बार और बेंच एक सिक्के के दो पहलूः न्यायमूर्ति सूर्यकांत
ऑल इंडिया सीनियर एडवोकेट्स एसोसिएशन द्वारा सम्मान समारोह आयोजित।

नई दिल्ली, गिरीश सैनी। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने मंगलवार को कहा कि बार और बेंच एक सिक्के के दो पहलू हैं, जिनका एक ही लक्ष्य है - न्याय की खोज।
ऑल इंडिया सीनियर एडवोकेट्स एसोसिएशन (एआईएसएए) द्वारा आयोजित सर्वोच्च न्यायालय के चार न्यायाधीशों, न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह, न्यायमूर्ति आर. महादेवन, न्यायमूर्ति मनमोहन और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन के सम्मान समारोह में बोलते हुए न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि न्यायाधीश यह सुनिश्चित करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करते हैं कि वादियों के साथ कोई अन्याय न हो, लेकिन गुणवत्तापूर्ण सहायता प्रदान करने की समान जिम्मेदारी बार की भी है। उन्होंने कहा कि बार और बेंच एक सिक्के के दो पहलू हैं, जिनका एक ही लक्ष्य है, यानी न्याय की खोज। हमारा प्रयास हर मामले में सच्चाई को खोजना है। न्यायाधीशों के रूप में, हम यह सुनिश्चित करने की पूरी कोशिश करते हैं कि कोई अन्याय न हो। लेकिन बार पर भी समान जिम्मेदारी है, जो हमें गुणवत्तापूर्ण सहायता प्रदान करने में सहायता करती है। मुझे यकीन है कि भारत के पास जो प्रबुद्ध बार है, वह न्यायपालिका के लिए बहुत बड़ी संपत्ति है। उन्होंने कहा कि बार हमारा योगदान और सहायता करना जारी रखेगा तथा अंतिम व्यक्ति तक किफायती न्याय पहुंचाने के मिशन और विजन का हिस्सा रहेगा।
इस अवसर पर केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने सर्वोच्च न्यायालय के नवनियुक्त न्यायाधीशों को बधाई देते हुए कहा कि न्यायाधीशों ने यह पद इसलिए हासिल किया है क्योंकि उन्होंने बहुत ही पवित्र और स्वच्छ जीवन जिया है।
इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ ज्यूरिस्ट के अध्यक्ष डॉ. आदिश सी अग्रवाल ने कहा कि भारतीय सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश दुनिया के सबसे मेहनती न्यायाधीश हैं और यही कारण है कि भारतीय सर्वोच्च न्यायालय में निपटान दर दुनिया में सबसे अधिक है। अटॉर्नी जनरल और एआईएसएए के चेयरमैन आर. वेंकटरमणी, विधि आयोग के पूर्व अध्यक्ष और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश डॉ. बी.एस. चौहान, एआईएसएए के अध्यक्ष और सांसद पी. विल्सन और इसके उपाध्यक्ष व सांसद विवेक तन्खा ने भी कार्यक्रम में अपने विचार रखे।/5/3