शह और मात के बीच डेरा 

शह और मात के बीच डेरा 

-*कमलेश भारतीय
-आओ वत्स संजय ! कहां रहे दो दिन, मैं प्रतीक्षा करता रहा । 
-मेरी कुछ निजी व्यस्ततायें रहीं महाराज धृतराष्ट्र ! इसलिए मैंने निवेदन भेज दिया था कि असमर्थ हूँ आने में ।
-ठीक है, अब मेरी उत्सुकता शांत करो वत्स । दो दिन में क्या क्या घट गया और अब तो समय भी बहुत कम शेष बचा है । 
-हां महाराज ! समय बहुत कम रह गया और अब शतरंज में शह और मात का खेल अंतिम चरण की ओर बढ़ रहा है । 
-किस ओर ? 
-सत्ताधारी दल अंतिम समय में शह और मात के खेल में हरियाणा के एक डेरे का मोहरा जरूर चलता है । 
-कैसे? 
-फिर सुनारिया कारागार में यौन उत्पीड़न प्रकरण से जुड़े राम रहीम ने पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट में पैरोल के लिए निवेदन किया है । चुनाव के बीच पैरोल मांगने पर निर्वाचन आयोग  ने सरकार से ही प्रश्न किया है कि अभी ऐसे समय में पैरोल की स्वीकृति देना कितना सही कदम होगा ? 
-अरे पैरोल पर पैरोल । महाराज धृतराष्ट्र बोले । 
-महाराज! पिछले सात वर्षों में दस बार पैरोल मिली राम रहीम को ! और क्या संयोग कि चुनाव के आसपास । अभी तो तीन सप्ताह की पैरोल के बाद‌ इसी माह दो सितम्बर को समर्पण किया था । 
-क्या प्रजा इस मोहरे के खेल के प्रति अब तक असावधान है? 
-नहीं महाराज धृतराष्ट्र ! अब प्रजा सारा खेल समझने लगी है तभी तो सिरसा से लोकसभा चुनाव कांग्रेस की ओर से सुश्री सैलजा जीतीं । सिरसा में प्रभाव देखने को नहीं मिला। प्रजा अब अंधविश्वास से बाहर आती दिख रही है । 
-क्या अमित शाह अभी तक हरियाणा की धरती पर नहीं आये वत्स ? 
-आये न महाराज और राममंदिर की बात उठा कर कांग्रेस की आलोचना की कि कांग्रेस उपहास कर रही है राम मन्दिर का । 
-अरे वत्स ! ऐसा ही होता तो अयोध्या से जुड़े लोकसभा चुनाव क्षेत्र से भाजपा क्यों पराजित रही? संभवत: प्रजा को धर्म का राजनीति में बढ़ता प्रभाव बहुत अप्रसन्न कर गया ! 
-आप अनुभवी हैं महाराज ! आपका आंकलन सत्यता के निकट प्रतीत हो रहा है । वैसे राहुल गांधी की छवि धूमिल करने के प्रयास निरंतर जाहैं हैं। 
-वह कैसे ? उसे पप्पू के बाद संसद में ही लक्ष्य कर मंदबुद्धि कहा जाने लगा है और उसकी राजनीतिक यात्राओं पर भी कटाक्ष करते पाॅलिटिकल टूर कहा जा रहा है। जैसे कभी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी राहुल गांधी को लक्ष्य कर कहते थे कि गोरखपुर को पिकनिक स्थल न बनाइये । 
-संजय ! क्या विपक्ष के संघर्ष करने की राह भी कठिन है ? 
-तभी तो कांग्रेस संविधान बचाओ का नारा लेकर लोकसभा चुनाव में प्रवेश कर गयी थी । अब हरियाणा के चुनाव में भी संविधान निर्मात्री समिति के सदस्य रहे चौ रणबीर सिंह हुड्डा के पुत्र व पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा कह रहे हैं कि मुझे गर्व हैं कि संविधान बनाने वालों में मेरे पिता के हस्ताक्षर भी हैं।
-वत्स! अब कल बात करें? 
-जैसी आपकी इच्छा महाराज धृतराष्ट्र। मैं आपका संकेत समझ गया। कल आता हूँ। 
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी।