पंजाब विश्वविद्यालय के हिंदी-विभाग में ‘पुस्तक परिचर्चा  कार्यक्रम' का आयोजन

पंजाब विश्वविद्यालय के हिंदी-विभाग में ‘पुस्तक परिचर्चा  कार्यक्रम का आयोजन किया गया | जिसके अंतर्गत डॉ० जयपाल ठाकुर (प्रवक्ता, हिन्दी राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला, बघेरी हि०प्र० ) के काव्य-संग्रह “अकेला होता आदमी”  कृति की समीक्षा डॉ० मोहनलाल जाट (सहायक आचार्य पी०जी०जी०सी०जी० सै० 11)और डॉ० सुरीति रघुनन्दन जो कि मॉरीशस में हिंदी शिक्षण कार्य से जुड़ी हुई हैं | उनके चार  काव्य-संग्रहों ‘पानी के पिंजरे’, ‘चाय की चुस्कियाँ’, ‘उम्र को भूल जाओ’, ‘मन का राजा’ की  विभाग के शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों ने समीक्षा की |

पंजाब विश्वविद्यालय के हिंदी-विभाग में ‘पुस्तक परिचर्चा  कार्यक्रम' का आयोजन

पंजाब विश्वविद्यालय के हिंदी-विभाग में ‘पुस्तक परिचर्चा  कार्यक्रम का आयोजन किया गया | जिसके अंतर्गत डॉ० जयपाल ठाकुर (प्रवक्ता, हिन्दी राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला, बघेरी हि०प्र० ) के काव्य-संग्रह “अकेला होता आदमी”  कृति की समीक्षा डॉ० मोहनलाल जाट (सहायक आचार्य पी०जी०जी०सी०जी० सै० 11)और डॉ० सुरीति रघुनन्दन जो कि मॉरीशस में हिंदी शिक्षण कार्य से जुड़ी हुई हैं | उनके चार  काव्य-संग्रहों ‘पानी के पिंजरे’, ‘चाय की चुस्कियाँ’, ‘उम्र को भूल जाओ’, ‘मन का राजा’ की  विभाग के शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों ने समीक्षा की |

‘पानी के पिंजरे’ काव्य-संग्रह की समीक्षा द्वितीय वर्ष के छात्र साहिल, ‘चाय की चुस्कियाँ’ प्रथम वर्ष के छात्र पवन शर्मा, ‘उम्र को भूल जाओ’ शोधार्थी रीना बिष्ट, ‘मन का राजा’ शोधार्थी पिंकी द्वारा की गई |  कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में डॉ० मोहनलाल जाट, मुख्य अतिथि डॉ० सुरीति रघुनन्दन, और अध्यक्ष के रूप में विभागाध्यक्ष प्रोफ़ेसर अशोक कुमार रहे | विभागाध्यक्ष ने गणमान्य अतिथिगण को सम्मानित किया | “अकेला होता आदमी” की समीक्षा करते हुए डॉ० मोहनलाल जाट ने कहा कि जीवन का प्रथम और अंतिम सत्य अकेलापन है | डॉ० जयपाल ठाकुर की कविताओं में जीवन की क्षणभंगुरता, प्राकृतिक और मानवीय मूल्यों की स्थापना पर बल, पहाड़ी जीवन की झलक दिखाई देती है | डॉ० जयपाल ठाकुर ने अपनी कविताओं की प्रेरणा के सम्बन्ध में बताते हुए कहा कि उन्हें कविता लिखने की प्रेरणा उनके अध्यापकों से प्राप्त हुई है | डॉ० सुरीति रघुनन्दन ने ‘मॉरीशस में भारतीय संस्कृति’ विषय पर अपने विचार सभी के समक्ष अभिव्यक्त किए | उन्होंने कहा कि वे हिंदी के माध्यम से अपनी संस्कृति का प्रचार-प्रसार करती हैं | हिंदी के प्रचार-प्रसार में मॉरीशस में हिंदी फिल्मों का बहुत महत्त्व है |

कार्यक्रम में विभाग के प्रोफ़ेसर गुरमीत सिंह एवं अन्य विभाग के सदस्य भी उपस्थित रहे |

अंत में विभागाध्यक्ष ने  पधारे हुए सभी महानुभावों, शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों का धन्यवाद किया |