समाचार विश्लेषण/अवार्ड वापसी गैंग और किसान आंदोलन की राजनीति पर छाया
- कमलेश भारतीय
किसान आंदोलन जारी है । इस कोरोना और बढ़ रही सर्दी के बीच । सरकार बैठकें करती है लेकिन नतीजा नहीं निकलता । अभी आठ दिसम्बर को फिर बैठक होगी । तब तक राजनीति और रणनीति जारी है । कंगना की बेसिरपैर की बयानबाज़ी जारी है जिसमें वे कह गयीं कि सौ रुपये में किराये पर ऐसी औरतें मिल जाती हैं प्रदर्शन के लिए । इस बयान पर बुरी तरह फंस गयी कंगना ।
किसान आंदोलन में आज का दिन अवार्ड वापसी का दिन है । जालंधर में ओलम्पियन खिलाड़ी प्रेस कांफ्रेंस कर घोषणा कर चुके हैं कि अपने अपने अवार्ड वापस करेंगे किसान आंदोलन के पक्ष में । लगभग पैंतीस लोग इस अवार्ड वापसी अभियान से जुड़ चुके हैं । दल जीत गायक ने एक करोड़ रुपये आंदोलन के लिए भेजे हैं । पहले ऐसा करने वालों के लिए भाजपा समर्थक इन्हें अवार्ड वापसी गैंग कह कर आलोचना करते रहे लेकिन इस बार बोलती बंद है क्योंकि यह कोई गैंग नहीं है । सच्चे सुच्चे लोग है और दिल से बिना किसी ड्रामे के अवार्ड वापस करने जा रहे हैं । किसान आंदोलन के प्रति सरकार कितनी गंभीर है इस बात का अंदाजा इससे लगाइए कि चाणक्य राजस्थान सरकार गिराने की रणनीति बनाने में व्यस्त हैं । किसान आंदोलन की कोई परवाह नहीं । सोचते है कि सर्दी में ठिठुर कर किसान अपने अपने घर चले जायेंगे या कोरोना कुछ कमाल कर देगा । ऐसी है हमारे हुक्मरान की चिंता किसानों के प्रति । इतनी चिंता है किसान की । मुक्केबाज बिजेंद्र भी किसानों के साथ अवार्ड वापस करने वालों मे ।
इस किसान आंदोलन का हरियाणा की राजनीति पर असर पड़ने जा रहा है । पहले जोगीराम सिहाग, फिर सोमवीर सांगवान और अब दादा रामकुमार गौतम सब किसान आंदोलन को समर्थन देने का एलान कर चुके और जजपा नेतृत्व को भी इनके बात देखने की चिंता सता रही है क्योंकि जनाधार इन किसानों के बीच ही तो है कांग्रेस, आप , तृणमूल कांग्रेस समेत बीस से ऊपर दल किसान आंदोलन के समर्थन में भारत बंद में शामिल होंगे । अब गेंद सरकार के पाले में । कैसे कहोगे कि यह आग कांग्रेस की लगाई है ?