बॉस, आपका स्मार्टफोन आपके बारे में सब जानता है

बॉस, आपका स्मार्टफोन आपके बारे में सब जानता है

सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें दिखाया गया है कि एक आदमी अपने मोबाइल में इतना मशगूल हो जाता है कि उसे पता ही नहीं चलता कि उसका अगला कदम किधर पड़ने वाला है। वह शख्स दिल्ली के एक मेट्रो स्टेशन पर प्लेटफार्म पर चलते हुए ट्रेन की पटरियों पर जा गिरता है। गनीमत है कि कुछ सुरक्षाकर्मियों की उस पर निगाह पड़ गई और उसे बचा लिया गया। इस कदर हमारी जिंदगी में समा चुका है स्मार्टफोन। वहीं स्मार्टफोन जिसके बारे में कहा जाता है कि वह आपके बारे में सब कुछ जानता है। इतना ही नहीं, वह आपको आपसे ज्यादा जानता है। यही बात कंप्यूटर पर भी लागू होती है। दोनों उपकरण चलते तो इंटरनेट से ही हैं और इंटरनेट को चलाने के लिए आ चुकी है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई)। इस मामले में गूगल सबसे आगे है। अकाउंटिंग फर्म पीडब्ल्यूसी के अनुसार, साल 2030 तक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इंडस्ट्री 117 लाख करोड़ रुपए से अधिक की हो जाएगी। डिजिटल असिस्टेंट और चेहरा पहचानने वाली तकनीक आदि के जरिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पहले ही लोगों की जिंदगी में दखल दे चुकी है।
 
ब्लॉगर्स एलायंस के फाउंडर एवं नेशनल प्रेसीडेंट, डॉ. अमित नागपाल कहते हैं कि आने वाले समय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कामकाज और रोजमर्रा जीवन के रूटीन काम निपटायेगी, जबकि मानव अपने मस्तिष्क को रचनात्मक कार्यों में लगाएगा। यानी मशीनें रूटीन काम करेंगी और मनुष्य क्रिएटिव काम। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस विशेषज्ञ स्टुअर्ट रसेल का कहना है कि अगर मशीनें सुपर इंटेलिजेंट हो गईं तो इंसान का अस्तित्व ही खतरे में आ जाएगा। इंटेलिजेंस ही पॉवर है। पॉवर यानी कंट्रोल और यही इसका अंत होगा। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टैक्नोलॉजी के जरिए आप लोगों को ट्रैक कर सकते हैं, उनके चेहरे पहचान सकते हैं। इसका दुरुपयोग भी शुरू हो चुका है, जैसे कि आपका कंप्यूटर आपके बारे में सब जानता है। इसी तरह  आपका फोन आपकी सारी बातचीत सुनता है। मनुष्य की जिम्मेदारी अब यह है कि इन मशीनों को भयानक गलती करने से रोके, वरना सब खत्म हो जाएगा।
 
सामान्य शब्दों में, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से तात्पर्य ऐसे कंप्यूटर टूल्स से है जो कुछ काम करने में मानव बुद्धि जैसे होते हैं। यह तकनीक वर्तमान में बहुत ही तेज गति से आगे बढ़ रही है। दरअसल कंप्यूटर डेटाबेस मुख्य इंफ्रास्ट्रक्चर के रूप में विकसित हुए हैं जो सॉफ्टवेयर को संचालित करते हैं। अनुमान है कि आने वाले वर्षों में सॉफ्टवेयर में शामिल होने वाले ज्यादातर नए फीचर आंशिक रूप से ही सही, लेकिन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस द्वारा संचालित होंगे। अब तो बिग डेटा का समय है, जैसे कि यूट्यूब हर एक मिनट में चार सौ घंटे से ज्यादा वीडियो कंटेंट प्राप्त करता है। कंप्यूटर को इस तरह से प्रशिक्षित किया जा चुका है कि वह किसी व्यक्ति की पर्सनैलिटी की पहचान उसके दोस्तों से ज्यादा अच्छे से कर सके। ऐसा करने के लिए यह देखा जाता है कि कोई शख्स सोशल मीडिया पर किस तरह की पोस्ट को लाइक करता है और किस पोस्ट पर अधिक समय बिताता है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और बिग डेटा का विशेष संबंध है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विकास में मशीन लर्निंग का बहुत योगदान रहा है। यह तकनीक बड़े डेटा सेट का उपयोग करके आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को प्रशिक्षित करती है। एआई चैटबॉट्स को डेटा सेट पर प्रशिक्षित किया जा सकता है जिसमें मानवीय बातचीत को समझना शामिल है।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार व कॉलमिस्ट हैं)