समाचार विश्लेषण/बोफ़ोर्स बनाम राफेल और दो पैर की शपथ
-कमलेश भारतीय
एक बार फिर बासी कढ़ी में उबाल यानी राफेल की कह्टमर मनी की बात उफान पर और कांग्रेस की ओर से इसकी निष्पक्ष जांच करवाये जाने की मांग । जाहिर है कि भाजपा इसकी हंसी उड़ाये और रवि शंकर प्रसाद जी के माध्यम से उड़ा भी रही है । वे फरमा रहे हैं कि कोर्ट तक इस बात को खारिज कर चुका है । फिर फ्रांस के आपसी मीडिया की खींचतान से ऐसी खबर का हम क्या करें? बात ठीक है । बोफ़ोर्स को जितना कैश कर सकते थे , किया । उस मामले में विदेशी मीडिया की कोई खींचतान नहीं थी । वह तो अपने ही गोदी मीडिया का कमाल था । बोफ़ोर्स के साथ साथ आपातकाल और सिख दंगों को कितना कैश किया गया जो कांग्रेस की बड़ी गलतियां साबित हुईं । आपातकाल और सिख दंगों ने फिर कांग्रेस के पैर उखाड़ दिये । जब मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनाया,तब जाकर पंजाब में कांग्रेस को सफलता मिली । दिल्ली अभी बाकी है । दो दो बार विधानसभा में शून्य का प्रदर्शन । कितना शर्मनाक मुकाम । बोफ़ोर्स की तरह राफेल की चर्चा को गर्म नहीं रख पाई कांग्रेस । राफेल को लेकर चौकीदार चोर है का नारा भी नहीं चला । पर जैसे चुनावों में गड़े मुर्दे उखाड़े जाते हैं , ऐसे ही राफेल का किस्सा भी है । अब चुनाव है तो राफेल को आना ही था ,जरा देर लगी । बोफ़ोर्स ने राजीव गांधी की मिस्टर क्लीन की छवि धूमिल कर दी थी । अब राफेल से चाय वाले गरीब आदमी की या फकीर आदमी की छवि का क्या होगा ? कह नहीं सकते ।
जैसे पश्चिमी बंगाल में गुड्डी यानी जया भादुड़ी को आना ही था , जरा देर हो गयी । पर आई और खूब बोल गयी ममता बनर्जी के लिए । ममता ने भी हुंकार भरी कि एक पैर से पश्चिमी बंगाल जीत कर दिखाऊंगी तो दो पैर से दिल्ली । यह होता है नैतिक समर्थन का नतीजा । जया ने साथ दिया तो ममता की आवाज में दम आ गया । कहा भी जया ने कि हम प्रवासी बंगाली हैं और बंगाल की महिला का सम्मान कीजिए । इतना अकेला न समझिये ममता बनर्जी को । एक शपथ से मुख्यमंत्री बनने में अठारह साल इंतजार और संघर्ष किया तो दिल्ली के लिए भी कुछ साल संघर्ष कर लेगी । शुभेंदु जैसे क्षत्रपों और बाबुल सुप्रीमो जैसे फिल्मी लोगों के सहारे पश्चिमी बंगाल जीतने का सपना देख रही है भाजपा । अब किसका सपना सफलता है और किसका नहीं ? तभी तो दीदी ने चोट की कि पहले संसद का चुनाव लड़े,अब विधानसभा का । आगे आगे पंचायत और स्कूल बोर्ड का चुनाव लड़ेंगे क्या ? प्रत्याशी हैं नहीं और दो सौ चार के दावे ।
इधर महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख का इस्तीफा और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र का बयान । दम तो आ गया भाजपा में भी । अनिल देशमुख का इस्तीफा एक नैतिक जीत तो है ही । परमबीर सिंह खुद तो गये साथ में गृहमंत्री भी ले गये । अब करो बसूली और मिल कर चलाओ बसूली अभियान ।