समाचार विश्लेषण /काले कानून और प्रियंका व दीपेंद्र
-*कमलेश भारतीय
कृषि कानून तो पता नहीं काले हों या न लेकिन जिन कानूनों के तहत कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी और दीपेंद्र हुड्डा को गिरफ्तार किया गया वह भी तीस घंटे की हिरासत के बाद सचमुच ही वे कानून जरूर काले कानून कहे जा सकते हैं । वे सिर्फ उन किसान परिवारों से मिलने जा रहे थे ये दोनों जिनके ऊपर केंद्रीय गृह राज्यमंत्री के बेटे ने कथित तौर पर गाड़ी चढ़ा दी थी । उन परिवारों को जाकर ढाढ़स बंधाना ही इनका लखखीमपुर खीरी जाने का मकसद था । इसके बावजूद इन्हें राह में रोक कर धक्का मुक्की की गयी और तीस घंटे तक सीतापुर के रेस्ट हाउस में रखने के बाद आखिर गिरफ्तारी दिखा दी गयी । इससे ज्यादा काले कानून क्या होंगे ? इतना ही पूछा है दीपेंद्र ने कि जिसने किसानों पर गाड़ी चढ़ा दी वह मंत्री पुत्र बाहर क्यों और जो सान्त्वना देने जा रहे थे वे अंदर क्यों? है न अंधा कानून ? यह अंधा कानून है कि नहीं ? अपमानजनक । जो अपराधी हैं या जांच जिनके आसपास घूमने वाली है वे तो बाहर और जो निर्दोष हैं और वे गिरफ्तार । कैसा अंधा कानून है ? जिसकी लाठी उसकी भैंस यूं ही न कहा होगा किसी ने और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री तो अब हर उस राज्य में बैन हो जायेंगे जहां भाजपा का राज न होगा। इनके साथ वही सलूक होगा जो ये अपने राज्य में आने वाले राजनेताओं के साथ कर रहे हैं । किसानों को सान्त्वना देने को किस कानून में गुनाह माना गया है ?
बेशक अब पंजाब की आपसी लड़ाई भूल कर नवजोत सिद्धू ने बयान दिया कि यदि प्रियंका और दीपेंद्र सहित आठ नेताओं को छोड़ा न गया तो लखीमपुर खीरी की ओर कूच करेंगे । थोड़ी देर नहीं हो गयी ? और देर न हो जाये कहीं । कुछ करो तो सही तो जाने ।
इधर हमारे हिसार के भाजपा विधायक को लोक निर्माण विश्राम गृह में किसानों ने रोका और कथित तौर पर कपड़े फाड़ डाले । अब चंडीगढ़ जाकर प्रेस के बीच कह रहे हैं कि मैंने बचपन में जुडो कराटे सीखा है । अब इसका उपयोग करूंगा । नेता जी । जरूरत जुड़ी कराटे की नहीं है । जरूरत है किसानों की समस्या हल करवाने की । आपको अपने जूडो कराटे पर इतना विश्वास अच्छा नहीं । यहां तो मुख्यमंत्री को सलाह दीजिए कि दीपावली से पहले किसानों की दीपावली भी आ जाये ...
देर न हो जाये
कहीं देर न हो जाये,...
-पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।