खेलों में पेशेवर दक्षता के साथ-साथ पारस्परिक कौशल का होना भी आवश्यकः कुलसचिव डा. विजय कुमार
जीजेयू में पारस्परिक कौशल तथा पेशेवर दक्षता पर कार्यशाला आयोजित।
![खेलों में पेशेवर दक्षता के साथ-साथ पारस्परिक कौशल का होना भी आवश्यकः कुलसचिव डा. विजय कुमार](https://www.cityairnews.com/uploads/images/image-750x-2025-02-11-10:33:57pm-67ab82fd07691.jpg)
हिसार, गिरीश सैनी। खेलों में पेशेवर दक्षता के साथ-साथ पारस्परिक कौशल का होना भी आवश्यक है। खिलाड़ियों के साथ-साथ, प्रशिक्षक तथा सहायक स्टाफ का कौशल भी खेल में परिणामों को प्रभावित करता है। ये बात गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विवि के कुलसचिव डा. विजय कुमार ने खेल निदेशालय द्वारा पारस्परिक कौशल तथा पेशेवर दक्षता विषय पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला को बतौर मुख्यातिथि संबोधित करते हुए कही।
खेल प्रशिक्षकों, कार्यालय कर्मचारियों और सहायक स्टाफ के पारस्परिक कौशल व पेशेवर दक्षता को सुधारने के उद्देश्य से आयोजित इस कार्यशाला में बतौर मुख्य वक्ता लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज, दिल्ली के मनोचिकित्सा विभाग से प्रो. दिनेश कटारिया ने शिरकत की। कुलपति के तकनीकी सलाहकार प्रो. संदीप राणा व मनोविज्ञान विभाग के प्रो. राकेश बहमनी विशेष आमंत्रित वक्ता रहे, जबकि अध्यक्षता खेल निदेशालय के डीन प्रो. मनीष कुमार ने की।
कुलसचिव डा. विजय कुमार ने कहा कि खिलाड़ी का खेल के मैदान में प्रदर्शन खेल के मैदान के बाहर खिलाड़ी के आस-पास होने वाली गतिविधियों से भी निश्चित तौर पर प्रभावित होता है, ऐसे में खिलाड़ी तथा टीम को सकारात्मक वातावरण उपलब्ध करवाना अत्यंत आवश्यक है। खेल करियर में सफलता हासिल करने के लिए पेशेवर कौशल के साथ-साथ खिलाड़ी में अनुशासन, निष्ठा तथा नैतिक बल का होना भी आवश्यक है।
डा. दिनेश कटारिया ने कहा कि खेल में बेहतर परिणामों के लिए आवश्यक है कि खिलाड़ी तथा प्रशिक्षक अपने गुस्से और तनाव पर नियंत्रित रखें और अचानक प्रतिक्रिया देने से बचें। प्रो. संदीप राणा ने कहा कि सकारात्मक सोच से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। प्रो. राकेश बहमनी ने कहा कि अधिकतर समस्याएं गलतफहमी, अहंकार और पूर्वाग्रह के कारण उत्पन्न होती हैं, जिन्हें सही संवाद तकनीकों के माध्यम से कम किया जा सकता है। प्रो. मनीष कुमार ने कहा कि खेल जगत में कार्यरत पेशेवरों का संवाद कौशल बेहतर होगा तो अधिकांश समस्याओं का समाधान मौके पर ही किया जा सकता है।
खेल निदेशक डॉ. शशि भूषण लूथरा ने सभी कर्मचारियों को इस कार्यक्रम से सीखने के लिए प्रेरित किया। सहायक निदेशक मृणालिनी नेहरा ने कहा कि संवाद कौशल में सुधार से न केवल हमारे कार्यस्थल का वातावरण सकारात्मक बनेगा, बल्कि यह खिलाड़ियों और प्रशिक्षकों के बीच आपसी समझ भी मजबूत करेगा। इस कार्यशाला में खेल प्रशिक्षकों, सहायक निदेशक-कम-कोच, हेल्पर, ग्राउंड्समैन और प्रशासनिक कर्मचारियों सहित कुल 25 प्रतिभागियों ने भाग लिया। कार्यक्रम संचालन नेहा यादव ने किया।