समाचार विश्लेषण /अम्बेडकर जयंती, संविधान और लोकतंत्र
-*कमलेश भारतीय
अम्बेडकर जयंती हो और संविधान की बात न हो , ऐसा हो नहीं सकता ! जैसे ही डाॅ अम्बेडकर की जयंती आती है , वैसे ही संविधान की बात भी चलती है । खासकर इन पिछले कुछ वर्षों में ! अच्छे दिन के बाद के बाद तो बहुत ही ज्यादा !
इस बार कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे हमलावर होते बोले कि विपक्षी दलों , सामाजिक संगठनों और नागरिकों को देशद्रोही घोषित करने और जबरन चुप कराने का चलन बहुत खतरनाक है । इससे लोकतंत्र नष्ट हो जायेगा । वे संविधान निर्मात्ता डाॅ अम्बेडकर की पुण्यतिथि पर उनके योगदान का उल्लेख कर रहे थे । खड़गे ने कहा कि डाॅ अम्बेडकर ने स्वतंत्रता , बंधुत्व और सामाजिक न्याय के लोकतांत्रिक सिद्धान्त दिये । अब गंभीर आत्मनिरीक्षण का समय आ गया है । क्या हम अपने लोकतंत्र के पतन की अनुमति देंगे ?
इसी तरह सोनीपत में भी काग्रेस की ओर से संविधान बचाओ रैली की गयी जिसे पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने संबोधित करते कहा कि कांग्रेस संविधान को कमज़ोर नहीं होने देगी । स्मरण रहे कि इनके पिता चौ रणबीर सिंह भी संविधान निर्मात्री समिति के सदस्य थे । श्री हुड्डा ने कहा कि सभी संकल्प लें कि संविधान ने हमें जो अधिकार दिये हैं , हम उन्हें कमज़ोर नहीं होने देंगे ! मौजूदा हालात में यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि कुछ ताकतें इस संविधान को कमज़ोर करने में लगी हैं ! भाजपा सरकार ने विपक्ष की आवाज दबाने के लिये राहुल गांधी की सदस्यता ही रद्द कर दी । कितनी तेजी से घटनाक्रम घूमा कि देखते ही रह गये ! संविधान केवल कानूनी दस्तावेज नहीं , बल्कि सामाजिक और आर्थिक दस्तावेज भी है । अगर देश को मजबूत रखना है तो संविधान को भी मजबूत रखना होगा । दीपेंद्र हुड्डा ने भी कहा कि सरकार अब लोकतंत्र पर हमलावर हो गयी है । वैसे उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने तंज कसा कि संसदीय बिल फाड़ने वाले आज संविधान बचाने की बात कर रहे हैं !
इस सब बयानबाजी के बावजूद क्या हम महसूस नहीं कर रहे जो घटनाक्रम हो रहा है ? मनीष सिसोदिया के बाद अब बारी अरविंद केजरीवाल की आ गयी है । मनीष सिसोदिया पर कभी ईडी तो कभी सीआईडी अपने अपने फंदे डाल रही हैं । सीबीआई, ईडी और निर्वाचन आयोग सभी संस्थाओं का क्या स्वरूप बन गया है और ये विपक्ष को घेरने वाले हथियार ही बन कर रह गये हैं ! शिवसेना के झंडे और ड॔डे का हश्र क्या हुआ ? सबके सामने है । महाराष्ट्र सयरकार का पता कैसे हुआ ? सबने देखा । कितनी सरकारें गिरीं और कैसे ? सबके सामने है । संविधान तो कहीं एक किनारे बेबस बैठा रह गया ! कुछ न कर पाया ! क्या इतना बेबस संविधान बनाया था डाॅ अम्बेडकर ने ? नहीं ! लेकिन बना दिया गया ! नये से नये तरीके से !
कौन बतायेगा संविधान को ? कौन करेगा संविधान की रक्षा ?
हम लाये हैं तूफान से कश्ती निकल के
इस देश को रखना मेरे बच्चे संभाल के !
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।