इरफान: सदा रहोगे दिल में
पत्रकार व लेखक कमलेश भारतीय लिखते है - इरफान नहीं रहे पर सदा दिल में रहेंगे, फिल्मी पर्दे पर रहेंगे
इरफान नहीं रहे पर सदा दिल में रहेंगे । फिल्मी पर्दे पर रहेंगे । हर दिल में रहेंगे । एक क्रिकेटर नहीं बनने दिया परिवार ने । सी के नायडू ट्राफी की टीम में सिलेक्शन हो जाने के बाद भी नहीं खेलने दिया तो यह प्रतिभाशाली एक्टर बन गये । एनएसडी में झूठ बोल कर दाखिला पा लिया क्योंकि दस क्या एक भी नाटक नहीं खेला था । पर आत्मविश्वास बहुत काम आया । चुने गये और मुम्बई पहुंचे । मीरा नायर ने चुना लेकिन रोल पर कैंची चला दी । छोटा कर दिया रोल । टर दिल छोटा नहीं किया इरफान ने ।टीवी सीरियल्ज में आए और मुकेश खन्ना से बात की कि मैं सीरियल्ज में तो काम पा रहा हूं , फिल्मों में कब काम मिलेगा ? मुकेश खन्ना ने कहा कि इतनी धूम मचा दो सीरियल्ज में कि फिल्म वाले खुद बुलाएं । वही किया और वही हुआ । बाॅलीवुड तो क्या हालीवुड ने भी बुलाया । पान सिंह तोमर ने स्टार बनाया और पुरस्कार भी दिलाया । पद्मश्री भी बने । एक खिलाड़ी पान सिंह कैसे डाकू बन जाता है , इसे जीवंत कर दिखाया । आखिरी फिल्म अंग्रेजी मीडियम से यह सूर्य अस्त हो गया । इस फिल्म का प्रचार करने स्वास्थ्य के चलते नहीं जा सकते थे तो ऑडियो संदेश जारी किया कि मैं हूं भी और नहीं भी । मेरे शरीर के अंदर कुछ अनचाहे मेहमान बैठे हुए हैं । उनसे गुफ्तगू चल रही है । देखते हैं कि ऊंट किस करवट बैठता है । अभी आप ट्रेलर का मज़ा लीजिए । पर आप मेरा इंतज़ार करना ।
हम इंतजार करेंगे इरफान । फिर फिर तुम्हारी फिल्में देख देख कर । फिर कोई प्रतिभाशाली अभिनेता आएगा । फिर आंखें बोल उठेंगी । सहज अभिनय से दिल जीत लेगा । कहते हैं कि रुपये से ज्यादा विदेशी फिल्मों में काम कर डाॅलर कमाए । प्रतिभा के बल पर ही न । जिसने आत्मविश्वास के बल पर एनएसडी में दाखिला लिया वह उसी आत्मविश्वास के बल पर विदेशी फिल्मों में सफल हो गया । यह नये कलाकारों के सीखने की बात है । इरफान हम तुम्हें भुला न पायेंगे ।