मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जीवनी का हुआ लोकार्पण
पटना. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जीवन पर केंद्रित पुस्तक 'नीतीश कुमार : अंतरंग दोस्तों की नज़र से' का लोकार्पण सोमवार को पूर्व मुख्यमंत्री और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने किया। यह जीवनी राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित हुई है। इसके लेखक उदय कान्त हैं जो नीतीश कुमार के कॉलेज के दिनों से मित्र हैं। इस जीवनी के लेखन में नीतीश कुमार के अन्य कई मित्रों का भी योगदान है।
सम्राट अशोक कन्वेंशन सेंटर स्थित ज्ञान भवन में आयोजित लोकार्पण कार्यक्रम में बिहार विधान परिषद के सभापति देवेश चन्द्र ठाकुर और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी पोलित ब्यूरो सदस्य सुभाषिनी अली विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। इस दौरान जीवनी के लेखक उदय कान्त ने इस पुस्तक की बिक्री से मिलने वाली रॉयल्टी की राशि विकलांग लोगों के कल्याण हेतु देने की घोषणा की।
जीवनी का लोकार्पण करते हुए लालू प्रसाद यादव ने कहा, मुझे प्रसन्नता है कि हमारे अभिन्न मित्र और छोटे भाई नीतीश कुमार पर उदय कान्त ने इतनी बड़ी किताब लिखी है। यह ऐसे समय में हो रहा है जब देश टूट रहा है, लोकतंत्र पर हमले हो रहे हैं। ऐसे में यह किताब देश के लोगों को यह बताएगी कि हम पहले भी साथ रहे हैं। नीतीश कुमार बिलकुल साधारण घर से निकले हुए व्यक्ति हैं। वे जब केंद्र में मंत्री बने तो उन्होंने मंडल कमीशन को लागू कराने और पिछड़े दलित लोगों के उत्थान का काम किया।"
आगे उन्होंने कहा कि "आगे भी हम नीतीश कुमार के साथ एकजुट होकर भारत की रक्षा करेंगे और लोकतंत्र को मजबूत करेंगे।"
इसके बाद जीवनी के लेखक उदय कान्त ने अपने वक्तव्य में कहा, "मैं एक आंदोलन में शामिल होने के लिए पटना आया था। यहाँ मेरी मुलाकात नीतीश कुमार से हुई। उन्होंने मुझे एक ऐसा सपना दिखाया कि अब यह दुनिया बदलने वाली है। कुछ हद तक उनकी बात सही भी साबित हुई। नीतीश एक ऐसे व्यक्ति हैं जिनको परत दर परत आप जैसे-जैसे जानते जाएंगे, उनके लिए मोहब्बत उतनी ही बढ़ती जाएगी। उनकी जीवनी के रूप में आई यह किताब हमें यह बताती है कि कैसे एक बूँद समुद्र बन सकती है।" उन्होंने कहा, "आज नीतीश कुमार जी उम्र के जिस पड़ाव पर हैं उसी उम्र में जेपी ने देश को जगाया और एक तब्दीली लाई। मैं उम्मीद करता हूँ कि नीतीश भी उसी तरह देश को जगाकर एक तब्दीली लाएंगे।"
आगे उन्होंने कहा कि "हम विकलांग लोगों को यह ट्रेनिंग देना चाहते हैं कि प्राकृतिक आपदाओं के समय कैसे अपनी सुरक्षा खुद कर सकते हैं। इसके लिए हमें फंड की जरूरत है जिसमें इस किताब की पहली प्रति लेने वालों ने अपना योगदान दिया, इसके लिए हम उनके आभारी हैं।"
लालू प्रसाद यादव के हाथों दस हजार रुपये में जीवनी की पहली प्रति लेकर दिव्यांगजनों के कल्याण के लिए समर्पित संस्थाओं को सहयोग देने के लिए कई समाजसेवी आगे आए। इनमें में प्रीति भटनागर ऊटी, क्षमानाथ गुड़गांव, राजीवकांत भागलपुर, सुमित बजाज दिल्ली, कौशल किशोर मुंबई, डॉ. जवाहर पटना और अनुपम कुमार के नाम शामिल हैं।
मंचासीन वक्ताओं में बिहार सरकार में वित्त, वाणिज्य कर एवं संसदीय कार्य विभाग के मंत्री विजय कुमार चौधरी; भवन निर्माण विभाग मंत्री अशोक चौधरी; जल संसाधन, सूचना एवं जनसंपर्क विभाग मंत्री संजय कुमार झा; राज्यसभा सदस्य एवं राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता मनोज कुमार झा; मुख्यमंत्री के परामर्शी एवं बिहार सरकार के पूर्व मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह और राजकमल प्रकाशन समूह के अध्यक्ष अशोक महेश्वरी मौजूद रहे।
