सुदीप भोला की 'टूटा गठबंधन जैसे लिट्टी का चोखे से' पर श्रोताओं ने जमकर ठहाके लगाए
बीपीएसएमवी में 'पढ़ो बेटियों-बढ़ो बेटियों' थीम पर कवि सम्मेलन आयोजित।
खानपुर कलां, गिरीश सैनी। भगत फूल सिंह महिला विश्वविद्यालय में 'पढ़ो बेटियों-बढ़ो बेटियों' थीम पर आज एक कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। छात्र कल्याण विभाग द्वारा आयोजित इस कवि सम्मेलन की अध्यक्षता कुलपति प्रो सुदेश ने की। कार्यक्रम का शुभारंभ माननीय अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ किया गया।
अपने अध्यक्षीय संबोधन में कुलपति प्रो सुदेश ने कहा कि इस आयोजन का उद्देश्य कविता की खो रही विधा से छात्राओं को रूबरू कराना है। उन्होंने कविता को संवाद का सशक्त माध्यम बताते हुए कहा कि छात्राओं को साहित्य के क्षेत्र में भी आगे आना चाहिए। कुलपति प्रो सुदेश ने उपस्थित जन को होली के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं दी।
प्रख्यात कवयित्री कविता तिवारी ने सरस्वती वंदना के साथ कार्यक्रम की शुरुआत की।
अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कवि सुदीप भोला ने अपनी चुटीली रचनाओं से श्रोताओं को खूब हंसाया। ताजा राजनीतिक घटनाक्रम पर उनकी पैरोडी "टूटा गठबंधन जैसे लिट्टी का चोखे से" पर श्रोताओं ने जमकर ठहाके लगाए। रामलला प्राण प्रतिष्ठा को लेकर देश-विदेश में उमड़े अपार उत्साह का वर्णन उन्होंने "सिया संग राम पधारे हैं" पंक्तियों के साथ किया। बेटियों को ईश्वर की अनमोल कृति की संज्ञा देते हुए सुदीप भोला ने "बेटी ब्यूटीफुल, वंडरफुल... इन्हें ना रोको, इन्हें बचा लो" पंक्तियां सुनाई। उन्होंने सोशल मीडिया के बढ़ते इस्तेमाल और इसके दुष्प्रभावों पर तीखा कटाक्ष करते हुए "पढ़ती नहीं पढ़ाती हैं, दिनभर रील बनाती हैं" कविता प्रस्तुत की, जिसे श्रोताओं ने जमकर सराहा।
अपनी ओजस्वी वाणी में कवयित्री कविता तिवारी ने अपनी प्रसिद्ध रचना "जब तक ये सूरज चंदा चमके, तब तक ये हिंदुस्तान रहे" का पाठ किया तो पूरे सभागार में देश प्रेम की भावना उमड़ उठी। अपने गीत की अत्यंत मार्मिक पंक्तियों के साथ उन्होंने कन्या भ्रूण की अपील - "एक बार सुन लो पुकार ये हमारी, कोख में न मारो बाबुल बेटी हूँ तुम्हारी" सुनाई।
प्रसिद्ध कवि उपेंद्र पांडे ने "भर पिचकारी मुरलीधर खेले जो होरी, गोपियों के संग बरसाने में चोरी-चोरी" पंक्तियों के साथ सभी को होली की काव्यात्मक शुभकामनाएं दी। उन्होंने देश प्रेम से भरपूर पंक्तियां "हम देश नहीं झुकने देंगे, यह भारतवर्ष हमारा है" सुनाई तो सभागार तालियों से गूंज उठा। बेटियों को समर्पित उनकी रचना "घर पावन हो जाता है, जब बेटी पैदा होती है, पिता का मान बढ़ाकर मां को सम्मान दिलाती है, बेटी होकर कभी-कभी बेटे का फर्ज निभाती है" ने सभागार में उपस्थित श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया।
कार्यक्रम के प्रारंभ में विशेष उद्बोधन करते हुए कर्नल मूल भार्गव ने कहा कि समाज की दशा-दिशा निर्धारित करने में महिलाओं की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने वर्तमान डिजिटल युग में सोशल मीडिया और अन्य संचार माध्यमों का उपयोग सावधानी से करने का आह्वान छात्राओं से किया।
सभी आमंत्रित कवियों को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। आभार प्रदर्शन महिला विश्वविद्यालय की कुलसचिव डॉ नीलम मलिक ने किया। मंच संचालन डॉ महेश कौशिक ने किया। विश्वविद्यालय के शैक्षणिक खंड-1 स्थित संस्कारम सभागार में आयोजित यह कवि सम्मेलन छात्राओं एवं श्रोताओं को असीम ऊर्जा से भरते हुए मीठी यादें छोड़ गया।