समाचार विश्लेषण/टिकैत के काफिले पर हमला और ईवीएम प्रत्याशी की गाड़ी में ...
-कमलेश भारतीय
दोनों खबरें चौंकाने वाली हैं । राजस्थान में किसान नेता राकेश टिकैत के काफिले पर हमला और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् का पूर्व अध्यक्ष गिरफ्तार । यानी भाजपा का चेहरा बेनकाब । क्या यही असली चेहरा है ? हर चीज़ को हासिल करने का ? हिंसा एकमात्र परमोधर्मः ? पश्चिमी बंगाल में हिंसा का अंत नहीं और अंग्रेजी कहावत वाई हुक और क्रुक जीतना जरूरी है । राकेश टिकैत को दूसरी गाड़ी में रवाना कर दिया गया । राकेश टिकैत आज किसान आंदोलन का सबसे चर्चित चेहरा बन चुके हैं । अब इन्हें भी अरविंद केजरीवाल की तरह निशाने पर लिया जा रहा है । कभी स्याही फेंक कर तो कभी गाड़ी पर हमला कर ।
वैसे हिसार में जो आंख मिचौनी हुई दो दिन पहले किसानों व उपमुख्यमंत्री के बीच वह भी चर्चा में है । हेलीकाॅप्टर से आए और दो घंटे तक किसान एयरपोर्ट से बाहर जाने के सारे रास्तों पर प्रदर्शन करते रहे । आखिर दो घंटे बाद हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के हेलीपैड पर उतरे और सचिवालय पहुंचा के कुछ योगधिओं सहित पानी के टैंकरों को रवाना किया । फिर अर्बन एस्टेट स्थित अपने आवास पर किसानों के प्रदर्शन के चलते कार्यक्रम रद्द ही कर लौट गये । कुछ सफल तो कुछ असफल रहे । पहले होली पर सिरसा में भी प्रदर्शन झेलना पड़ा । यह जो पब्लिक है , कब क्या रूप धारण कर ले , नहीं कह सकते । सबसे युवा सांसद और लोकप्रिय भी रहे लेकिन अब किसान आंदोलन पर कोई सही फैसला न कर पाने के चलते जनता के विरोध का सामना कर रहे हैं । अपनी रणनीति बदल लेनी चाहिए । ऐसे कब तक जनता जनार्दन से दूर रह पाओगे और नेता व जनता में दूरी किसलिए ?
हरियाणा के ऐसे ही दूसरे नेता हैं चौ बीरेंद्र सिंह जो विरोध का सामना कर रहे हैं । रोहतक में बाइक रैली का विरोध इसी का परिणाम है कि कोई फैसला नहीं कर पा रहे कि इधर जाऊं या उधर जाऊं । बीच में तो ऐसी खबरें चलीं कि भाजपा छोड़ने जा रहे हैं लेकिन ऐसा नहीं हुआ । शायद सांसद बेटे का भविष्य दांव पर लगाना नहीं चाहते ।
इधर प्रियंका गांधी और राहुल गांधी ने असम में भाजपा के एक प्रत्याशी की गाड़ी मे ईवीएम बरामद करने का मामला निर्वाचन आयोग के सामने उठाया और पूछा कि या इलाही , ये माजरा क्या है ? आखिर ईवीएम इस तरह सरेआम हैक हो रही है ? क्यों ? पश्चिमी बंगाल में आरोप लगाये हैं ममता बनर्जी ने कि नंदीग्राम में वोट डालने में रुकावटें डाली गयीं और वे एक मतदान केंद्र पर धरने पर बैठी रहीं पर यह भारतीय निर्वाचन आयोग है । कुंभकर्णी नींद में । कौन जगायेगा ?