अग्रोहा : पूरा नहीं हुआ कोई वादा
-*कमलेश भारतीय
जिला हिसार में अग्रोहा अग्रसेन महाराज की राजधानी और सामाजिक सद्भावना का संदेश देने वाला एक प्राचीन कस्बा मात्र बन कर रह गया है । फिर भी यहां अग्रोहा मंदिर और मेडिकल कॉलेज व अस्पताल इसे शहर का दर्जा दिलाने में जुटे हैं । अग्रोहा अग्रवाल समाज का पवित्र स्थल भी है और प्रतिवर्ष यहां शरद पूर्णिमा को बड़ा मेला लगता है । वैसे अग्रोहा के मंदिर के निर्माण के लिए समाजसेवी नंदकिशोर गोयंका ने अपने जीवन के अनेक वर्ष इसे अर्पित किये । आजकल बजरंग दास गर्ग वही भूमिका निभा रहे हैं । ज़ी न्यूज के संचलक व मीडिया मुगल व नंदकिशोर गोयंका के बेटे सुभाष गोयंका भी हाथ बंटाते आ रहे हैं । जिंदल परिवार भी पूरा महत्त्व देता है । गोयंका परिवार का हर सदस्य जब कभी दिल्ली से अग्रोहा आता हे तो अग्रोहा के मंदिर में मस्तक नवाने जरूर जाता है । यहीं से सहयोग के लिए एक रुपया, एक ईंट का बहुत खूबसूरत संदेश समाज में गया ।
यहां बहुत शानदार धर्मशाला है । महाराजा अग्रसेन के नाम पर दो संग्रहालय हैं । पार्क है, बच्चों के मनोरंजन के लिए अनेक स्पाॅट बनाये गये हैं । हनुमान की बहुत बड़ी प्रतिमा है, जो सड़क पर चलते वाहनों में भी दिख जाती है । वैष्णो देवी गुफा है ।पत्रिका भी प्रकाशित की जा रही है, जिससे अग्रवाल समाज को हर माह संदेश दिया जा सके । हरी हरी घास के बड़े लाॅन में लोग सर्दियों में पिकनिक मनाते देखे जा सकते हैं ।
मुझे भी अनेक बार शरद पूर्णिमा कवर करने अग्रोहा जाना पड़ा और कभी कोई मेहमान पंजाब से आये तो उन्हें भी अग्रोहा ले जाता हूं । भव्य आयोजन होते हैं यहां शरद पूर्णिमा पर ! इन आयोजनों में रेलमंत्री रहते लालू प्रसाद यादव शायद नीतीश कुमार भी आये तो पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल भी आये और अग्रोहा को रेलमार्ग से जोड़ने के वादे कर खूब तालियां बटोरीं लेकिन समय गवाह है कि ये वादे वादे ही रहे ! वो वादा ही क्या जो पूरा हो जाये ! किसी ने लौटकर कभी रेलमार्ग का वादा याद नहीं रखा । अग्रवाल समाज वादों पे मारा जाता रहा ! महाराजा अग्रसेन का एक सौ पच्चीस एकड़ में फैला महल टीले में बदल चुका है । मनीष जोशी भी दास्तान ए अग्रोहा नाटक बनाकर इसका गुणगान कर चुके हैं ।
जब सताइस साल पहले यहां चंडीगढ़ से आया था एक बड़े अखबार का रिपोर्टर बन कर तब बड़े शौक से मैं वह टीला देखने गया था लेकिन बहुत दुख की बात है कि मेरे देखते देखते इतने बरसों में भी टीले की खुदाई पूरी नहीं हुई ! इससे वैश्य समाज में रोष व्याप्त है । हालांकि केंद्र सरकार के वार्षिक बजट में हिसार, अग्रोहा और सिरसा को रेललाइन से जोड़ने का प्रस्ताव है लेकिन इस पर काम शुरू नहीं किया गया ! यह दुखद दास्तान है अग्रोहा की !
सुना रहा है अग्रोहा
सुनी सुनी सी दास्तां !!
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी।