हिंदी-विभाग में हुआ ‘पुस्तक विमोचन’

हिंदी-विभाग, पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ द्वारा साहित्यकार लाजपत राय गर्ग के नवीनतम प्रकाशित उपन्यास ‘अमावस्या में खिला चाँद’ का लोकार्पण एवं परिचर्चा कार्यक्रम आयोजित किया गया। 

हिंदी-विभाग में हुआ ‘पुस्तक विमोचन’

चंडीगढ़ 18 अक्टूबर, 2024: हिंदी-विभाग, पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ द्वारा साहित्यकार लाजपत राय गर्ग के नवीनतम प्रकाशित उपन्यास ‘अमावस्या में खिला चाँद’ का लोकार्पण एवं परिचर्चा कार्यक्रम आयोजित किया गया। 

कार्यक्रम की शुरुआत में विभागाध्यक्ष प्रो० अशोक कुमार ने सभी अतिथियों एवं वक्ताओं का औपचारिक स्वागत करते हुए उन्हें पुष्प गुच्छ एवं भेंट देकर सम्मानित किया। पुस्तक परिचर्चा की शुरुआत में प्रथम वक्ता पवन शर्मा ने इस उपन्यास के विषय में कहा कि यह उपन्यास हमारे समाज की कुरीतियों और बुराईयों पर अपने विचारों को स्वच्छंदता से रखता है तथा उनके निराकरण की दिशा में भी संकेत करता हुआ दिखता है।

शोधार्थी राहुल ने इस पुस्तक पर चर्चा करते हुए कहा कि इस उपन्यास की विशेषता यह है कि इसका शीर्षक इसे व्याख्यायित करने की क्षमता रखता है। ‘अमावस्या में खिला चाँद’ मेरे जैसे हर विद्यार्थी और शोधार्थी की कहानी है। विश्वविद्यालय के जीवन को जिस स्वानुभूति का पुट देकर लेखक ने रचा है वह हर उस व्यक्ति से संबंध स्थापित करने में सक्षम है जिसने इसे जिया हो।

कार्यक्रम में दर्शनशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. पंकज श्रीवास्तव ने मुख्य वक्ता के रूप में अपने विचार रखते हुए कहा कि उपन्यास पात्र सीधे और सपाट हैं अर्थात् ब्लैक एंड व्हाइट हैं हालांकि जीवन ग्रे होता हैं, वह कईं परतें लिए होता है। उन्होंने कहा कि यह उपन्यास वर्तमान समय के रिश्तों का ताना-बाना है। उपन्यासकार ने रिश्तों की जटिलताओं की ओर इंगित किया है।

इसके साथ ही चंडीगढ़ के वरिष्ठ साहित्यकार प्रेम विज, प्रोफेसर राजेश जायसवाल ने इस उपन्यास के माध्यम से साहित्य की भूमिका पर चर्चा की।

उपन्यासकार लाजपत राय गर्ग ने सभी वक्ताओं का धन्यवाद करते हुए कहा कि मेरा इस विभाग से विगत पचास वर्ष का संबंध है। उन्होंने कहा कि उपन्यास लिखने का उनका औचित्य स्वजन हिताय है। अपने सभी उपन्यासों के माध्यम से सामाजिक विसंगतियों को उजागर करने के साथ ही समाधान प्रस्तुत करने का भी प्रयास किया है। यह उपन्यास स्थूलता से सूक्ष्मता की ओर ले जाता है। उन्होंने उपन्यास की उपलब्धियों पर भी प्रकाश डाला। 
 
अंत में विभागाध्यक्ष प्रो० अशोक कुमार ने सभी अतिथियों, वक्ताओं एवं श्रोताओं का धन्यवाद करते हुए कहा कि भविष्य में इस तरह के अनेक कार्यक्रम विभाग में करवाए जाएंगे। इस तरह के कार्यक्रमों में हमारा उद्देश्य लेखक पर नहीं बल्कि रचना पर चर्चा करना है और हम इस उद्देश्य में सफल हुए हैं।