हरियाणा में एक और दंगल
-*कमलेश भारतीय
एक 'दंगल' फिल्म वह थी जो आमिर खान ने बनाई थी, जिसमें बलाली की पहलवान बहनों और उनके कोच व पापा महावीर फौगाट की कहानी से यह संदेश देने की कोशिश की गयी थी कि म्हारी छोरियां, छोरों से कम हैं के । 'दंगल' फिल्म की आधार वही पहलवान छोरिया़ं अब राजनीति में दंगल करने आ चुकी हैं । वैसे तो बबिता फौगाट पिछ्ली बार ही अपनी नौकरी छोड़कर चरखी दादरी से भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ने उतरी थी लेकिन जजपा के सतपाल सांगवान से हार गयीं और अब तो गजब ही हो गया । सतपाल सांगवान के बेटे सुनील सांगवान ने भी पिता की तरह सरकारी नौकरी छोड़ी भाजपा का कमल थाम लिया । देखिये, इधर कमल थामा, उधर भाजपा ने बबिता फौगाट को नज़रअंदाज़ कर सुनील सांगवान को चरखी दादरी से टिकट भी थमा दिया । बबिता के पास इसके जवाब में कहने को इतना ही था कि मैं तो भाजपा की अनुशासित सिपाही हूँ और बड़ी ग्रेस के साथ दंगल छोड़ दिया।
दूसरी ओर चचेरी बहन विनेश फौगाट दंगल में उतर आई, अपनी ससुराल जुलाना से कांग्रेस का हाथ पकड़ कर राजनीति के दंगल में । ओलम्पिक में 'ट्रेजडी क्वीन' बनीं विनेश ने दंगल यानी अखाड़े से तो विदाई ले ली थी यह कहते हुए कि मां, मैं हार गयी और दंगल व राजनीति जीत गये । अब मैं दंगल में नहीं उतर सकती । एयरपोर्ट पर आने पर जैसे उसका स्वागत् करने कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा पहुंचे, उससे यह साफ हो गया था कि अब विनेश फौगाट राजनीतिक दंगल में उतरने ही जा रही है । फिर वह सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका से मिलने गयी तो ये बात और भी पक्की हो गयी कि विनेश राजनीति में हरियाणा के विधानसभा चुनाव के दंगल में उतरने जा रही है और सात घटे के अंदर ही अंदर उसे कांग्रेस ने उसकी ससुराल जुलाना से प्रत्याशी बना दिया । अब दंगल में उसके साथ ही उतर आये हैं कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह, जो कह रहे हैं कि मैं विनेश की पोल खोलने हरियाणा आऊंगा, यदि पार्टी इज़ाज़त देगी । ये वही बृजभूषण शरण सिंह हैं, जिनके खिलाफ दिल्ली के जंतर मंतर पर महिला पहलवानों ने धरना लगाया था और भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया था कि यह कांग्रेस द्वारा प्रायोजित है । अब भी बृजभूषण शरण सिंह यही कहने हरियाणा आना चाहते हैं । इनके हठी रवैये के चलते पहलवान गंगा में अपने पदक तक विसर्जित करने चले थे और ये महाश्य कह रहे थे कि इन पदकों की कीमत पंद्रह रुपये मात्र है । अब वे खुशी जाहिर कर रहे हैं कि विनेश को ओलंपिक में खाली हाथ लौटना पड़ा । कैसा भारतवासी और कैसा कुश्ती महासंघ का पूर्व अध्यक्ष जो मेडल न मिलने पर खुशी मना रहा हो तो इनके इरादे जाहिर हो जाते हैं ! बजरंग पूनिया ने सही कहा, कि एक बार हरियाणा आओ तो सही, फिर देखना कैसा स्वागत् होता है । भाजपा बृजभूषण को हरियाणा आने का या भेजने का जोखिम न ही उठाये तो बेहतर, नहीं तो द़गल तो होगा ही होगा । लगता है आमिर खान को दंगल टू बनानी पड़ेगी। प्रसिद्ध साहित्यकार डाॅ रामदरश मिश्र के शब्दों में विनेश फौगाट के लिए:
मिला क्या न मुझको ऐ दुनिया तुम्हारी
मोहब्बत मिली है, मगर धीरे धीरे!!
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी।