कम्यूटेशनल बायोलॉजी और मशीन लर्निंग के अनुप्रयोग ने दवा खोज के क्षेत्र में संभावनाओं के नए द्वार खोलेः प्रो. राजेश

रोहतक, गिरीश सैनी। ड्रग डिस्कवरी में कम्यूटेशनल बायोलॉजी और मशीन लर्निंग के अनुप्रयोग ने इस क्षेत्र में संभावनाओं के नए द्वार खोले हैं। इन पहलों के माध्यम से दवा खोज की प्रक्रिया को अधिक कुशल, तेज और सटीक बनाया जा सकता है, जिससे वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना करने में मदद मिलेगी। एमडीयू के सेंटर फॉर बायोइंफॉर्मेटिक्स द्वारा- ड्रग डिस्कवरी इन कम्प्यूटेशनल बायोलॉजी एंड मशीन लर्निंग एप्लिकेशन विषयक पर आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का शुभारंभ करते हुए फैकल्टी ऑफ लाइफ साइंसेज की पूर्व डीन प्रो. राजेश धनखड़ ने यह बात कही।
फैकल्टी ऑफ लाइफ साइंसेज की डीन प्रो. मीनाक्षी वशिष्ठ ने उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए कहा कि परंपरागत दवा खोज प्रक्रियाएं समय, साध्य और खर्चीली होती हैं। कंप्यूटर सिमुलेशन और एआई प्रक्रिया ने इस प्रक्रिया को अधिक कुशल और सटीक बनाने में सहायता की है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में शोध एवं नवाचार की बड़ी संभावनाएं मौजूद हैं, जिन पर विद्यार्थी एवं शोधार्थी फोकस करें।
जेएनयू, नई दिल्ली के बायोइंफॉर्मेटिक्स स्कूल ऑफ कम्प्यूटेशनल एंड इंटीग्रेटिव साइंसेज के प्रोफेसर और वैज्ञानिक प्रो. शंकर अहमद तथा डॉ. बीआर अंबेडकर सेंटर फॉर बायोमेडिकल रिसर्च, नई दिल्ली की प्रो. मधु चोपड़ा ने बतौर विशिष्ट वक्ता शिरकत करते हुए दवा की खोज में मशीन लर्निंग तकनीकों और बायोइंफॉर्मेटिक्स दृष्टिकोण की महत्वपूर्ण भागीदारी के बारे में बात की।
सेंटर फॉर बायोइंफॉर्मेटिक्स के निदेशक डॉ. अजीत कुमार ने स्वागत भाषण दिया। प्राध्यापिका डॉ. महक दांगी ने आभार जताया। इस दौरान एसोसिएट डीन, आर एंड डी प्रो. संतोष तिवारी तथा डॉ. केके शर्मा, निदेशक सीबीटी डॉ. रितु गिल, एचओडी माइक्रोबायोलॉजी डॉ. पूजा सुनेजा, डॉ. सर्वजीत सिंह गिल, डॉ. नरसिंह चौहान, डॉ. दर्शना चौधरी, डॉ. रश्मि भारद्वाज, डॉ. अनिता संताल, डॉ. रितु पसरीजा, डॉ. हरि मोहन, डॉ. रचना भटेरिया और डॉ. दीपशिखा कौशिक समेत शोधार्थी एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।