राजनीतिक दलों में मचा घमासान?
-*कमलेश भारतीय
हरियाणा के राजनीतिक दलों में अपनी अपनी तरह के घमासान सामने आ रहे हैं । चाहे भाजपा हो, कांग्रेस, इनेलो या फिर जजपा ! सबके सब दल घमासान से जूझ रहे हैं । भाजपा को हिसार से प्रत्याशी चौ रणजीत चौटाला को टिकट देकर कुलदीप बिश्नोई और कैप्टन अभिमन्यु की नाराजगी झेलनी पड़ रही है । यही नहीं अम्बाला छावनी के दाढ़ी वाले बाबा यानी अनिल विज नाराज चल रहे हैं । इनको मनाया नहीं जा सका । कुलदीप बिश्नोई को मनाने मुख्यमंत्री नायब सिंह दिल्ली मुलाकात करने गये । इसी प्रकार इनेलो भी जूझ रही है । अभय चौटाला और पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला ही स्टार प्रचारक हैं और अभय चौटाला खुद कुरूक्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं । ऐसे में स्टार प्रचारक एक ही रह गये । जजपा जब से सत्ता से बाहर आई है, तब से इसमें घमासान मचा हुआ है । इसके हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष निशान सिंह पहले ही इस्तीफा दे गये । अब वे कह रहे हैं कि कांग्रेस और भाजपा दोनों से ऑफर है। बरवाला से विधायक जोगीराम सिहाग पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे चुके हैं और पूर्व मंत्री देवेंद्र बबली कह रहे हैं कि जजपा में बचा ही क्या है ! लीजिए, जब तक मंत्री रहे तब तक जजपा में सब कुछ था, जैसे ही सत्ता से जजपा बाहर हुई इसमें बचा ही कुछ नहीं और अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ पे तारीफ करने में लगे हैं और जल्द कमल थामे नज़र आ सकते हैं ! यदि सुभाष बराला रोड़ा नहीं अटकाते हैं!
कांग्रेस के आठ टिकटों की घोषणा के बाद यहां भी घमासान छिड़ गया है। चौ बीरेंद्र सिंह फिर राज्य की राजनीति में 'ट्रेजेडी किंग' बन कर रह गये । बड़ी आस लगाये कांग्रेस में शामिल हुए थे कि भाजपा सांसद बेटे बृजेन्द्र सिंह का टिकट काटने जा रही है तो कांग्रेस में शामिल हो जाते हैं । पर देखिए कांग्रेस में खाली हाथ रह जाना पड़ा ! कांग्रेस ने भी हाथ नहीं पकड़ा !अब जायें तो जायें कहां ? हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष उदयभान कह रहे हैं कि राजनीति में बृजेन्द्र का काफी जीवन पड़ा है ! पूर्व मंत्री किरण चौधरी की बेटी श्रुति चौधरी का टिकट भी कट गया और वे अपने समर्थको़ की बैठक बुलाने जा रही हैं! देखिये समर्थक क्या राय देते हैं और वे कितना मानती हैं । एक समय किरण चौधरी के भाजपा में जाने का काफी शोर रहा। क्या अब वह समय आ गया?
सुश्री सैलजा जितनी बार हिसार आतीं एक ही बात डंके की चोट पर कहतीं कि विधानसभा चुनाव लड़ूंगी लेकिन चौ बीरेन्द्र सिंह कह रहे हैं कि सैलजा लड़ना तो नहीं चाहती थी लेकिन, उन्हें भी मैदान में उतरवाया गया, तो चाल किसकी सफल हुई ?
अभी गुरुग्राम से कांग्रेस की टिकट की घोषणा बाकी है और पूर्व मंत्री कैप्टन अजय यादव अड़े हैं कि राज बब्बर की बजाय टिकट उन्हें दिया जाये क्योंकि राज बब्बर का कोई आधार नहीं ! बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और अपने समधी लालू यादव की कोशिशें कोई रंग लायेंगीं या नहीं? घमासान जारी है लगातार!
सभी दल इस घमासान से जूझ रहे हैं। चुनाव प्रचार पर निकलने से पहले इस घमासान से पार पाना होगा !
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी