भाजपा की वर्चुअल रैलियां और सांसद महोदय का कारनामा/कमलेश भारतीय

वाह री सियासत!   

भाजपा की वर्चुअल रैलियां और सांसद महोदय का कारनामा/कमलेश भारतीय
कमलेश भारतीय।

हमारे नेता और अभिनेता एक आदर्श की तरह समाज के सामने होते हैं । अभिनेता जो पहनते हैं , वही फैशन बन जाता है ।राजेश खन्ना ने कुर्ते के साथ पैंट क्या पहनी वही फैशन बन गया था ।साधना कट कितना लोकप्रिय हुआ सब जानते हैं । इसी प्रकार चाचा नेहरू का गुलाब का फूल और उनके कोट का कट कौन भूल सकता है ? गांधी टोपी कितनी प्रचलित हुई ? अरविंद केजरीवाल का मफलर ? अब  देखिए मोदी कोटी भी तो काफी मांग में रहती है कि नहीं ? फिर आप नेताओं , अभिनेताओं को भी हर कदम सोच समझ कर उठाना चाहिए । अब देखिए कोरोना के संकट से सोशल डिस्टेंसिंग का पाठ लगातार पढ़ाया जा रहा है पर खुद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष वर्चुअल रैलियों का आयोजन कर रहे हैं । हालांकि अब चीन से विवाद और सैनिकों की शहादत को देखते इनका आयोजन रद्द कर दिया गया है पर ऐसी रैलियों की अभी जरूरत क्या और क्यों ? देश कोरोना से लड़ने में व्यस्त और आप वर्चुअल रैलियों के आयोजन में जुट गये ? बिहार में तेजस्वी यादव और उनकी माता राबड़ी देवी ने ताली और थाली बजा कर इन रैलियों का विरोध किया हालांकि अपने समर्थकों को इकट्ठे करने का उनका कदम भी सराहनीय नहीं कहा जा सकता । अब हरियाणा से करनाल के सांसद संजय भाटिया ने कमाल कर दिया । कोरोना टेस्ट की रिपोर्ट आने से पहले ही अपने समर्थकों से मिलने पहुंच गये जिसकी चर्चा हो रही है । जबकि संजय भाटिया का कहना है कि कोरोना टेस्ट की रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद ही वे समर्थकों से मिलने गये और डाॅक्टर कह रहे हैं कि संजय भाटिया की निगेटिव रिपोर्ट दोपहर को दी जबकि वे तो सुबह ही समर्थकों के बीच पहुंच चुके थे । बताइए यह क्या संदेश दे रहे हो सांसद जी ? यह समाज को कौन सी सोशल डिस्टेंसिंग सिखा रहे हो ? इस तरह क्या संदेश जायेगा ? सैंपल पानीपत में दिया और करनाल में लोगों से मिल रहे हो बिना रिपोर्ट की प्रतीक्षा किए ? डाॅक्टर कह रहा है कि क्वारेंटाइन का नियम सबके लिए एक जैसा , फिर आपने अपना नियम कैसे बना लिया ? जब तक रिपोर्ट नहीं आई थी तब तक सांसद जी को क्वारेंटाइन में रहना ही चाहिए था । रही सांसद जी की बात तो उनकी जांच रिपोर्ट दोपहर बाद निगेटिव आई । बताइए ? यदि खुद भाजपा या किसी भी दल के नेता सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं करेंगे तो जनता क्यों करेगी ? अनेक नेता तो बिना माॅस्क भी देखे जाते हैं ।  आम आदमी बिना माॅस्क दिखे तो पांच सौ रुपये चालान और नेता दिखे तो महान ? सोचिये । औरों को नसीहत , खुद मियां फजीहत ?