समाचार विश्लेषण/ऐलनाबाद की जंग का ऐलान?
-कमलेश भारतीय
हरियाणा के ऐलनाबाद से इनेलो के इकलौते विधायक अभय चौटाला ने किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए विधानसभा से त्यागपत्र दे दिया जिसके चलते ऐलनाबाद में उप चुनाव की नौबत आने वाली है । हालांकि कालका में भी यह नौबत आ जाती लेकिन हाईकोर्ट की राहत के चलते प्रदीप की सीट पर मंडराता खतरा टलता लग रहा है । इससे यह लगता है कि अविश्वास प्रस्ताव को जीतने के लिए हरियाणा विधानसभा के स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता कितने उतावले थे कि एकदम से प्रदीप को बाहर करने की घोषणा कर दी । अब कोर्ट से राहत मिली है तो कालका का उप चुनाव शायद न हो । इस तरह सारा ज़ोर ऐलनाबाद पर रहेगा । यह निश्चित है ।
एक बात तो स्पष्ट है कि यह इनेलो का गढ़ है और इनके नेता यहां से चुनाव जीतते आ रहे हैं । अब इनेलो जजपा के बंटवारे के बाद देखना यह है कि क्या जजपा भी यहां से किसी को मैदान में उतारेगी या वाकओवर देगी ? जैसे चौ रणजीत सिंह को ओमप्रकाश चौटाला ने दिया था और वे विधायक बन गये । अब बिजली मंत्री भी हैं । हो सकता है अभी चौटाला अपने बेटे को यहां से राजनीतिक पारी शुरू करवायें । यह बहुत आसान होगा । अगर ऐसा करते हैं तो इस्तीफा देने का औचित्य ही क्या ? किसी कार्यकर्त्ता को अवसर देना चाहिए।
चौ देवीलाल ने अजय चौटाला को पहला चुनाव भिवानी से लड़ने की सलाह दी थी । बेशक वे पहला चुनाव हारे पर नेता बन गये । दुष्यंत चौटाला ने भी पहला चुनाव सेफ जोन सिरसा से नहीं हिसार से लड़ा। सिरसा सुरक्षित लोकसभा क्षेत्र जो है । हिसार में कुलदीप बिश्नोई को हरा कर सबसे युवा सांसद बने । यहां तक कि इनकी उम्र को लेकर भी अटकलें लगाई गयीं । ट्रैक्टर पर टैक्स लगाने का विरोध कर चर्चा में रहे । अब उप मुख्यमंत्री हैं । इस लिए अभय चौटाला को किसी कार्यकर्त्ता को ऐलनाबाद से अवसर देना चाहिए ।
जहां तक कांग्रेस की बात है तो इसकी प्रदेशाध्यक्ष सुश्री सैलजा सिरसा से चुनाव लड़ती रही हैं । इसलिए उनकी भी इस क्षेत्र में पकड़ मानी जाती है। इसी के चलते शुरूआत की है दलबदल से । दो पूर्व विधायकों ने कांग्रेस का दामन उनकी व हरियाणा प्रभारी विवेक बंसल की मौजूदगी में थाम लिया है । ये हैं फतेहाबाद के पूर्व विधायक बलवान सिंह दौलतपुरिया व हांसी के पूर्व विधायक अतर सिंह सैनी । इनके अतिरिक्त पूर्व मंत्री जगदीश नेहरा के बेटे सुंरेंद्र नेहरा ने भी कांग्रेस का हाथ थाम लिया है। इस तरह ऐलनाबाद के उप चुनाव की घोषणा से पहले ही दलबदल का खेल शुरू हो गया है । इनके अतिरिक्त बसपा नेता बीर सिंह और डाॅ गुरनाम सिंह भी कल गुरुग्राम में कांग्रेस कार्यालय में पार्टी में शामिल हो गये । यह भी कहा जा सकता है कि कुछ नेता हवा का रूख भांपने में बहुत कुशल होते हैं । कभी कांग्रेस से चले जाते हैं तो कभी पार्टी में लौट आते हैं । यह पता नहीं चलता कि कहां उनका दम घुटता है और कहां नहीं ? किसकी नीतियां अच्छी हैं और किसकी नहीं? बस।हवा का रूख देखना आना चाहिए । धर्मवीर सिंह ने हवा का रूख भांपा , राव इंद्रजीत , चौ वीरेंद्र ने भांपा और भाजपा में चले गये । अब किसान आंदोलन के चलते कांग्रेस का ग्राफ कुछ ऊपर आया है । फिर टिकट की संभावना है । देखिए दांव किसका लगता है ? वैसे एक समय जगदीश नेहरा सुश्री सैलजा के परिवार के बहुत निकट थे । अचानक कमल थाम लिया । अब बेटा तो लौट आया है । देखिए जगदीश नेहरा कब तक भाजपा में रहते हैं या यशवंत सिन्सा सिन्हा और जयंत सिन्हा बने रहते हैं । जयंत भाजपा में है तो यशवंत अब तृणमूल कांग्रेस में । यह भी एक मज़ेदार बात होगी ।
अब रही भाजपा की बात । सिरसा की सांसद सुनीता दुग्ग्गल को इसकी कमान सौंपी जा सकती है । उनकी देखरेख में चुनाव होगा । यहां भी चौटाला परिवार के किसी सदस्य को टिकट मिल सकती है ।
अब ऐलनाबाद की जंग का ऐलान हो गया है । देखते हैं कौन कौन किस पानी में है ,, इसकी पहचान मैं नहीं जनता करेगी...