समाचार विश्लेषण/बिहार और बरोदा : क्या निकलेगा?

समाचार विश्लेषण/बिहार और बरोदा : क्या निकलेगा?
कमलेश भारतीय।

-कमलेश भारतीय 

बिहार और बरोदा में आज मतदान है । बरोदा में उपचुनाव तो बिहार में विधानसभा चुनाव । दोनों में एक बात समान कि सत्ता पक्ष ने वादों के अम्बार लगाने में कोई कमी नहीं छोड़ी । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव से ठीक पहले पता नहीं कितनी योजनाएं बिहार को दे दीं । कोई हिसाब नहीं । कुछ पश्चिमी बंगाल के लिए भी रख लेते । सब बिहार को ही दे दोगे क्या? जैसे जींद उपचुनाव में सब घोषणाओं का पिटारा खुला लेकिन सच में कुछ नहीं किया । वही पिटारा लेकर मनोहर लाल खट्टर जी बरोदा में आ गये । अब बरोदा वाले कुछ समझेंगे या नहीं ? ये तो वही जानें लेकिन चुनाव में जैसी भाषा, मर्यादा प्रयोग की जाती रहती हैं । जैसे यूपी के चुनाव में मामला गुजरात के गधों तक पहुंच गया था और कब्रिस्तान बनाम श्मशान भी हो गया था । बिहार में चिराग पासवान अलग डफली बजाता रहा और लगता है कि उसकी दाल गलने नहीं जा रही । सीधी टक्कर तेजस्वी और नीतीश कुमार में । क्यों भई चाचा ? हां भतीजा ।

 हरियाणा में चुनाव में चुनौतियां बहुत दी जाती हैं ।  यदि मैं न जिता पाया अपने प्रत्याशी को तो संन्यास ले लूंगा राजनीति से । पर आज तक किसी नेता ने ऐसा घातक कदम उठाया नहीं । कभी चौ भजन लाल नाक कान कटवाने तक की बातें कहते रहे । पर शुक्र है जनता ने उनके नाक कान आखिरी दम तक सलामत रखे । इस बरोदा में इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला यह कहते रहे कि हमें जिता दो तो सरकार बदल दूंगा । बेटे व जजपा के सुप्रीमो पूछते रहे कि एक विधायक वाली पार्टी इनेलो कैसे यह करिश्मा कर सकती है ? जजपा के दुष्यंत भी गठबंधन धर्म निभाने पहुंचे । शोर मच रहा है कि सरकार आचार संहिता का खुलेआम उल्लंघन कर रही है । फिर वह सरकार कैसी और सत्ता पक्ष को फायदा ही क्या ? यह तो आम आरोप हो गये । निर्वाचन आयोग आंख बंद रखता है ।

बरोदा और बिहार से क्या वह निकल कर आता है ,,,इसका इंतज़ार कीजिए और कहा भी है 
जो मज़ा इंतज़ार में है 
वो वैसे वे यार में नहीं ,,,