पंजाब में बिजली गुल होने से व्यापार वेंटीलेटर पर: पंजाब प्रदेश व्यापार मंडल
कहा, जल्द ही राज्य सरकार और बिजली बोर्ड के विरुद्ध होगा राज्य भर में प्रदर्शन
लुधियाना, 13 जून, 2024: पंजाब प्रदेश व्यापार मंडल के नेताओं है कि पंजाब में उद्योग और व्यापार की काफ़ी ख़स्ता हालत है और ऊपर से बिजली की समस्या ने उद्योग -व्यापार की कमर तोड़ के रख दी है ।
पत्रकारों से बातचीत करते हुए पंजाब प्रदेश व्यापार मंडल के उपप्रधान पवन लहर, राज्य सचिव अरविन्दर मक्कड़, प्रधान परवीन गोयल , राज्य महासचिव , व्यापारी कल्याण बोर्ड (केंद्र सरकार) के सदस्य सुनील मेहरा और महामंत्री , भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के राष्ट्रीय सचिव आयुष अग्रवाल , महासचिव परवीन शर्मा , संजय गुप्ता और अश्वनी महाजन ने आगे कहा कि पंजाब में बिजली की समसाया दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है , और अभी गर्मियों ने पूरी तरह अपना ज़ोर दिखाया भी नहीं है।
उन्होंने कहा कि आज पंजाब में गर्मियों के चरम सीमा पर आने से पहले ही राज्य में बिजली की माँग 14600MW पहुँच गई है। पंजाब में कांग्रेस सरकार के जाने के बाद गारंटी देने वाली आम आदमी पार्टी का राज्य में सरकार बन गई लेकिन उद्योग-व्यापार अभी तक वेंटीलेटर पर ही है। पंजाब में 13000MW बिजली मुहैया कराने की क्षमता है और उसके ऊपर इनके थर्मल प्लांट जवाब दे जाते है। शहरी क्षेत्रों जैसे लुधियाना जोकि उद्योग-व्यापार का केंद्र है, में 8-10 घंटे बिजली के अघोषित कट लग रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार का कहना है पीएसपीसीएल मुनाफ़े में चल रही है जबकि वास्तविकता यह है कि पिछले महीने पीएसपीसीएल ने ₹800 करोड़ का ऋण लिया है। पर्याप्त कर्मचारियों का अभाव है और पिछले एक साल से कइयों को तनख़्वाह भी नहीं दी गई। ऐसी स्थिति में पीएसपीसीएल मुनाफ़े में कैसे हो सकता है। राज्य सरकार 200 यूनिट बिजली हर महीने मुफ़्त में वितरित कर रही है जिसकी वजह से राज्य के 87% उपभोगताओं का बिजली का बिल माफ़ हुआ है ।
उन्होंने दावा किया कि सरकार का उद्योग-व्यापार की ओर ध्यान न होने के कारण आज पंजाब से 60 हज़ार से अधिक उद्योग-व्यापारी उत्तर प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल की ओर रुख़ कर रहे हैं और युवा हर वर्ष 1 लाख राज्य छोड़ कर दूसरे राज्य या देशों में पलायन कर रहे हैं। और, राज्य सरकार केवल अपना वोट बैंक सँभालने के चक्कर में सब्सिडी पर सब्सिडी देकर, मुफ़्त का लालच देकर राज्य के उद्योग-व्यापार को बर्बाद कर रही है। आँकड़ों के मुताबिक़ पिछले तीन वर्षों में राज्य में उद्योगिक-व्यापारिक निवेश 85% से घटा है और सरकार कुंभकर्णी नींद सो रही है।
उन्होंने कहा कि बिजली महकमे का कहना है पिछले सप्ताह आंधी-तूफ़ान के कारण
31 ट्रांसफार्मर को नुक़सान पहुँचा है। मुरम्मत का बहाना कर 8-10 घंटों का बिजली का कट लगाया जा रहा है। जबकि ज़मीनी हक़ीक़त तो ये है कि राज्य सरकार ने कभी सरकारी थर्मल प्लांट की क्षमता को 60% से बढ़ाया ही नहीं है और न ही 11KV और 22KV की लाइन को अपग्रेड किया गया है। तीन दिन पहले रोपड़ का एक थर्मल प्लांट भी जवाब दे गया था। सरकार आईपीपी एग्रीमेंट के तहत निजी आपूर्तिकर्ताओं से बिजली लेती है और उन्हें सालाना ₹900-1000 करोड़ देती है जो उन्हें चाहे राज्य की पीक डिमांड हो या ना हो तब भी देने है।
उन्होंने कहा कि सरकार की पोल खुल कर सामने आ गई है और लोगों ने भी इसका जवाब लोकसभा चुनाव में बहुत कम वोट डाल के दिया है।
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि जल्द ही बिजली की समस्या हल न की गई तो राज्य के समूह उद्योग-व्यापारियों को इकट्ठा करके राज्य सरकार के ख़िलाफ़ अपने अस्तित्व को बचाने के लिए मोर्चा निकाला जाएगा।