हरफनमौला अधिकारी, कवि और कलाकार : राजबीर देसवाल 

हरफनमौला अधिकारी, कवि और कलाकार : राजबीर देसवाल 
कमलेश भारतीय। 

- कमलेश भारतीय
आज अचानक से याद आये पुलिस अधिकारी राजबीर देसवाल ! जो पुलिस अधिकारी बनने से पहले पूर्व प्रधानमंत्री चौ चरण सिंह के समाचारपत्र ' असली भारत' में उपसंपादक रहे और बाद में बने पुलिस  अधिकारी, इसी के चलते वे मीडिया के दोस्त थे यानी मीडिया फ्रेंडली थे और आज भी हैं । जब सन् 1997 में हिसार‌ के रिपोर्टर के तौर पर आया तब वे आज़ाद नगर रोड पर केंद्रीय कारागार में प्रमुख थे और हरियाणा थर्ड बटालियन के भी इंचार्ज ! सो पहली पहली मुलाकात केन्द्रीय कारागार में हुई और तब तक मैं अपना परिवार और घरेलू सामान लाया नहीं था । कैसे लाऊंगा, यह भी नहीं पता था ! यही चर्चा जब राजबीर देसवाल के साथ चली तो चुटकियों में इसे हल कर दिया  ! यानी हिसार में सैटल करने का सारा श्रेय जाता है राजबीर देसवाल को ! फिर हमारे पड़ोस में उनकी पत्नी कौमुदी की बचपन की क्लास फैलो‌ रहती थीं, वे उनसे मिलने आतीं और राजबीर मेरे पास आ जाते, बिना किसी औपचारिकता के ! खूब कविता कहानी पर बातें होतीं। 
इसी तरह एक बार वे लगभग ग्यारह बजे कहीं से लौट रहे थे तो मुझे फोन आया कि खाना लगा लो, मैं आ रहा हूँ । ‌उस समय बिजली भी गायब थी और नीलम के हाथ पांव फूल गये कि खाना कैसे बनाऊंगी ! लेकिन खाना तो बना और केंडल लाइट डिनर‌ हुआ, जिस बेतक्कलुफी को भूल नहीं पाये हम ! कितना अपनापन ! कहीं से भी तो पुलिस अधिकारी नहीं लगते थे ! कितने ही कवि सम्मेलन राजबीर देसवाल के साथ जाने का अवसर बना और हर बार बिना कहे गाड़ी हमारे घर आ लगती ! होली की भी याद है ! डाॅ शमीम शर्मा आ गयीं होली वाले दिन और हमें रंगों से सराबोर करने के बाद राजबीर देसवाल के सरकारी आवास पर खींच ले गयीं और जो होली वहां मनाई वह फिर कभी नहीं ! रंग में बुरी तरह रंग दिये देसवाल और वे खूब मज़े लेते रहे बल्कि बेटे का गिटारवादन सुनने को मिला ! खूब पकवान खिलाये ! वह होली फिर नहीं आई हिसार रहते इतने वर्ष हो गये ! 
राजबीर देसवाल खुद अंग्रेज़ी और हिंदी ही नहीं बल्कि हरियाणवी में लिखते हैं और हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत किये गये ! 
हिसार से वे फतेहाबाद ट्रांसफर हुए और वहां 'फतेह ध्वज' नाम से सामाजिक संस्था बनाई और करनाल, अम्बाला रहे तो साइकिल पर नशामुक्ति का संदेश दिया । 
फिर हमारी मुलाकात हुई पंचकूला में, जहां मुझे हरियाणा ग्रंथ अकादमी का कार्यभार मिला और वे वहां पुलिस विभाग में उच्चाधिकारी थे । ‌एक बार किसी के काम के लिए जाना हुआ तो पूरी पुलिस वर्दी में और पूरे रौब से किसी अपराधी से बात करते देखा । ‌जैसे ही उससे निपटे तो हंसते हुए बोले कि आज आपने हमें वर्दी में और पुलसिया रौब मारते देख ही लिया ! क्या करें,  हम पुलिस वाले जो ठहरे ! 
इस तरह चुहल करने से नहीं चूके और चूकते भी नहीं कभी ! जिन दिनों करनाल क्षेत्र में तैनात थे तब इनके बड़े बेटे की शादी कार्ड मिला पर उन दिनों किसान नेता घासीराम नैंन जींद के निकट डेरा जमाये हुए थे ! इनके बेटे की शादी में जाते पुलिस अधिकारी जगदीश जी को बंधक बना लिया गया था ! मैं इससे इनके बेटे की शादी में नहीं गया। ‌जब पूछा तो मैंने यह बात बता दी और कहा कि दूसरे बेटे की शादी में जरूर आऊंगा और इसके जवाब में हंस कर बोले- आओगे तो तब जब कोई बुलायेगा ! खैर, दूसरे बेटे की शादी पंचकूला में रखी बुलाया भी और मैंने उलाहना उतार दिया !  
राजबीर देसवाल बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी हैं और दिलीप कुमार के फैन ! पुराने गीत भी गाते हैं और आजकल पंचकूला में रिटायर्ड लाइफ बिता रहे हैं और  उसी मस्ती के साथ !