अंतर्राष्ट्रीय शिपिंग लाइन के लिए ठोस कदम उठाना जरूरी

अंतर्राष्ट्रीय शिपिंग लाइन के लिए ठोस कदम उठाना जरूरी

अर्थशास्त्रियों और छोटे बड़े सभी उद्यमियों की नजर संसद के बजट सत्र पर लगी है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अपना चौथा केंद्रीय बजट 1 फरवरी को पेश करने वाली हैं। संसद का बजट सत्र 31 जनवरी को शुरू होगा, जिसमें राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद दोनों सदनों को संबोधित करेंगे। सत्र दो भागों में आयोजित किया जाएगा, पहला भाग 11 फरवरी को समाप्त होगा, जबकि दूसरा भाग 14 मार्च से 8 अप्रैल तक चलेगा। हर उद्योग अपने-अपने हिसाब से बजट से उम्मीदें लगाए बैठा है। इस बार का बजट स्टार्टअप्स के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह साल  स्टार्टअप्स के लिए महत्वपूर्ण रहने वाला है और स्टार्टअप सरकार से सहयोग की उम्मीद कर रहे हैं। स्टार्टअप इकोसिस्टम की उम्मीदें कुछ टैक्स में छूट और स्टार्टअप्स के अनुकूल उपायों के संबंध में हैं। इसी तरह, कपड़ा और निर्यात उद्योग की शिकायत है कि भारत के पास वैश्विक शिपिंग लाइन और लार्ज कैप कंटेनर निर्माण इकाई नहीं है। समय आ गया है कि भारत एक वैश्विक शिपिंग लाइन बनाने के लिए ठोस कदम उठाए।

होम गारमेंट्स एक्सपोर्टर्स वैलफेयर एसोसिएशन (हेवा) के निदेशक, विकास सिंह चौहान का कहना है कि 10 करोड़ रुपए के निवेश के साथ सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योगों के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इनिशिएटिव स्कीम (पीएलआई) शुरू होनी चाहिए। आरओडीटीईपी बजट बढ़ाने की आवश्यकता है, विशेष रूप से हस्तशिल्प, हथकरघा और अन्य श्रम प्रधान क्षेत्रों के लिए। वित्त मंत्री से आपूर्ति मांग असंतुलन पर दबाव कम करने के लिए सूती धागे पर आयात शुल्क हटाने का अनुरोध है। तैयार माल के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कुछ समय के लिए कच्चे माल पर निर्यात प्रोत्साहन भी हटना चाहिए। दो सप्ताह के बाद, अक्टूबर जैसी स्थिति होने जा रही है, जब माल ढुलाई और कंटेनर की लागत बहुत अधिक थी। बजट को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला संकट से प्रेरणा लेनी चाहिए। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत के पास वैश्विक शिपिंग लाइन और लार्ज कैप कंटेनर निर्माण इकाई नहीं है। समय आ गया है कि भारत एक वैश्विक शिपिंग लाइन बनाने के लिए ठोस कदम उठाए। बजट में रोलओवर, एक्सचेंज रेट, स्पॉट बुकिंग, बुकिंग कैंसिलेशन, वेट वेरिएशन आदि के कारण ओवरचार्जिंग को रोकने के लिए कुछ तंत्र की घोषणा किए जाने की भी आवश्यकता है, लगभग सभी निर्यातकों को इस तरह के खर्चों को पूरा करने के लिए एक मोटी राशि का भुगतान करने के लिए मजबूर होना पड़ता है।

भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों का दौर शुरू हो चुका है, जिसे 2022 में चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर और उन्नत ईवी मॉडल के तेजी से विकास के बाद और बढ़ावा मिलेगा। ईवी इंडस्ट्री को आशा है कि सरकार स्थानीय ईवी मैन्युफैक्चरिंग को प्रोत्साहित करने और आसान फाइनेंस की सुविधा के लिए नई पहल की घोषणा करेगी, और एक नया ईवी इकोसिस्टम तैयार होगा। इसके साथ ही, इंडस्ट्री ने ईवी खरीद और किराये पर जीएसटी को पांच प्रतिशत से घटाकर दो प्रतिशत करने का आग्रह किया है। वित्त मंत्रालय इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने हेतु लिए गए कर्ज पर लगने वाले टैक्स को भी कम कर सकता है। ईवीएस को सभी के लिए सुलभ बनाने में जीएसटी में कमी और कर लाभ महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। इसके अतिरिक्त, सरकार मौजूदा ईवी चार्जिंग के बुनियादी ढांचे को और बेहतर बनाने के लिए बिजली की कीमतों में सब्सिडी भी दे सकती है।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार व कॉलमिस्ट हैं