भाजपा और कांग्रेस-पहले आप

भाजपा और कांग्रेस-पहले आप

-*कमलेश भारतीय
हरियाणा विधानसभा चुनाव की तारीखें घोषित होकर बदल भी चुकीं लेकिन न ही भाजपा और न ही कांग्रेस अभी तक अपने अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर रहीं हैं, यदि करने भी लगें तो होल्ड पर रख देती हैं । मज़ेदार बात कि प्रत्याशियों के चयन की महाबैठके़ं रोज़ रोज़ हो रही हैं दोनों शिविरों में ।  स्क्रीनिंग कमेटियों में लगातार मंथन चल रहा है लेकिन न भाजपा और न ही कांग्रेस प्रत्याशियों की सूची जारी नहीं कर रही है बल्कि ऐसा लगता है कि दोनों एक दूसरे की ओर देख कर नवाबी शान में कह रहे हैं -पहले आप, पहले आप, भाई साहब, पहले आप। इस चक्कर में जजपा भी परेशान है क्योंकि वह भी पिछली बार की तरह कांग्रेस या भाजपा के रूठे हुए प्रत्याशियों को टिकट देने के लिए लपकने को तैयार बैठी है। बताओ, कितनी श्रृंखलायें एक के साथ एक दूसरे से जुड़ी हुई है ।  हां, एक काम हो रहा है -भाजपा और कांग्रेस दिन प्रतिदिन मज़बूत होती जा रही हैं, अपने ही मुंह मियां मिट्ठू बनकर। जैसे कल पूर्व मंत्री देवेद्र बबली और सुनील सांगवान भाजपा में शामिल हुए तो भाजपा अपनी ही नज़रों में, अपने ही आईटी प्रकोष्ठ के प्रचार के अनुसार मज़बूत हो गयी ।   हिसार से एक पूर्व मंत्री जाकर नेता प्रतिपक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से मिले कांग्रेस मजबूत होने लगी, आर टी आई के एक पूर्व  आयुक्त फिर से कांग्रेस में शामिल हो गये, कांग्रेस मजबूत हो गयी ? सवाल है यह कि ऐसे दलबदल से राजनीतिक दल कब तक मज़बूत और कमज़ोर होते रहेंगे? यह इधर उधर की रस्साकूद सर्कस कब बंद होगी ? दोनों दल इसको प्रोत्साहन दे रहे हैं ।  इस दलबदल पर अंकुश कौन लगायेगा ? यह सुविधा की राजनीति और हवा बदलने के साथ दल बदलने की राजनीति कब खत्म होगी? कैसे एकाएक आस्था बदल जाती है ? अभी  तो लोकसभा चुनाव में हिसार में पूर्व मंत्री के घर भाजपा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी आये थे जलपान रखा था, अभिनन्दन किया था और अभी हृदय परिवर्तन कैसे ? अभी तो आवास के बाहर पोस्टर लगे थे, बैनर लगे थे, कहां गये ? अभी तक तो पूर्व आयुक्त भाजपा के गुणगान गाते थकते न थे, अभी ये सुर कैसे बदल गये एकदम से ? देवेंद्र बबली कांग्रेस के पास टिकट मांगने गये थे, सकारात्मक जवाब न मिलने पर भागकर भाजपा में शामिल हो गये ।  भाजपा का समर्पित कार्यकर्त्ता कभी टोहाना से टिकट पा सकेगा ? वही चौ बीरेंद्र सिंह वाला मुहावरा -ज़िंदगी भर दरिया़ं ही बिछाता रहेगा ।  हालांकि चौ बीरेंद्र सिंह कांग्रेस छोड़कर यही कहते चले गये कि मैं दरिया़ बिछाने नहीं आया हूँ लेकिन बात भाजपा में भी नहीं बनी, फिर लौटे कांग्रेस में, अब क्या करेगे ये वही जानें ।  राव इंद्रजीत इंसाफ रथ लेकर निकलने से पहले भाजपा में शामिल हो गये, रहे राज्यमंत्री के राज्यमंत्री ही, न भाग्य बदला, न मंत्रीपद पर प्रमोशन हुआ ।  देखा जाये तो हासिल क्या किया? यही राजनीति है जाॅनी ।  इसी का नाम राजनीति है, हवा  का रुख देखो और समय रहते पाला बदल लो, नहीं तो हाथ मलते रह जाओगे ।  
हवा का रुख देखने में सबसे बड़े पारखी थे पूर्व मंत्री रामबिलास पासवान ।  उनके जैसा राजनीतिक मौसम वैज्ञानिक कोई नहीं हुआ, अभी  तक ।  तो अभी तक टिकट इसीलिए घोषित नहीं हो पा रहे जीतने वालों के साथ दल बदलने वालों को भी एडजस्ट करना है और जो निर्दलीय डट जाने वाले हैं, उनका भी ध्यान रखना है । इसलिए भाजपा और कांग्रेस कह रही हैं, बड़े अदब से-पहले आप , पहले आप, भाई साहब!! बशीर बद्र कहते हैं :
जी बहुत चाहता है सच बोलें
क्या करें, हौंसला नहीं होता! 

-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी।