उम्र तो बढ़नी ही है तो क्यों न खुशी-खुशी जिया जाए
बुजुर्गों को अनुभव का खजाना कहा जाता है। सेवानिवृत्ति के बाद की यह आयु कुछ लोगों के लिए आजादी और अपने शौक पूरे करने का समय होता है, तो काफी सारे लोगों के लिए यह स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का काल होता है।
बुजुर्गों को अनुभव का खजाना कहा जाता है। सेवानिवृत्ति के बाद की यह आयु कुछ लोगों के लिए आजादी और अपने शौक पूरे करने का समय होता है, तो काफी सारे लोगों के लिए यह स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का काल होता है। यदि पहले से तैयारी रखी जाए और जीवनशैली को ठीक रखा जाए तो शारीरिक कष्टों को कम से कम रखा जा सकता है। हमारे देश में बुजुर्गों के लिए सामाजिक सुरक्षा की वैसी गारंटी तो नहीं मिलती जैसी कई विकसित देशों में दी जाती है। फिर भी नाम के लिए कुछेक सरकारी योजनाएं हैं जिनका लाभ लिया जा सकता है। भारत में 60 साल से ऊपर आयु वाले बुजुर्गों की संख्या 14 करोड़ है, जो देश की कुल आबादी का लगभग 10 प्रतिशत है। अनुमान है कि साल 2050 तक देश में बुजुर्गों की संख्या बढ़ कर 30 करोड़ से अधिक हो जाएगी। जो बुजुर्ग काम करने के इच्छुक हैँ उनके लिए सरकार की ओर से एक रोजगार पोर्टल शुरू किया जाएगा।
देश में वरिष्ठ नागरिकों की मदद के लिए सरकार की ओर से कुछ कल्याण योजनाएं चलाई जा रही हैं। इसमें सबसे पहले आती है प्रधानमंत्री वरिष्ठ नागरिक योजना, जिसमें न्यूनतम 3000 रुपए से अधिकतम 10,000 रुपए प्रतिमाह की पेंशन दी जाती है। यह 60 वर्ष से ऊपर वाले नागरिकों के लिए एक पेंशन योजना है जिसमें जमा राशि पर दस वर्षों तक के लिए 8 प्रतिशत ब्याज दिया जाता है। वरिष्ठ नागरिकों के लिए सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में बेसिक चिकित्सा सुविधाएं या तो मुफ्त हैं या बहुत रियायती दामों पर दी जाती हैं। पर्ची बनवाने, मेडिकल टैस्ट व अन्य सरकारी कार्यों आदि में प्राथमिकता के लिए सीनियर सिटिजंस के लिए अलग खिड़की होती है। भारतीय रेलवे सभी ट्रेनों में टिकट पर, 60 वर्ष के पुरुषों को 40 प्रतिशत, और 58 वर्ष की महिलाओं को 50 प्रतिशत की रियायत देता है। इसी तरह, लगभग सभी एयरलाइनें घरेलू उड़ानों में 50 प्रतिशत तक सीनियर सिटिजन डिस्काउंट देती हैं। सभी राज्यों की रोडवेज बसों में वरिष्ठ नागरिकों के लिए आगे की दो सीटें आरक्षित रहती हैं। अदालतों में वरिष्ठ नागरिकों से जुड़े कानूनी विवादों की सुनवाई प्राथमिकता के आधार पर की जाती है और मुकदमे का निष्कर्ष जल्दी करने की कोशिश रहती है।
हिमाचल प्रदेश में 60 वर्ष से ऊपर आयु वाले नागरिकों को इसी माह से वृद्धावस्था पेंशन देने की घोषणा की गई है। पहले यह पेंशन 70 साल की आयु वालों को ही मिलती थी, जिसे अब दस साल घटा दिया गया है। पेंशन की राशि 60 से 69 साल वालों के लिए एक हजार रुपए और 70 साल से ऊपर वालों के लिए 1700 रुपए प्रतिमाह होगी। इसके लिए वरिष्ठ नागरिकों को जिला कल्याण अधिकारी के कार्यालय में आवेदन करना होगा। समय के साथ आयु बढ़ना तो निश्चित है और शारीरिक कमजोरी भी आनी है। परंतु उम्र के इस अंतिम पड़ाव को कितनी खुशी और गरिमा के साथ जीना है यह व्यक्ति के अपने हाथ में है। कुछ लोग बुढ़ापे को अभिशाप मानकर खुद दुखी रहते हैं और दूसरों को भी दुखी रखते हैं। दूसरी ओर, अनेक लोग ऐसे हैं जो जीवन के इस दौर को हंसी खुशी और उत्साह के साथ बिताते हैं। यदि पहले से जानकारी रखी जाए और थोड़ी तैयारी कर ली जाए तो रिटायरमेंट की लाइफ को मजे से जिया जा सकता है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार व कॉलमिस्ट हैं)