मुख्यमंत्री तीन मिनट में और नेता प्रतिपक्ष कब?
-*कमलेश भारतीय
कहने वाले कहते हैं, हम नहीं कह रहे कि हमने यानी भाजपा ने तो तीन मिनट में मुख्यमंत्री का चुनाव कर घोषणा भी कर दी और यह जो कांग्रेस है, अभी तक नेता प्रतिपक्ष कौन होगा, इसी बात का फैसला नहीं कर पाई और विधानसभा में बिना नेता प्रतिपक्ष के पहुंच जायेंगे कांग्रेस विधायक । अब आप, कल्पना करो कि यदि कांग्रेस जीत गयी होती तो मुख्यमंत्री का चुनाव करना पर्यवेक्षकों के लिए टेढ़ी खीर के समान होता कि नहीं । अभी भी एक एक विधायक की बंद कमरे में पर्यवेक्षक राय लेकर गये हैं और रिपोर्ट भी कांग्रेस हाईकमान को सौंप दी होगी लेकिन हाईकमान मुंह ढांप के सो रही है, जैसे कहा गया है :
तौबा कितना काम है, कभी मिली फुरसत तो भई सोचेंगे, दुनिया के बारे में सोचेंगे !
दूसरी बात
किस किसको याद कीजिये, किस किसको रोइये
आराम बड़ी चीज़ है, मुंह ढांप के सोइये !
सो अभी तो मुंह ढांप के सोइये ।
इसी लापरवाही में तो आते आते हरियाणा हाथ से निकल गया कांग्रेस हाईकमान से । यदि समय रहते गुटबाजी पर ध्यान दिया होता तो आज यह दिन न देखना पड़ता कि नेता प्रतिपक्ष घोषित करने में भी स्पीड ब्रेकर लग रहे हैं ।
दस साल हार कर भी कांग्रेस की गुटबाजी खत्म नहीं हुई और इसी गुटबाजी ने तीसरी बार भी कांग्रेस की लुटिया डुबो दी लेकिन कांग्रेस हाईकमान है कि न कुछ देख रही, न सुन रही और बोल तो बिल्कुल नहीं रही । बस, सबके सब कच्चे काटो । जिसे जो कहना है, जिसको जो कहना है खुलकर कहो और फ्री स्टाइल कबड्डी खेलते रहो । किसी को कोई फिक्र नहीं । हिसार में रामनिवास घोड़ेला, अनिल मान रो रहे हैं कि उन्हें तो गुटबाजी ने मारा । जैसे शायराना अंदाज में कह रहे हों:
गैरों में कहां दम था, हमें तो अपनों ने मारा
मेरी कश्ती वहां डूबी, जहां पानी कम था !
रो तो बसपा सुप्रीमो मायावती भी रही हैं । उनका अब हरियाणा में मिली हार के बाद यह फैसला आया है कि भविष्य में बसपा किसी क्षेत्रीय दल के साथ गठबंधन कर चुनाव नहीं लड़ेगी क्योंकि हमारे वोट तो ट्रांस्फर हो जाते हैं लेकिन बदले में हमारे प्रत्याशी को वोट ट्रांस्फर नहीं होते । सो तौबा तौबा ऐसे गठबंधनों से । वैसे इनेलो एक से दो विधायक तक पहुंच गयी पर अभय चौटाला खुद विधानसभा नहीं पहुच पाये । दूसरे वोट प्रतिशत कम होने से चुनाव निशान छीन जाने का खतरा मंडराने लगा है ।
तो दिल थाम कर देखिये शपथ ग्रहण समारोह । सुना था कि हिसार की विधायक सावित्री जिंदल संस्कृत में शपथ ग्रहण करने के लिए अभ्यास करती रहीं । देखते हैं कैसी संस्कृत बोल पाती हैं । हिंदी में प्रभाकर पढ़ी हैं और अच्छी हिंदी बोल लेती हैं।
किस किस को याद कीजिए किस किस को रोइये,
आराम बड़ी चीज़ है मुँह ढककर सोइये!
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी।