राजनीति, युद्ध और प्रेम में सब जायज

राजनीति, युद्ध और प्रेम में सब जायज

-*कमलेश भारतीय
आखिर पहले आप, पहले आप करते करते भाजपा ने हिम्मत दिखाई हरियाणा विधानसभा चुनाव की 90 में से 67 सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा की ।   इस घोषणा ने, इस सूची ने यह साबित कर दिया कि राजनीति, युद्ध और प्रेम में सब जायज है, सब सही है ।   जैसे विचारधारा, दल के प्रति वफादारी आदि गये तेल लेने, अब तो उसे परिवारवाद से भी कोई परहेज नहीं ।   राहुल गांधी को शहजादा कहकर कोसने वालों ने चौ भजनलाल  के पोते भव्य बिश्नोई  और उनके भतीजे चौ दूड़ा राम को टिकट दी, चौ बंसीलाल की पोती श्रुति चौधरी को टिकट दी, राव इंद्रजीत की बेटी आरती राव को और विनोद शर्मा की पत्नी व राज्यसभा सांसद कार्तिकेय की मां शक्ति रानी शर्मा को टिकट दी । क्या ये सब शहजादे, शहजादिया़ं नहीं ? क्या यह परिवारवाद नहीं ? सिर्फ राहुल ही शहजादे हैं? राहुल ही निशाने पर क्यों ? 
विचारधारा का कोई मतलब नहीं रह गया, उस दल में जो विचारधारा की बहुत बात करती है ।   यहां तो दो दो दिन पहले शामिल हुए सुनील सांगवान, शक्ति रानी शर्मा, अनूप धानक, रामकुमार गौतम सब टिकट पा गये, जिससे भाजपा में भी त्यागपत्रों के विस्फोट होने लगे हैं ।   जो अब तक इस आस में दरियां बिछा रहे थे वे आस टूट जाने पर भाजपा से त्यागपत्र‌ देने लगे हैं ।   भाजपा में भरोसा नहीं रहा और जायें तो जायें कहां ? अभी दलबदल को बढ़ावा मिलेगा, चाहे कांग्रेस हो या भाजपा ! दोनों दलों को दलबदल से कोई परहेज नहीं । पहले आओ, पहले टिकट पाओ ।    कार्यकर्त्ता की कोई परवाह नहीं ।   फिर भाजपा अलग दल कहां रह गया, जैसे 'आप' भी पूरी तरह राजनीतिक दल जैसे हत्थकंडे जल्द ही अपनाने लगा था, पार्टी विद ए डिफरेंस नहीं रही कोई भी ! सब एक जैसे एक ही थैली के चट्टे बट्टे -आ जाओ टिकट ले लो, भाई, टिकट ले लो ।   कांग्रेस की सूची आयेगी तो भी ऐसा ही विस्फोट होगा, ऐसी आशंका है । यह भी सच भी साबित होगा, बहुत नेताओं के दिल टूटेंगे, फिर कोई कहां मिलेगा, कोई कहां जायेगा, कह नहीं सकते ।   
सबसे बड़ा आश्चर्य दुनिया की अमीर महिलाओं की सूची में शामिल व पूर्व मंत्री  सावित्री जिंदल को टिकट ‌नहीं मिली जबकि लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल होने के बाद वे लगातार हिसार में सक्रिय थीं ।   वे बाकायदा अपने कार्यालय में लोगों से मिलजुल रही थीं और चुनाव की तैयारिया़ भी कर ली थीं ।   स्वास्थ्य मंत्री डाॅ कमल गुप्ता बाजी मार ले गये और वही हिसार से भाजपा की पसंद बने रहे ।    कहते हैं ऊपर से टिकट लाये हैं,वहां जहां सावित्री जिंदल की पहुंच नहीं थी ।   इसी प्रकार चौ रणजीत चौटाला को भी भाजपा ने ठेंगा दिखा दिया, जिन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए भाजपा ज्वाइन की थी, नहीं तो वे निर्दलीय विधायक थे ! जिस पर लोकसभा चुनाव में भरोसा जताया, उसी को विधानसभा चुनाव के लायक नहीं समझा ।  बहुत थोड़े दिनों में ही राय बदल गयी? इसी प्रकार सिरसा की पूर्व सांसद सुनीता दुग्गल रतिया से भाजपा टिकट पा गयी हैं जबकि मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी न करनाल की बजाय महाभारत कहीं और लड़ेंगे  ।   
 रामकुमार गौतम को टिकट तो मिला लेकिन सफीदों से न कि नारनौंद से ।  डिप्टी स्पीकर रणबीर गंगवा को भी भाजपा ने टिकट तो दिया लेकिन नलवा से नहीं, बरवाला से ।  उन्हें नलवा से हैट्रिक बनाने का अवसरों नहीं मिला ।  बरवाला में क्या होगा, ये तो राम जाने ।   
ऐसा लगता है दिल्ली में भाजपा का मंथन वैसा ही हुआ जैसे समुद्र मंथन, जिसमें विष भी निकला और अमृत भी।  अब आगे देखिये क्या परिणाम निकलता है।   
पीते पीते कभी कभी 
यूं जाम बदल जाते हैं 
टिकटों के दावेदार 
बदल जाते हैं! 

-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी।