शिक्षा हो या रोजगार, भ्रष्टाचार की परतें हजार
पंजाब में हाल ही में शहीदी दिवस पर, एंटी करप्शन हैल्पलाइन नंबर 95012-00200 जारी होने के एक सप्ताह के अंदर ही, वीडियो और ऑडियो के जरिए डेढ़ लाख शिकायतें मोहाली मुख्यालय पहुंच गईं। अंदाजा लगा लीजिए, राज्य किस कदर भ्रष्टाचार में डूबा हुआ है। यह प्रांत यूं ही बेतहाशा कर्ज में नहीं डूबा है, इसे इसके अपनों ने ही गर्त में ढकेला है। वर्ष 2008 के दौरान कहीं सुना था कि पंजाब में किसी प्रोजेक्ट को मंजूरी ही तब मिलती थी जब ऊपर का हिस्सा सेट कर दिया जाता था। उसके बाद के हालात भी माशा अल्लाह ही रहे। सबने खूब कमाया और प्रदेश को डुबोते चले गए। नई चाल दिखाने के लिए ही सही, मान सरकार कुछ तो बेहतर करेगी, जिससे पंजाब की अर्थव्यवस्था में थोड़ी जान पड़ सकेगी। विधायकों को एक ही पेंशन देने का फैसला काबिले तारीफ है, वरना अनेक नेता कई सारी पेंशन लेकर सरकारी खजाने को लूटने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे थे।
निजी स्कूलों में मनमाने तरीके से फीस बढ़ाने से लेकर अभिभावकों को बच्चों की किताबें और यूनिफॉर्म किसी एक खास दुकान से ही खरीदने को विवश करने पर रोक लगाकर भी पंजाब सरकार ने एक अच्छा उदाहरण पेश किया है, जिसे अन्य राज्यों को भी अमल में लाना चाहिए। शिक्षा के क्षेत्र में यह एक ऐसा भ्रष्टाचार है जिसके आगे माता-पिता बेबस दिखाई देते हैं और कोई मदद के लिए आगे नहीं आता। अब पंजाब के लोग अपने बच्चों की किताबें और यूनिफॉर्म मनचाहे स्टोर से खरीद सकेंगे। यह दूसरी बात है कि स्कूल वाले लूटने का कोई और तरीका निकाल लेंगे। भ्रष्टाचार के मामले में हरियाणा भी पीछे नहीं है। अपनी तेज-तर्रार कार्यशैली और साफगोई के लिए मशहूर हरियाणा के सीनियर आईएएस अफसर अशोक खेमका ने मुख्यमंत्री को लिखी अपनी चिट्ठी में 300 करोड़ रुपए से ज्यादा की रिश्वतखोरी का खुलासा किया है। उन्होंने कहा है कि प्लाटों की रजिस्ट्री में प्रति वर्ग गज 200 से 500 रुपए तक रिश्वत लिए जाने की उन्हें सूचना मिली है। कुल करीब 64 हजार से अधिक रजिस्ट्रियों में अनियमितता मिली है। इनमें आधे से ज्यादा मामले करनाल, गुड़गांव और फरीदाबाद के हैँ। अगर प्लाट का आकार औसतन 250 वर्ग गज मानें और रिश्वत की रकम कम से कम 200 रुपए प्रति वर्ग गज मानें तो यह भ्रष्टाचार 300 करोड़ रुपए का बनता है।
पंजाब यूनिवर्सिटी के यूनिवर्सिटी बिजनेस स्कूल (यूबीएस) के डॉ. कुलविंदर सिंह की रिसर्च के अनुसार, पंजाब से विदेश जाने वालों में 71 प्रतिशत ऐसे लोग हैं जो गैर कानूनी तरीके से बाहर जाते हैं। कम शिक्षित या सेमी स्किल्ड पंजाबी जब कानून सम्मत तरीके से नहीं जा पाते हैं, यानी जिनका आवेदन अस्वीकृत हो जाता है, तब वे गैर-कानूनी तरीका यानी इर्रेगुलर माइग्रेशन चुनते हैँ। इनमें 57 प्रतिशत लोग यूरोपीय देशों का रुख करते हैं। करीब 18 प्रतिशत अरब देशों और 11 प्रतिशत दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों की ओर जाते हैं। इनमें से ज्यादातर की उम्र 40 साल से कम और 95 प्रतिशत की शिक्षा 12वीं या उससे कम होती है। नई दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास ने अपनी ओपन डोस रिपोर्ट जारी करके खुलासा किया कि 2020-21 के सत्र में 200 देशों के 9.14 लाख विदेशी छात्र अमेरिका में शिक्षा ले रहे थे, जिनमें 20 प्रतिशत यानी करीब 1.67 लाख छात्र भारत के थे।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार व कॉलमिस्ट हैं)