बीएमयूः वाद-विवाद प्रतियोगिता में निकिता व प्रीति ने मारी बाजी

बीएमयूः वाद-विवाद प्रतियोगिता में निकिता व प्रीति ने मारी बाजी

रोहतक, गिरीश सैनी। बाबा मस्तनाथ विश्वविद्यालय के विधि संकाय में कुलपति प्रो एच.एल. वर्मा के मार्गदर्शन में पर्यावरण के लिए जीवनशैली पर पुनर्चक्रण-एक अभिशाप या वरदान विषय पर एक वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। डॉ रितु, डिप्टी डीन इस जबकि डॉ. प्रमिला, सहायक प्रोफेसर कार्यक्रम की थीं।

कार्यक्रम संयोजिका डॉ रितु ने बताया कि पुनर्चक्रण एक वरदान है, जो उन सामग्रियों का पुन: उपयोग करके प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित करने में मदद करता है जिन्हें अन्यथा कच्चे माल से निकाला और संसाधित किया जाएगा। इससे खनन, ड्रिलिंग और वनों की कटाई का पर्यावरणीय प्रभाव कम हो जाता है। दूसरे, पुनर्चक्रण से लैंडफिल अपशिष्ट कम हो जाता है।

 

सह-संयोजक डॉ प्रमिला ने कहा कि पुनर्चक्रण अभिशाप भी है और वरदान भी। प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करके, लैंडफिल कचरे को कम करके और आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करके, टिकाऊ भविष्य के लिए पुनर्चक्रण महत्वपूर्ण है। हालांकि, इसे अधिक कुशल और प्रभावी प्रक्रिया बनाने के लिए पुनर्चक्रण से जुड़ी चुनौतियों, जैसे उच्च लागत और पर्यावरणीय प्रभावों का समाधान करना आवश्यक है।

 

विधि संकाय के डीन डॉ. मनीष दलाल ने कहा कि पुनर्चक्रण के गुण और दोष दोनों को स्वीकार करके, हम एक संतुलित दृष्टिकोण की दिशा में काम कर सकते हैं। इस दौरान सुरेंद्र, प्रिया, प्रीति, निकिता, दीपक, करीना, आदित्य, दीपांशु, मुस्कान और काजल ने अपना पक्ष रखा। निकिता व प्रीति प्रथम, दीपक व आदित्य दूसरे और करीना, सुरेंद्र व दीपांशु तीसरे स्थान पर रहे। इस दौरान डॉ. सीमा, डॉ. राजरानी, डॉ. सोनिया, डॉ. राहुल मौजूद रहे।