सुभाषिनी अली ने कहा कि "इस जीवनी में तीन तरह के नीतीश कुमार की कहानी है। सबसे पहले गांव और कस्बे के मुन्ना, फिर छात्र जीवन में बने नेताजी और उसके बाद हर तरह के मंत्रीजी। इस जीवनी के माध्यम से हम समझ सकते हैं कि नीतीश जी शराबबंदी को लेकर इतने कटिबद्ध क्यों हुए, मंडल-कमंडल की विरोधाभासी राजनीति के भूलभुलैया में उनका टेढ़ा-मेढ़ा सफ़र और आज के खतरनाक दौर में उनका क्या महत्व है, साथ ही उनके व्यक्तित्व के दूसरे पहलुओं जैसे छात्र जीवन में उनके कमरे के नीचे की गरीब बस्ती में रात भर पिटते महिलाओं और बच्चों की चीखों का उन पर जो असर हुआ और पुस्तक प्रेमी नीतीश जी के गृह जनपद में पुस्तक जलाने वालों की चुनौती, ये सब उनकी अब तक की यात्रा के वह पड़ाव हैं, जो बहुत प्रेरक हैं।"
इसके बाद मनोज कुमार झा ने कहा, "मैं राजकमल प्रकाशन के किसी भी लोकार्पण कार्यक्रम में जाता हूँ तो उस किताब के माध्यम से अपनी बात कहने की कोशिश करता हूँ।" किताब पर बोलते हुए उन्होंने कहा, "आपकी जीवनी अगर आपका कोई दोस्त लिखे तो वह पूरी ईमानदारी बरतता है। दोस्त जब आपके बारे में कुछ लिखते हैं तो मोती की तरह चीजों को चुनते हैं।" किताब में आए जेपी आंदोलन के जिक्र पर बात करते हुए उन्होंने कहा, "जेपी आंदोलन ने बहुत नायाब चीजें हमें दी हैं। अब वैसा आंदोलन खड़ा करने की संभावना नहीं है।"
इसके बाद उन्होंने नीतीश कुमार की लिखी एक कविता श्रोताओं को सुनाई-
"मैं रोज जीता हूँ, रोज मरता हूँ
व्यवस्था के खिलाफ खड़ा न होने की कायरता में.."
आगे उन्होंने कहा, "आगे भी कई और किताबें लिखी जाएँगी नीतीश जी पर, उनके सहयोगी लालू जी और बाकी लोगों पर भी। आप उन सबसे असहमत हो सकते हैं लेकिन उन्हें नजरअंदाज नहीं कर सकते। मैं इस किताब के प्रकाशन के लिए बधाई देता हूँ और आशा करता हूँ कि उदय कान्त जी जैसे दोस्त सबको मिलें।"
विजय कुमार चौधरी ने अपने वक्तव्य में कहा, "इस किताब के नायक और लेखक दोनों मेरे लिए आकर्षण के विषय हैं। लेखक से मेरे परिचय का कारण भी इस किताब के नायक ही रहे हैं। मुझे लगता है कि यह लेखक की नायक से अंतरंगता के कारण ही है कि इस किताब की भाषा इतनी धारदार है। इस किताब की खास बात यह है कि इसे पढ़ते हुए ऐसा लगता है कि किताब के दृश्य हमारी आँखों के सामने घट रहे हैं।"
आगे उन्होंने कहा, "जो आदमी समय की कीमत जानता है वही समय की मदद से आगे बढ़ता है। नीतीश जी के व्यक्तित्व की सबसे खास बात उनका समय प्रबंधन है। घड़ी को समय बताने में चूक हो सकती है लेकिन नीतीश जी के समय प्रबंधन में चूक नहीं होती।"
अंजनी कुमार सिंह ने कहा कि "माननीय मुख्यमंत्री जी के व्यक्तित्व की सबसे खास बात यही है कि वे बोलने से ज्यादा काम करने में विश्वास करते हैं। अगर आप अच्छा काम करते हैं तो दुनिया अपने आप आपको जान जाएगी। नीतीश कुमार जी के रूप में इस बात का उदाहरण हमारे सामने है। उनके काम करने का तरीका बड़ा सरल है, वे कम से कम शब्दों में बड़े प्रभावी निष्कर्ष और फैसले पर तक पहुँचते हैं। ऐसे कर्मठ व्यक्ति की जीवनी का प्रकाशन हम सबके लिए खुशी की बात है।"
इस मौके पर राजकमल प्रकाशन समूह के अध्यक्ष अशोक महेश्वरी ने कहा, "आज एक ऐसे नेता की जीवनी का लोकार्पण हो रहा है जो अपने बारे में कभी कुछ नहीं कहता! अब तक हम सब केवल नीतीश जी के राजनीतिक जीवन से परिचित थे लेकिन इस जीवनी ने उनके व्यक्तिगत और पारिवारिक जीवन के कई ऐसे पहलू उजागर किए हैं जो पहले ज्यादातर लोगों को ज्ञात नहीं थे। इस जीवनी में उनके एक सामान्य कस्बे में रहने वाले व्यक्ति से लेकर वर्तमान मुकाम तक पहुँचने की संघर्ष भरी दास्तान है। यह जीवनी हम सबको प्रेरणा देती है कि अगर हम लगातार अपने रास्ते पर बने रहते हैं तो बड़े से बड़ा मुकाम भी हासिल किया जा सकता है। मैं उदय कान्त जी समेत नीतीश जी के उन सभी मित्रों को धन्यवाद देता हूँ, जिन्होंने इस जीवनी को हमारे सामने प्रस्तुत किया।"
लोकार्पण कार्यक्रम का संचालन जगजीवन राम संसदीय अध्ययन एवं राजनीतिक शोध संस्थान के निदेशक नरेन्द्र पाठक ने किया। कार्यक्रम के समापन पर राजकमल प्रकाशन की पटना शाखा के प्रबंधक वेद प्रकाश ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया।