करोना जैसे महायुद्ध पर जीत हासिल

हमारे पास साधनों की कमी नहीं है मगर हम उसका उपयोग नहीं कर रहे। सिवाय पुलिस कर्मियों, सुरक्षा कर्मचारियों, स्वास्थ कर्मियों, डॉक्टर और उनके सहयोगियों के अलावा सारे के सारे अपने अपने घरों में बैठे मुफ्त की रोटियां तोड़ रहे हैं। 

करोना जैसे महायुद्ध पर जीत हासिल
लेखक।

अमृत पाल सिंह 'गोगिया' द्वारा। 

करोना जैसी आपदा की इस संकट की घड़ी में जहाँ सारा देश त्राहि-त्राहि कर रहा है वहीं पंजाब सरकार ने अपना पूरा जोर लगा रखा है। इस दृढ़ निश्चय के साथ की हमारे बिहार और उत्तर प्रदेश की कामगर अपने-अपने घरों को सुरक्षित पहुँच जाएं। बहुत अच्छी तायदाद में लोगों को तयशुदा स्थान से बसों द्वारा सुरक्षित तरीके से उठाकर उनको रेलवे स्टेशन पर छोड़ा जा रहा है। यह एक मानवीय कदम है। जिससे उनके अन्दर आयी हुई असुरक्षा की भावना और जो अपनों से मिलने की अधीरता जो उत्पन्न हुई है। उसको थोड़ी राहत मिलेगी। 
उनकी भावनाओं की कदर करना हमारी मानवीय और सामाजिक जिम्मेवारी भी है। 
और अब तक हम जो भी कर रहे हैं वह एक सराहनीय कदम है। बहुत अच्छे प्रयास किये जा रहे हैं लेकिन इसमें काफी तेजी लाने की जरूरत है। और भी अच्छे प्रयास किये जा सकते हैं। हमारे पास साधनों की कमी नहीं है मगर हम उसका उपयोग नहीं कर रहे। सिवाय पुलिस कर्मियों, सुरक्षा कर्मचारियों, स्वास्थ कर्मियों, डॉक्टर और उनके सहयोगियों के अलावा सारे के सारे अपने अपने घरों में बैठे मुफ्त की रोटियां तोड़ रहे हैं। यह एक आपातकालीन स्थिति है और अगर हम उनका इस्तेमाल अभी नहीं करेंगे तो कब करेंगे। हमें अपनी इच्छाशक्ति को जगाना है। बस! समझो काम हो गया। 
जहाँ बहुत अच्छी तायदाद में लोगों को तयशुदा जगह से बसों द्वारा सुरक्षित तरीके से उठाकर उनको रेलवे स्टेशन पर छोड़ा जा रहा है, वहीं हमारे कुछ कामगर/मजदूर पैदल ही या साइकिल द्वारा अपने गंतव्य की ओर निकल पड़े हैं जो उनकी अशंतुष्टि को दर्शाता है। यह अमानवीय है। हमें इसके लिए संवेदनशील होने की जरुरत है। हमें एक समय पानी नहीं मिलता तो हम तड़प जाते हैं और ये मज़दूर बेचारी कड़कती धूप में, कुछ तो नंगे पाँव अपने परिवारों, नन्हे नन्हे बच्चों के साथ, कुछ तो गर्भवती औरतें भी साथ चल रही हैं। कोई व्यवस्था नहीं है। यह घोर मानवीय अपराध है हमें इसको समझना होगा। इसके दूरगामी दुष्परिणाम होंगे। इसके लिए यह समाज हमें कभी माफ़ नहीं करेगा और इतिहास इसका गवाह बनकर काफी लम्बे समय तक हमारे साथ-साथ चलेगा। 

यह हमारी जिम्मेवारी है और मानवीय भी है कि हम उनको ऐसा करने से रोकने के लिए तुरंत कुछ कारगर कदम उठाएं जो प्रशंसनीय हों। यह पंजाब सरकार के लिए एक सुनहरा मौका है अपने आपको एक नयी ऊँचाई पर स्थापित करने का-कि "हम हैं न आपके साथ"

आज वह बिहार और उत्तर प्रदेश के कामगारों/मजदूरों का दिल जीत ले। पंजाब सरकार अगर ऐसा कर पाई तो निश्चित ही वह इन्हीं कामगारों/मजदूरों के माध्यम से यह साबित कर पायेगी कि वह एक सोच है जो मानवीय अधिकार के लिए लड़ती है और गरीब से गरीब व्यक्ति की भी चिंता करती है। अगर पंजाब ने ऐसा कर दिखाया तो निश्चय ही यह हमारी पंजाबियत की जीत होगी, हमारे पंजाब की जीत होगी। हमारी सरकार की जीत होगी और यह उन्हीं कामगारों/मजदूरों के माधयम से सारे देश में यह चर्चित होगा तो यह बात भी भी तय है कि मीडिया भी चुप बैठने वाली नहीं है और
मीडिया भी मज़बूर हो जायेगा यह बताने के लिए कि पंजाब सरकार और इसकी टीम ने कितनी मेहनत और लगन के साथ इस मुश्किल की घड़ी में देश का साथ दिया है। पंजाब की लोकप्रियता अचानक एक नई ऊंचाई को छूएगी जो कि अन्थया असंभव है। जिससे हमारी नयी आर्थिक व्यवस्था का उदय होगा और यह एक नया मार्ग प्रशस्त करेगा जो यह तय करेगा कि भारत की ओर रुख करने वाली बड़ी-बड़ी कंपनियां किस राज्य की ओर रुख करेंगी। यह तो एक सुनहरी मौका है और इसका पूरा-पूरा फ़ायदा उठाना चाहिए। इसका फर्क यह पड़ेगा कि दूसरे देशों के निवेशकों को पंजाब में सहज आमंत्रित किया जा सकेगा।  

हम खुशकिस्मत हैं कि हमारे प्रदेश में धार्मिक स्थलों की कमी नहीं है। जैसे गुरूद्वारे, राधा स्वामी सत्संग डेरे और भी काफी हैं। जहाँ हम कामगार को रास्ते में ही, जहाँ तक वो पहुंचे हैं। उनको वहीं से सुरक्षा कर्मचारियों और बसों की मदद से उनको नज़दीकी सेंटर में पहुंचाया जाये और वहाँ उनके रहने और खाने पीने के अलावा उनकी सेहत सुरक्षा का पूरा-पूरा इंतज़ाम किया जाये और उनके गंतव्य स्थान तक पहुंचाने के लिए उनकी अग्रिम बुकिंग में उनका पूरा-पूरा सहयोग किया जाये इसके लिए हमारे पास सरकारी कर्मचारी, स्कूल टीचर जो घर पर बैठे भी रोटियां तोड़ रहे हैं, उनको इस्तेमाल किया जा सकता है। 
हमारी पास ट्रेनों की कमी नहीं है। पूरी ट्रैन व्यवस्था ठप पड़ी है। सारे रेलवे कर्मचारी वापस काम पर लगाए जा सकते हैं। जो सरकारी बसें जो विभिन्न स्थलों पर मात्र खड़ी हैं। उनका स्टाफ घर पर बैठा है। उनको इस्तेमाल किया जा सकता है। जैसे हम चुनाव के दौरान करते हैं। सरकारी बसें, प्राइवेट बसें, माल वाहक गाड़ियां। इन सब का पूरा-पूरा फ़ायदा उठाया जाये। इस बात को पूर्णतः सुनिश्चित और प्रचारित किया जाये कि एक भी कामगार/मजदूर पंजाब से पैदल या साइकिल पर नहीं निकला और इसका पूरा-पूरा फ़ायदा भविष्य में पंजाब को मिलेगा। यहाँ से वापस गए हुए कामगारों /मजदूरों में यह विशवास स्थापित करेगा कि पंजाबियों जैसा कोई नहीं और हमारे कामगार/मजदूर इस बात को दुनिया में फैलाएंगे कि पंजाब सरकार ने कन्धे से कन्धा मिलाकर हमारी मदद की।
कुछ सुझाव हैं जिनपर ध्यान दिया जाना चाहिए। 
•    कामगारों/मजदूरों को उनके गंतव्य स्थान पर पहुँचाने के लिए ट्रेनों की संख्या में काफी वृद्धि की जाये और इस काम को प्राथमिकता के आधार पर किया जाये 
•    सुनिश्चित स्थानों की गिनती में वृद्धि की जाये ताकि उनको ज्यादा परेशानी न हो। 
•    बजाय कि ट्रेनें जो कि बड़े स्टेशनों से चलती हैं। उनको हर छोटे छोटे स्टेशनों से चलाया जाये ताकि कहीं भी बहुत भीड़ इकट्ठी न हो। 
•    अगले स्टेशनों पर पानी और खाने की व्यवस्था रेलवे कैटरिंग द्वारा की जाये।ताकि कोई भूख से बेचैन न हो। 
•    जो लोग पैदल या साइकिल पर निकल गए हैं उनको राज्य के अंदर ही रोका जाये और किसी भी नजदीकी तयशुदा स्थान पर ले जाया जाये। 
•    उनके रहने, खाने पीने, स्वास्थ सेवा और उनकी ट्रेनों की बुकिंग का पूरा इंतजाम वहीँ से किया जाये और वहीँ से नजदीकी रेलवे स्टेशन का इस्तेमाल किया जाये 
•    जिनके पास जो भी समान या साइकिल हो उसको साथ ले जाने की इजाजत हो। उनको परेशान न किया जाये। 
•    ऐसा करने से उनमें सुरक्षा की भावना स्थापित होगी जो कि देश, समाज और पंजाब के हित में होगी।