आयुर्वेद चिकित्सा की सफलतम पद्धति बनने की दिशा में अग्रसरः डॉ. सुरेंद्र जैन
छात्राओं को दिया “यू कैन गो बियोंड द स्काई” का मंत्र।
खानपुर कलां, गिरीश सैनी। आयुर्वेद अब पिछड़ेपन की निशानी नहीं, अपितु चिकित्सा की सफलतम पद्धति बनने की दिशा में अग्रसर है। वर्तमान समय आयुर्वेद का स्वर्णिम काल है और वैश्विक स्तर पर आयुर्वेद के प्रति रूझान बढ़ रहा है। आयुर्वेद को लेकर सामाजिक धारणाओं में सकारात्मक बदलाव आया है। ये उद्गार प्रतिष्ठित शिक्षाविद तथा विश्व हिंदू परिषद के अखिल भारतीय संयुक्त महामंत्री डॉ. सुरेंद्र जैन ने बतौर मुख्य अतिथि भगत फूल सिंह महिला विवि के एमएसएम आयुर्वेद संस्थान में पीजी पाठ्यक्रम की नवागंतुक छात्राओं के आयोजित ट्रांसिशनल करिकुलम कार्यक्रम के समापन समारोह में व्यक्त किए। समापन सत्र की अध्यक्षता महिला विवि की कुलपति प्रो. सुदेश ने की। कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों द्वारा पारंपरिक दीप प्रज्वलन एवं धनवंतरी वंदना के साथ किया गया।
अपने प्रेरणादायी संबोधन में डॉ. सुरेंद्र जैन ने वर्तमान समय व आवश्यकता के अनुसार आयुर्वेद के क्षेत्र में उच्च स्तरीय शोध की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने छात्राओं को अपने ज्ञान का दायरा विस्तृत करते हुए अधिक से अधिक सीखने के लिए प्रेरित किया। पंचकर्म सहित अन्य आयुर्वेदिक पद्धतियों के कारण चलन में आए मेडिकल टूरिज्म पर भी उन्होंने चर्चा की। उन्होंने कहा कि हम सभी कोरोना काल में आयुर्वेद के महत्व से बखूबी परिचित हो चुके हैं।
मुख्य अतिथि ने भारत की महान ज्ञान परंपरा का उल्लेख करते हुए छात्राओं को “यू कैन गो बियोंड द स्काई” का मंत्र दिया। उन्होंने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव मनाने के बाद देश को विकास की नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए 'विकसित भारत@2047' का संकल्प लिया गया है, जिसमें युवा पीढ़ी का विशेष योगदान रहेगा। उन्होंने भारत को विश्व की प्राचीनतम संस्कृति बताते हुए देश के प्रति गौरवपूर्ण व स्वाभिमान से भरपूर सोच विकसित करने का आह्वान किया।
महिला विवि की कुलपति प्रो. सुदेश ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि भारत के गौरवशाली इतिहास को पुनर्स्थापित करने के लिए वर्तमान से बेहतर समय नहीं है। उन्होंने छात्राओं को भारत की प्रगति के नए आयाम छूने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत के संकल्प में अपना हर संभव योगदान देने के लिए प्रेरित किया। कुलपति ने आयुर्वेद को आगे बढ़ाने के लिए ज्ञान के साथ-साथ व्यवस्था स्थापित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने छात्राओं को नव संकल्प व ऊर्जा के साथ आयुर्वेद की विकास यात्रा का हिस्सा बनने के लिए प्रोत्साहित किया।
प्रारंभ में संस्थान के प्राचार्य डॉ. सत्य प्रकाश गौतम ने स्वागत संबोधन किया। आयोजन सचिव डॉ. ए.पी. नायक ने इस 15 दिवसीय कार्यक्रम की गतिविधियों की रिपोर्ट प्रस्तुत की। प्रतिभागी छात्राओं ने कार्यक्रम के दौरान के अपने अनुभव साझा किए। कार्यक्रम संचालन डॉ. मीनाक्षी एवं डॉ. नेहा ने किया। आभार प्रदर्शन डॉ. नरेश भार्गव ने किया। सम्मानित अतिथियों को सत्यार्थ प्रकाश की प्रति, पौधा एवं अंगवस्त्र भेंट कर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रीय गान के साथ हुआ। इस दौरान संस्थान के प्राध्यापक, कर्मचारी एवं छात्राएं मौजूद रही।