नही रहे आवाज़ की दुनिया के दोस्त
-कमलेश भारतीय
आवाज़ की दुनिया के दोस्त और बिनाका गीतमाला के एंकर/ प्रस्तोता अमीन सयानी नहीं रहे । जो हमारी पीढ़ी के लोग हैं, वे अमीन सयानी की आवाज़ के दीवाने हैं और रहेंगे । 'बिनाका गीतमाला' फिल्मी गीतों का एक ऐसा शो रहा, जिसकी सबको इंतज़ार रहती थी । अपने समय का सबसे लम्बे समय तक चलने वाला शो- बिनाका गीतमाला ! जो बताता था कि कौन कौन सी पायदान पर रहा हर गीत एक सप्ताह के दौरान !
अमीन सयानी अपने बड़े भाई हमीद सयानी के माध्यम से आल इंडिया रेडियो, मुम्बई में बाल कलाकार के तौर पर काम करने लगे थे और फिर वे सीढ़ियां चढ़ते चढ़ते आवाज़ की दुनिया के दोस्त बन गये और उनकी यह पुकार बहुत लुभाती थी- भाइयो और बहनो, हम आपके लिए लेकर आये हैं, इस सप्ताह की बिनाका गीतमाला ! कहते हैं कि यह प्रोग्राम इतना हिट था कि इसे बीस करोड़ लोग सुनते थे । ऐसी दीवानगी जिसने पैदा की, वे अमीन सयानी नहीं रहे ! ऐसी दीवानगी देखी नहीं फिर कभी किसी एंकर के लाए ! इक्यानवें वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया और वे लम्बे समय तक रेडियो और आवाज़ की दुनिया में अपनी आवाज़ का जादू बिखेरते रहे । आखिरीबार अमीन सयानी ने फिल्म 'बद्रीनाथ की दुल्हनिया' का रेडियो शो किया था । इतना लम्बा सफर और शानदार सफर रहा अमीन सयानी का, जो अपनेआप में किसी कीर्तिमान से कम नहीं !
अमीन सयानी की लोकप्रियता के पीछे महात्मा गॉंधी की बताई सरल हिंदुस्तानी भाषा को श्रेय दिया जा सकता है। ऐसा खुद अमीन सयानी भी मानते और कहते थे, यह एक बहुत जरूरी मंत्र है नये एंकर्ज के लिए कि आम आदमी की भाषा में संचालन करोगे तो आपको लोग सिर पर बिठा लेंगे, जेसे अमीन सयानी को लोकप्रियता मिली, वैसी ही सफलता मिलेगी । अमीन सयानी ने अपने जीवन में 58000 प्रोग्राम किये और 30000 जिंगल्ज बनाये ! लगातार काम और लोगों के दोस्त बने रहे। शायद इनकी आवाज़ जैसा जादू यदि किसी और में था तो वे थे रेडियो कमेंटेटर जसदेव सिंह ! वे सिर्फ रेडियो कमेंट्री तक सीमित थे जबकि अमीन सयानी का दायरा बहुत फैला रहा और वे बहुत याद आयेंगे और हमारी ओर से विनम्र श्रद्धांजलि !
यह कहते हुए :
हज़ारों साल नर्गिस अपनी बेनूरी पर रोती है
बड़ी मुश्किल से होता है कोई दीदावर पैदा !