समाचार विश्लेषण/विधानसभा चुनाव परिणाम के संकेत
-कमलेश भारतीय
पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणाम आ गये और लोग दम साधे पश्चिमी बंगाल के चुनाव परिणाम को देखते रहे । जैसे आईपीएल का कोई कड़ी टक्कर वाला मैच । पूरा दम खम लगा था इसमें भाजपा का और उतनी ही कड़ी टक्कर दी तृणमूल कांग्रेस ने । नारा दो सौ पार का दिया तो भाजपा ने लेकिन पूरा कर दिखाया दीदी ममता बनर्जी ने । बेशक वे नंदीग्राम से खुद हार गयीं और मीडिया के सवाल के जवाब में कहा कि भूल जाइए नंदीग्राम , हमने पूरा बंगाल जीत लिया , यह क्या कम है ।बात बिल्कुल सही कही । जो भाजपा नेता जनसभाओं में बड़े दम्भ में कह रहे थे कि दो मई , दीदी गयी,वही दीदी की इस करिश्माई जीत पर दांतों तले अंगुली दबा कर कह रहे हैं कि हम आत्म-मंथन करेंगे । बाबुल सुप्रियो की मधुर आवाज़ किसी काम न आई और दादामिथुन चक्रवर्ती भी कुछ न कर पाये । डंक उन्हें ही लगा । दीदी ने सबको चारों खाने चित्त कर दिया । वे सैंतीस नेता जो दीदी और तृणमूल कांग्रेस को चुनाव से पहले खेला करने के लिए छोड़ गये थे , जनता ने उनमें से चौंतीस कको सिखाया दलबदल का सबक , बुरी तरह हरा कर । ऐसा ही एक बार हरियाणा में हुआ था जब चौ ब॔सीलाल की सरकार गिराने वाले विधायक बाद में विधानसभा चुनाव हार गये थे । दलबदलुओं को जनता ही सबक सिखा सकती है और पश्चिमी बंगाल में सिखाया ।
जिस तरह से प्रधानमंत्री व गृहमंत्री ने जनसभाओं में दीदी , ओ दीदी रटते उनका उपहास उड़ाया, कल विश्व हास्य दिवस पर जनता ने दीदी को प्रचंड बहुमत देकर इसका जवाब दे दिया । नारी का अपमान किसे बर्दाश्त होता है ? फिर आप तो संस्कारवान् दल के सर्वोच्च नेता हैं । क्या यही हमारे संस्कार हैं ? आप तो सर्वोच्च पद पर हैं और उस पद की गरिमा बनाए रखना आपका धर्म है । बेशक आपके फैलाये जाल में ममता बनर्जी नंदीग्राम में चुनाव लड़ने चली गयीं और हार गयीं लेकिन इसका भी उन्हें लाभ मिला क्योंकि यह संदेश देने में सफल रहीं कि वे पूरे बंगाल को अपना मानती हैं । दूसरे दीदी , ओ दीदी की रट बहुत भारी पड़ी। रणनीतिकार प्रशांत किशोर का दावा कि भाजपा सौ का आंकड़ा छू नहीं पायेगी, बिल्कुल सच निकला लेकिन उनका कहना है कि अब आगे मैं यह काम जारी नहीं रखूंगा । चुनाव सफलता की कुंजी समझे जाने वाले रणनीतिकार ने इस काम से फिलहाल तौबा कर ली ।
निर्वाचन आयोग ने चुनाव परिणाम के बाद जश्न न मानने की सख्त हिदायत दी थी । इसके बावजूद पश्चिमी बंगाल और तमिलनाडु में न दीदी और न स्टालिन के समर्थक जश्न मनाने से रुके । यही नहीं पश्चिमी बंगाल में तो भाजपा कार्यालयों को आग लगा देने की खबरें सामने आईं और संबित पात्रा ने टी वी पर इसे दिखाया अपने वीडियो से । यह लोकतंत्र की स्वस्थ परंपरा नहीं । जीत हार तो होनी है ।हो गयी पर इस तरह कार्यालयों को आग लगाना या भाजपा नेताओं की कार पर हमला करना, यह रोका जाना चाहिए था ।
इसके बावजूद पश्चिमी बंगाल में खेला हो गया लेकिन परिवर्तन नहीं हुआ । एक घायल नारी ने सबक सिखा दिया और कहा कि पश्चिमी बंगाल ने लोकतंत्र बचा लिया । सभी विपक्षी दलों ने बधाइयों की बौछार कर दी । कांग्रेस और माकपा का सूपड़ा साफ हुआ । केरल में भाजपा का सूपड़ा साफ हुआ तो तमिलनाडु में कमल हासन का भ्रम टूटा । रजनीकांत तो राजनीति में आने से पहले ही बाहर हो गये एक पुरस्कार पाकर । खेला हो गया। पर अभी खेला जारी रहेगा। शुक्र है कि पश्चिमी बंगाल की जनता ने दीदी को प्रचंड बहुमत दिया नहीं तो विधायकों की खरीद फरोख्त की मंडी खुल जाती । पुडुचेरी में पहले खेला कर लिया था कांग्रेस की सरकार को हटा कर राष्ट्रपति शासन लगा कर । यह खेला अब बंद कर दो । स्वस्थ लोकतंत्र में विश्वास रखो ।
कांग्रेस का गुलाम नवी आज़ाद वाला जी-23 समूह खुश हो रहा होगा अपनी पार्टी की पराजय से । जैसे एक डाॅयलाग -खुश तो बहुत हो रहे होंगे न तुम ? अपनी ही पार्टी की जड़ें खोखली करते रहे जब चुनाव में प्रचार करने साथ देना था । असम में संभावना थी पर टूटी आशाएं कैसे जीत दिला सकती थीं ? नहीं जीत हुई । बस । तमिलनाडु में थोड़ी खुशी ले सकते हैं और मात्र पंद्रह सीटें ही जीत सके पर यह भ्रम कि सत्ताधारी पार्टी से गठबंधन में हैं । बहुत सबक लेने की जरूरत है ।