समाचार विश्लेषण/क्या युवा कांग्रेस से निराश हो रहे हैं?
-*कमलेश भारतीय
तेज़ तर्रार पूर्व सांसद व युवा नेत्री सुष्मिता देव ने कांग्रेस को अलविदा कह तृणमूल कांग्रेस का हाथ थाम लिया । कोलकाता में ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक से मिल कर तृमणूल कांग्रेस में शामिल हो गयीं । इधर कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला पहले यही कहते रहे कि सुष्मिता देव का त्यागपत्र मिला नहीं है और उधर वह हाथ झटक कर दूसरी पार्टी में चली भी गयीं । बाद में सुष्मिता के काम काज की तारीफ की । परंपरागत तौर पर यह नहीं कहा कि सुष्मिता बोझ थीं और हमें मुक्ति मिल गयी । सुष्मिता बोझ थीं भी नहीं। वे युवा होने के बावजूद काफी सुलझी हुई थीं और उनकी अपनी फाॅलोइंग थी पार्टी में ।
सुष्मिता देव के जाने से सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस से युवा नेता निराश हो चुके हैं या निराशा बढ़ती जा रही है युवाओं में कांग्रेस के प्रति, भविष्य के प्रति ? यह सिलसिला शुरू हुआ मध्यप्रदेश के ज्योतिरादित्य सिंधिया से , फिर जितिन प्रसाद भी गये और सचिन जाने जाने की रट लगाये हुए हैं । अब सुष्मिता देव ने पार्टी से किनारा कर लिया । सबसे पहले प्रियंका चतुर्वेदी गयी थीं । और लोग भी गये होंगे । अभी चंडीगढ़ से प्रदीप छाबड़ा ने कांग्रेस छोड़ कर आप ज्वाइन कर ली । ऐसा क्यों हो रहा है ? आखिर युवा क्यों किनारा करते जा रहे हैं कांग्रेस से ? सोचने की बात है । क्या इनको उपेक्षा मिली पार्टी में ? क्या इनके सपने टूट गये पार्टी में ? आखिरकार विचार तो करो हाईकमान ।
दूसरी ओर कपिल सिब्बल कह रहे हैं कि हम बुजुर्ग अगर पार्टी के बारे में कुछ कहते हैं तो बुरा मान जाते है और न कहें तो कहते हैं कि कोई सुझाव नहीं देते । पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे व पूर्व सांसद संदीप दीक्षित भी यही कह रहे हैं कि मैंने हस्ताक्षर तो कर दिये थे जी 23 समूह में लेकिन ज्यादा एक्टिव उनके साथ नहीं हूं । फिर भी युवा लोग पार्टी क्यों छोड़ कर जा रहे हैं इस पर मंथन तो करना ही चाहिए । बिना मंथन तो लोग क्यों जा रहे हैं, इसका पता कैसे चलेगा?
प्रियंका चतुर्वेदी ने तो आरोप लगाया था कि कुछ शरारती लोगों की शिकायत करने के बावजूद हाई कमान ने कोई एक्शन नहीं लिया था । ज्योतिरादित्य को पद की लालसा थी और राज्यसभा में मध्यप्रदेश से प्रियंका गांधी को भेजने की बात दिग्विजय सिंह ने चला दी थी जिससे ज्योतिरादित्य तो गये ही सरकार भी गयी । जितिन प्रसाद ने उपेक्षा करने का आरोप लगाया और भाजपा में चले गये । यदि राजस्थान में पिछले साल ऑपरेशन लोट्स सफल रहता तो अब तक सचिन कहीं और मिलते । अब सुष्मिता देव चली गयीं । शायद रोकने की कोशिश भी नहीं हुई । यह भी गलत है । घर के युवा सदस्य यदि निराश हैं तो उनसे बात तो करो । पूछो तो सही कहां , क्या गलत लग रहा है और ठीक करने के लिए कदम उठाओ । ऐसे तो न यह बूढों की और न युवाओं की कांग्रेस रहेगी ...
आओ विचारें आज
ये समस्यायें सभी ...
-*पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।