जिस आकाशवाणी में उद्घोषक न चुना गया उसी का प्रभारी बना: पवन कुमार
-कमलेश भारतीय
जिस हिसार आकाशवाणी केंद्र में सन् 2011 में उद्घोषक न चुना गया, आज उसी केंद्र का प्रभारी हूं । सन् 2015 से । एक जिद्द सी थी और बचपन से रेडियो में काम करने का सपना था जो पूरा किया । यह कहना है आकाशवाणी के हिसार केंद्र के प्रभारी यानी कार्यक्रम अधिशासी पवन कुमार का । वे मूल रूप से जिला हिसार के ही गांव रावलवास खुर्द के निवासी हैं ।
-शिक्षा कहां हुई ?
-हिसार के गवर्नमेंट काॅलेज से न केवल ग्रेजुएशन बल्कि एम ए इंग्लिश भी की । एम फिल की सीएलडीयू , सिरसा से और जनसंचार की डिग्री ली गुरु जम्भेश्वर विश्वविद्यालय के सीएमटी विभाग से । इसके बाद लाॅ किया कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से ।
-काॅलेज के दौरान किन गतिविधियों में भाग लेते थे ?
-पोस्टर मेकिंग और क्विज़ । क्विज़ में जोनल लेवल पर पुरस्कार भी मिले । यही नहीं काॅलेज मैगजीन मार्निंग स्टार के अंग्रेजी विभाग का छात्र संपादक भी रहा । एक वर्ष हिंदी विभाग का भी छात्र संपादक रहा ।
-पहली जाॅब ?
-पशुपालन विभाग में पांच साल लेकिन रेडियो में जाने के लिए तैयारी करता रहा और आखिर सन् 2015 में चुना गया और यहीं हिसार का केद्र मिला ।
-ऐसा क्या शौक था ?
-बचपन से ही आकाशवाणी कार्यक्रम सुनता था । सन् 2011 के ऑडिशन में सफल न होने पर भी हौंसला नहींष हारा ।सन् 2015 में इसी केद्र का प्रभारी बन गया।
-क्या योगदान दे पाये अब तक ?
-सूचना , शिक्षा व मनोरंजन तीन चीज़ें ही आकाशवाणी देती आ रही है । ग्रामीण श्रोताओं को हरियाणा की लुप्त होती संस्कृति से जोड़ना । कृषि संबंधी जानकारी उपलब्ध करवाना।
-प्रशानिक योगदान क्या रहा?
आकाशवाणी के सौंदर्यीकरण पर विशेष ध्यान दिया l बहुत से पेड़ लगाकर परिसर को हरा भरा बनाया गया।
-नये उद्घोषकों को क्या सलाह ?
-अपने विषय की खूब जानकारी और तैयारी करें । नये उद्घोषकों को चुने जाने के साथ बाकायदा प्रशिक्षण दिया जाता है ।
-कोई पुरस्कार ?
-जो काॅलेज के दिनों में मिले । आकाशवाणी की ओर से समय समय पर प्रशंसा पत्र मिलते रहते हैं ।
हमारी शुभकामनाएं पवन कुमार को ।