कलाकार को पहली बगावत तो घर में ही करनी पड़ती है: स्नेहलता सिद्धार्थ
कहा-ज़िंदगी में मिलीं ठोकरें ही मेरी प्रेरणा
-कमलेश भारतीय
ज़िंदगी में मिलीं ठोकरें ही मेरी प्रेरणा स्त्रोत हैं और कोई नहीं । थियेटर के लिए पहली बगावत घर से ही करनी पड़ती है हर कलाकार को । इसके बावजूद गुरुजनों व दोस्तों से बहुत स्पोर्ट मिला । यह कहना है एनएसडी की रेपेट्री में सन् 2019 से कार्यरत कलाकार स्नेहलता सिद्धार्थ का । मूलतः नागपुर निवासी स्नेहलता ने बी काॅम के बाद एन आई टी से एमबीए किया लेकिन थियेटर का आकर्षण इतना बढ़ा कि एनएसडी की ओर कदम चले गये । हालांकि यह बहुत मुश्किल सफर रहा क्योंकि दो बार वर्कशाॅप तक पहुंच कर भी रह जाती । आखिर तीसरी बार चयन हुआ । मज़ेदार बात काॅलेज तक कराटे सीखा पर फिर थियेटर का चस्का लगा तो ऐसा लगा कि सब छोड़छाड़ कर बस थियेटर में ही रम गयी ।
-कैसे लगा नाटक का चस्का ?
-एमबीए कर रही थी तो सन् 2014 में एक नाटक में पृष्ठभूमि में गाने का ऑफर मिला और गाया भी । निर्देशक को गायन पसंद आया तो उसने कहा कि हमारे साथ थियेटर करोगी ? हमने भी पूछ लिया कि पैसे मिलेंगे ? और इस तरह थियेटर शुरू हो गया ।
-पहला नाटक कौन सा ?
-मराठी में -विश्व नटी । इसमें कवियों की कविताओं पर अभिनय करना था और वह इतना लोकप्रिय हुआ कि मुझे सन् 2016 में सर्वश्रेष्ठ नटी का सम्मान मिला । यही नहीं महाराष्ट्र सरकार ने भी इसके मंचन प्रदेश भर में करवाये ।
-एनएसडी में तीन बार ट्राई क्यों ?
-पहले दो बार हम वर्कशाॅप तक तो पहुंच जाते लेकिन फाइनल में रह जाते । फिर इरादा छोड़ दिया । कुंभ मेले में मुम्ताज भाई पतंग वाले नाटक करने गयी तो फिर किसी ने कहा कि एनएसडी तो कर ही डालो और फाॅर्म भर दिया और कहा इंटरव्यू में कि कमी तो बताइए क्यों रह जाते हैं हम ? और मैं सिलेक्ट हो गयी सन् 2016 में । उसके बाद सन् 2019 से रेपेट्री में हूं ।
-थियेटर की शुरूआत मराठी नाटक से की , हिंदी नाटकों में कोई परेशानी तो नहीं आई ?
-नहीं । क्योंकि हमारे नागपुर में आधी तो हिंदी बोली जाती है ।
-थियेटर के अलावा अंदर क्या क्या ?
-लावणी डांसर हूं और हर भाषा का लोकगीत गा लेती हूं ।
-प्रिय एक्ट्रेस कौन ?
-स्मिता पाटिल और सुरेखा सीकरी । आज के दौर में दीपिका पादुकोण ।
-मम्मी पापा ने विरोध नहीं किया कि क्या थियेटर में जा रही हो ?
-किया न । पापा सिद्धार्थ रेलवे में अधिकारी और मां रंजना एक गृहिणी । कैसे सहते ? पहली बगावत तो हर कलाकार को घर से ही करनी होती है और की ।
-अब ?
-अब तो पसंद करने लगे हैं । इन दिनों घर पर आई हूं । गुरुजनों और दोस्तों ने बहुत स्पोर्ट किया तभी यहां तक पहुंच पाई ।
-कोई फिल्म?
-अच्छा रोल मिलेगा तो पक्का करूंगी न ।
हमारी शुभकामनाएं स्नेह लता सिद्धार्थ को ।