समाचार विश्लेषण/बचना ऐ हसीनो, लो राहुल आ गया

समाचार विश्लेषण/बचना ऐ हसीनो, लो राहुल आ गया
कमलेश भारतीय।

-कमलेश भारतीय 
यह गाना राहुल गांधी पर फिट कर दिया केरल के एक पूर्व सांसद जाॅयस जाॅर्ज ने । बेशक ज्यादा आलोचना होने पर यह टिप्पणी वापस ले ली-राहुल गांधी केवल महिला काॅलेजों में ही जाते हैं । दौरा करते हैं महिला काॅलेजों का ही । इसलिए इनका सामना करते समय लड़कियों को सावधान रहना चाहिए यानी बचना ऐ हसीनो की तर्ज पर क्योंकि सब जानते हैं कि राहुल गांधी कुंवारे हैं । वे समस्या पैदा करने वाले हैं । ऐसे में लड़कियों को राहुल गांधी से सतर्क रहना चाहिए । उनके सामने न झुकें । हद है यार । कैसी सोच है ? कैसे जन प्रतिनिधि रहे होंगे ये जाॅर्ज महाशय ? कांग्रेस ने इनकी गिरफ्तारी की मांग की थी । ऐसे महिला विरोधी बयान पर । माकपा ने इससे किनारा कर लिया । पर क्या बोले गये शब्द वापस मुंह में आ जाते हैं या उनका प्रभाव नहीं रहता ? सवाल है ।


चुनाव प्रचार में आम तौर पर मर्यादाएं टूटती हैं । आरोप प्रत्यारोप दिन-प्रतिदिन तीखे होते जाते हैं । चाहे बाद में माफी मांगनी पड़ जाये । अपुन का क्या जाता है ? 

दिल्ली का चुनाव आया था तो अनुराग ठाकुर ने क्या क्या नहीं कहा अरविंद केजरीवाल को ? मिश्रा क्या नहीं बोले? चुनाव आप ने जीत लिया । सब माफ । जनता ने हिसाब कर दिया सारा । 

मज़ेदार बात कि आप यूपी का चुनाव नहीं भूले होंगे । जब गुजरात के गधों की बात चल पड़ी थी । कितना हास्यास्पद । कितना गैर जरूरी । न कोई मुद्दा, न कोई जन कल्याण की बात । पश्चिमी बंगाल में चुनाव से पहले और संभवतः चुनाव के बाद भी हिंसा बढ़ती जा रही है और बढ़ती जायेगी । ऐसे ही आरोप लगाने का सिलसिला जारी है । प्रियंका गांधी के बारे में सुब्रह्मण्यम स्वामी ने क्या क्या नहीं कह दिया था । शराब पीने और नशे में रहने तक के आरोप लगा दिये थे । कहीं तो रुक जाइए । कहीं तो कोई सीमा तय कीजिए । प्रज्ञा ठाकुर ने जब गोडसे को सही ठहराया तब क्या किसी ने उसे रोका ? बस दुख व्यक्त कर प्रधानमंत्री खामोश हो गये । प्रज्ञा ठाकुर की बात पर चाहे कितना हंगामा हुआ । 

क्या चुनाव में मर्यादाएं खत्म हो जाती हैं जैसे महाभारत में हो गयी थीं ? चौकीदार चोर है का नारा लगवाते रहे राहुल पर जनता ने नकार दिया । क्यों? ऐसे नारे की जरूरत पड़ी? तमिलनाडु में चुनाव चक्करम् में क्या क्या नहीं हुआ? हरियाणा में तो बस नाक कान कटवा लेने या राजनीति से संन्यास लेने की शपथ ली जाती है जो कभी कोई पूरी नहीं करता । सब नेताओं के नाक व कान भगवान् सलामत रखे । कभी कभी शोले वाला डाॅयलाग भी सुनने को मिल जाता है -बहुत बड़ी नचनिया है ये । आप समझ गये होंगे कि ये फिल्मी व लोक कलाकारों के लिए कहा जाता है और फिर माफी मांग ली जाती है । यानी शब्द ब्रह्म है । फिर भी ...
 

कबीर ठीक ही तो कह गये 
वाणी ऐसी बोलिए, मन का आपा खोये 
औरन को शीतल करे, आपहिं शीतल होये ....