरण पड़ने ही वाले हैं ! ईडी कितनी अच्छी है । 
दूसरी ओर कांग्रेस में अभी मंथन चल रहा है और मंथन में नया पेंच यह कि आप पार्टी के साथ गठबंधन करना सही है या नहीं ? ज्यादातर नेता गठबंधन के पक्ष में नहीं, यह कह रहे हैं कि आप पार्टी को हरियाणा में पैर टिकाने में कांग्रेस मदद क्यों करे? गठबंधन के नाम पर लोकसभा में कुरूक्षेत्र की सीट भेंट चढ़ गयी, नहीं तो कांग्रेस यहां कुछ और परिणाम दे सकती थी । अब फिर आप से गठबंधन में पांच सात सीट खोनी नहीं चाहिएं । कांग्रेस हाईकमान को हरियाणा प्रदेश नेताओं की आवाज़ सुन लेनी चाहिए। यह गलत फैसला साबित हो सकता है । दूसरी कांग्रेस की गुटबाजी पर लगाम लगाने की सख्त जरूरत है, इन दिनों ! कांग्रेस टिकट के लिए अढ़ाई हजार से ऊपर दीवाने नेता हैं । साफ है कि टिकटों की घोषणा होते ही कांग्रेस में भाजपा से ज्यादा बबाल मचने वाला है और गुस्सा व नाराजगी आने को आतुर है । सुना है कुछ नेताओं ने तो पहले ही निर्दलीय फाॅर्म तैयार करवा रखे हैं। ऐसा लगता हैं कि भाजपा और कांग्रेस के बागियों के चलते निर्दलीय चुनाव लड़ने वालों की संख्या ज्यादा हो सकती है और बहुकोणीय मुकाबले देखने को माल सकते हैं। रब्ब ख़ैर करे । 
फासले ऐसे भी होंगे 
यह कभी सोचा न था
सामने बैठा था वो
और वो मेरा न था!! 

-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी।