मोहब्बत की दुकान
अपने अपने जश्न और टश्न
-कमलेश भारतीय
अर्जेंटीना ने फीफा विश्व कप जीत लिया और मेस्सी हीरो बन गया । अर्जेंटीना में जश्न का माहौल देखते ही बनता था । जीत की खुशी में आंसू भी उमड़ते देखे गये ! खुशी हो तो आंखें भिगोते हैं आंसू ! इन्हें जान सकता नहीं ये जमाना !
इससे पहले क्रिकेट का बुखार रहा और जश्न भी । क्रिकेट खिलाड़ियों के लिए जीते मरते रहे लोग ! चाहे विश्व कप हो या फिर आईपीएल ! क्रिकेट प्रेमी सट्टे तक खेल जाते हैं इनके नाम पर !
राजनीति में भी ऐसे दौर आते रहते हैं । कभी इंदिरा गांधी को दुर्गा तक कहा गया तो कभी अटल ही अटल ! फिर हर घर मोदी भी हुआ । अब नयी राजनीति और नया अफसाना है ! अभी आजादी के अमृत महोत्सव की धूम रही । हर घर तिरंगा लहराने का आह्वान रहा । अब नयी बात और नयी कहानी है !
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा की बात चल रही है । कन्याकुमारी से कश्मीर तक की यात्रा अब हरियाणा आ रही है । अभी राजस्थान में राहुल गांधी ने अपने आखिरी पड़ाव में कहा कि मैं नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान खोले बैठा हूं ! राहुल का कहना है कि यह देश मोहब्बत का देश है । जैसे किसी शायर ने भी कहा है-अपना पैगाम मोहब्बत है , जहां तक पहुंचे ! उन्होंने भाजपा से भी आह्वान किया कि मोहब्बत की दुकान खोलनी चाहिए ! आपका बाजार नफरत का है और मेरी दुकान मोहब्बत की है ! राहुल के अनुसार कई बार यात्रा भाजपा कार्यालयों के सामने से गुजरी और इशारों इशारों में उनकी यात्रा पर सवाल उठाये गये ! राहुल क्या कर रहा है ? यात्रा क्यों कर रहा हूं और लोगों से मिल रहा हूं , बस ! जवाब भी मिल गया । मोहब्बत की दुकान खोल रहा हूं ! अब यह मोहब्बत की दुकान सन् 2024 पर कितना रंग दिखायेगी ? वैसे ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस की सांसद मोइना मित्रा पर यह रंग चढ़ गया और जो संसद में बोलीं और नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में उन्हें ही सवालों में घेरते पूछा कि बताइए पप्पू कौन है ? आप या राहुल ? यह किसी ने उम्मीद ही न की थी । सारी असफलताएं गिना कर पूछा कि बताइए असली पप्पू कौन है ? यानी रंग चढ़कर बोल रहा है ! दुकान चलेगी और कितनी चलेगी यह तो सन् 2024 ही बतायेगा ! फिलहाल दुकान निकल पड़ी है ।
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।