गरीबों को अशिक्षित व बेरोजगार बनाकर जाति-धर्म के झगड़े में धकेलना चाहती है बीजेपीः आशा हुडडा
रोहतक, गिरीश सैनी। एससी, ओबीसी, गरीब और किसान परिवारों के बच्चों को बीजेपी सिर्फ जाति-धर्म के झगड़े में उलझाकर रखना चाहती है, इसलिए उन्हें तय नीति के तहत शिक्षा व रोजगार से वंचित रखा जा रहा है। ये कहना है पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की धर्मपत्नी आशा हुड्डा का। आशा हुड्डा रोहतक लोकसभा से कांग्रेस प्रत्याशी दीपेंद्र सिंह हुड्डा के समर्थन में आयोजित वाल्मीकि सम्मेलन सहित अन्य कई कार्यक्रमों को संबोधित कर रही थी।
उन्होंने कहा कि बीजेपी दलित-पिछड़ों के आरक्षण को छीनने के मकसद से ही देश के संविधान को बदलना चाहती है। क्योंकि सत्ताधारी पार्टी का मानना है कि अगर वंचित वर्गों के बच्चे अच्छी शिक्षा और रोजगार हासिल कर लेंगे तो वो जाति-धर्म की राजनीति में नहीं फंसेंगे।
आशा हुड्डा ने कहा कि सत्ता में बैठे लोगों के राजनीतिक पूर्वजों ने 1950 में बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर के संविधान का विरोध किया था और उसकी कॉपियां जलाई थी। आज की बीजेपी भी उसी मानसिकता से ग्रसित है। वो दलित और गरीबों की बजाए केवल पूंजीपतियों के हित में काम करती है।
आशा हुड्डा ने कहा कि कांग्रेस कार्यकाल के दौरान गरीब बच्चों को शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करने के लिए मुफ्त शिक्षा का अधिकार दिया। भूपेंद्र सिंह हुड्डा कार्यकाल के दौरान गरीब बच्चों को देश में सबसे ज्यादा छात्रवृत्ति दी जाती थी। लेकिन बीजेपी ने इस छात्रवृत्ति में भी करोड़ों का घोटाला कर डाला और इस सहायता राशि को बंद कर दिया। उन्होने कहा कि कांग्रेस सरकार बनने पर इस योजना को फिर से शुरू किया जाएगा। साथ ही हर गरीब परिवार की महिला को सालाना एक लाख रुपये दिए जाएंगे। बुढ़ापा पेंशन को बढ़ाकर 6000 रुपये किया जाएगा। 300 यूनिट मुफ्त बिजली और 500 रुपये में गैस सिलेंडर मिलेगा। गरीब परिवारों को सौ-सौ गज के प्लाट और दो कमरों के साथ दिए जाएंगे। बाबा साहेब के नाम पर छात्रावास, लाइब्रेरी और मेडिकल कॉलेज खोले जाएंगे।