मानवीय मूल्यों से जोड़ती हैं पुस्तकें – कुलपति प्रो. राजबीर सिंह

एमडीयू में तीन दिवसीय पुस्तक मेला शुरू।

मानवीय मूल्यों से जोड़ती हैं पुस्तकें – कुलपति प्रो. राजबीर सिंह

रोहतक, गिरीश सैनी। एमडीयू में पुस्तक संस्कृति को बढ़ावा दिया जाएगा, पठन-पाठन का माहौल उन्नत किया जाएगा तथा विद्यार्थियों को पुस्तकें पढ़ने के लिए प्रेरित किया जाएगा। कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने बुधवार को विवि के विवेकानंद पुस्तकालय में पुस्तक मेला का उद्घाटन करते हुए ये उद्गार व्यक्त किए।

कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने कहा कि पुस्तकें हमारी सच्ची दोस्त हैं। पुस्तकें न केवल हमारा ज्ञान बढ़ाती हैं, बल्कि हमें मानवीय मूल्यों से जोड़ती हैं। उन्होंने कहा कि एमडीयू पुस्तकालय एकेडमिक्स का हब है। विवेकानंद पुस्तकालय में विद्यार्थियों का बैठकर पढ़ने का क्रेज है, जो कि बहुत ही सुखद है। कुलपति ने एमडीयू लाइब्रेरियन डा. सतीश मलिक को इस तीन दिवसीय पुस्तक मेला आयोजन के लिए बधाई दी।

पुस्तक मेले के उद्घाटन सत्र में बतौर विशिष्ट अतिथि हिमाचल प्रदेश विवि, शिमला के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के प्रोफेसर डा. शशिकांत शर्मा ने सोलन में स्थापित एक पुस्तकालय तथा उसमें पढ़ने वाले विद्यार्थियों द्वारा करियर सफलता की दास्तां साझा की। प्रो. शशिकांत ने कहा कि पुस्तकालय में शैक्षणिक परामर्श की भी व्यवस्था की जाए।

यूनिवर्सिटी लाइब्रेरियन डा. सतीश मलिक ने प्रारंभ में स्वागत भाषण दिया और इस तीन दिवसीय पुस्तक मेला का ब्यौरा दिया।

पुस्तक मेला में एमडीयू से सेवानिवृत प्रोफेसर डॉ. सोनिया मलिक की पुस्तक मधुकांत की व्यंग्यात्मक लघु कथाएं तथा सेवानिवृत प्रोफेसर डॉ. मंजीत राठी के कविता संग्रह आवाज़ परवाज़ का लोकार्पण कुलपति ने किया। प्रो. सोनिया मलिक एवं प्रो. मंजीत राठी ने अपनी पुस्तकों बारे बताया। आभार प्रदर्शन निदेशक जनसंपर्क सुनित मुखर्जी ने किया। उन्होंने पुस्तकों के महत्व को रेखांकित करते हुए काव्यात्मक प्रस्तुति दी।

डीन, एकेडमिक अफेयर्स प्रो. ए.एस. मान, कुलसचिव प्रो. गुलशन लाल तनेजा, निदेशक सीडीओई प्रो. नसीब सिंह गिल सहित विभागाध्यक्ष, प्राध्यापक, शोधार्थी व विद्यार्थी तथा लेखक डॉ. मधुकांत, डॉ. शाम लाल कौशल, डॉ. रमा कांता शर्मा सहित शहर के पुस्तक प्रेमी कार्यक्रम में मौजूद रहे। भारत तथा विश्व के लगभग 62 प्रतिष्ठित प्रकाशन समूह इस पुस्तक मेला में भाग ले रहे हैं और लगभग 40 हजार पुस्तकें प्रदर्शित की जा रही हैं।