नये मुख्यमंत्री के सामने चुनौतियां
नहीं हो सका मंत्रिमंडल विस्तार
-*कमलेश भारतीय
कल दोपहर तीन बजे तक यानी निर्वाचन आयोग की लोकसभा चुनाव की घोषणा और आचार संहिता लागू होने तक हरियाणा मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हो पाया । आमजन एक दूसरे को फोन कर यह जानने की कोशिश में लगे रहे कि नये मंत्री कौन बनने जा रहे हैं लेकिन पूरा दिन बीत गया, मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हो पाया । आखिर क्यों विस्तार नहीं हुआ ? कहते हैं कि नये मंत्रियों को दी जाने वाली, झंडी वाली गाड़ियां भी खड़ी की खड़ी रह गयीं, इन्हें इनके नये सवार नहीं मिले । बड़ी वजह पूर्व गृह मंत्री अनिल विज और राव इंद्रजीत की राजनीतिक आकांक्षायें बताई जा रही हैं । अनिल विज ने तो जिस दिन नायब सैनी को नेता और मुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित किया गया था, ठीक उसी समय वे उस मीटिंग हाल से नाराज होकर अपनी सरकारी गाड़ी छोड़ कर बाहर आ गये थे और सीधे अपने घर पहुँच गये थे । बड़ी सीधी सी बात कि वे मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार थे और छह बार के विधायक और उनकी अनदेखी की गयी, जिसे आसानी से हज़म करना कोई आसान बात नहीं । हालांकि श्री विज कह रहे हैं कि नायब सैनी छोटे भाई जैसे हैं, वे बेहतर काम करेंगे ! मुझे मनाने की बात नहीं है, मैं रूठा हुआ नहीं हूं । मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह के बाद से किसी ने उनसे बात नहीं की है । इसी तरह सांसद राव इंद्रजीत की पसंद के विधायक को शायद मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिल पा रही थी, जिसके चलते सीमा त्रिखा, संजय सिंह, गोपाल कांडा, डाॅ अभय यादव, लक्ष्मण नामा आदि के मन के लड्डू मन में ही रह गये और मंत्रियों के लिए खड़ी गाड़ियां भी ऐसे लौट गयीं, जैसे बिना दहेज के बारात लौट जाती है ! पंजाबी में कहते हैं कि नहाई धोयी रह गयीं और ऐसे ही वे विधायक रह गये, जो मन में मंत्री बनने के सपने लेकर आये थे । यहां तक कि निर्दलीय विधायक भी मन मसोस कर रह गये । बिना शर्त समर्थन अब पता चला कि किसे कहते हैं, कोई शर्त नहीं पर उम्मीद पूरी कि मंत्री बनेंगे ! तभी तो ये पंक्तियां याद आई होंगीं :
तुझसे नाराज़ नहीं ज़िंदगी
हैरान हूँ मैं
तेरे मासूम सवालों से परेशान हूं मैं !
कितने मासूम सवाल हैं कि विज मान जाते तो वे भी झंडी वाली कार में बैठे होते! किसी ने उनको मनाने की कोशिश ही नहीं की तो मान कैसे जाते? क्या किसी नये व्यक्ति को मुख्यमंत्री बना कर कोई जोखिम तो नहीं ले लिया, जो मंत्रिमंडल का विस्तार ही नहीं हो पाया ! इससे भाजपा का अंदरुनी चेहरा सामने आया कि सब कुछ वैसा नहीं है, जैसा दिखता है ! मुख्यमंत्री पर एक तो मंत्रिमंडल विस्तार और ऊपर से लोकसभा चुनाव कितनी तरह की अग्निपरीक्षायें सामने हैं, देखें क्या होता है !
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी।