समाचार विश्लेषण/अमृतकाल बनाम राहुकाल?
-*कमलेश भारतीय
देश अपनी स्वतंत्रता के पचहत्तर वर्ष मना रहा है और इस वर्ष का नाम रखा गया -अमृत महोत्सव । पूरे वर्ष ही मनाया जायेगा यह अमृत महोत्सव । बहुत पावन नाम और पावन काम । वैसे भी नामकरण में भाजपा आगे । इसीलिए तो हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा इस भाजपा सरकार को इवेंट मैनेजमेंट की सरकार कहते हैं । इवेंट बनाना कोई इनसे सीखे । अभी ताजातरीन उदाहरण है जब देश की दीदी लता मंगेशकर का निधन हुआ तब एक ऑडियो जारी किया गया । लता मंगेशकर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच उनके जन्मदिन के अवसर पर वार्तालाप का । यह अवसर बना लिया गया -एक इवेंट बन गया । कांग्रेस आईटी सेल को यह इवेंट बनाने की कला नहीं आती । बहुत ही नौसिखिए लोग हैं । यह मीडिया आईटी सेल ही है जिसने पंजाब में भाजपा को चर्चा में रखा हुआ है । आईटी सेल और इवेंट मैनेजमेंट की महिमा अपार है ।
इधर संसद में राहुल गांधी ने जो तीन सवाल उठाये बहस के दौरान तो जवाब में कांग्रेस के दामन में लगे दाग तो बहुत गिनाये प्रधानमंत्री ने लेकिन राहुल का कहना है कि मेरे सवालों के जवाब नदारद रहे । अब वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि कांग्रेस का राज राहुकाल था तो भाजपा का राज अमृतकाल के समान है । वही बात कि इवेंट बना ली आईटी सेल ने । अब अमृतकाल में महंगाई इतनी बढ़ती जा रही है कि वह चुटकुला याद आ रहा है जब किसी ने कहा कि यार मेरी बेटी की लम्बाई नही बढ़ रही तो जवाब में कहा गया कि इसका नाम महंगाई रख दे , देख फिर कैसे दिन दुगुनी और रात चौगुनी बढ़ती है । तो रसोई गैस हो या पेट्रोल , डीजल या फिर आम जनता के लिए सब्जियां सबकी सब ऊंचे दामों पर मिल रही हैं । जायें तो जायें कहां ? ऊपर से अमृतकाल है , कुछ कह भी नहीं सकते । मनाओ यार देश का पचहत्तरवां स्वतंत्रता वर्ष । जैसे तैसे किसान आंदोलन सिमटा लेकिन इसकी परछाईं पीछा कर रही है पाच राज्यों के विधानसभा चुनाव में । पंजाब और उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा डर है और राकेश टिकैत कह रहे हैं कि क्या संदेश दूं ? एक साल भर चले आंदोलन में जो संदेश दिया वह जनता इतनी जल्दी भूल जायेगी क्या जनता और जो दवाई तैयार की , वह अपना असर दिखायेगी । मज़ेदार बात कि तथाकथित बाबा को पैरोल देकर बाहर निकाला गया ताकि संगत खुश होकर मतदान करे । हर तरीका , हर षड्यंत्र राजनीति , प्यार और युद्ध में जायज बताया गया है । महाभारत में क्या क्या तरीके नहीं अपनाये गये थे ? अभिमन्यु को कैसे चक्रव्यूह में फंसा कर वध किया गया था ? कितने कितने उदाहरण भरे पड़े हैं महाभारत में ? एक तरफ राकेश टिकैत हैं तो दूसरी ओर राम रहीम । किसकी मानेंगे वोटर ?
अमृतकाल में सब संस्थाएं बिकने के किनारे हैं जबकि राहुकाल में ये संस्थाएं बनाई गयी थीं । अब पता नहीं किसे अमृतकाल मानें और किसे राहुकाल ? अपनी अपनी राय है और अपनी अपनी मैनेजमेंट।
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।