बाल रंगमंच : इना मीना डिका
-कमलेश भारतीय
हिसार एक ऐसा शहर है जो थियेटर के प्रति दीवाना है । राजीव मनचंदा ,यशपाल शर्मा , सतीश कश्यप , गिरीश धमीजा ,मनीष जोशी , अनूप मीचूज, संध्या शर्मा ,लोकेश मोहन खट्टर ,सुनील सारस्वत , रमन नास्सा , निधि चौधरी , अनूप बिश्नोई न जाने कितने नाम ! सब थियेटर के प्रति जुनून से भरे हुए !
इनमें ही शामिल हो रहे हैं -संजय सेठी ! जो जिंदल माॅडर्न स्कूल में वर्षों से शिक्षक ही नहीं एक अच्छे नृत्य निर्देशक यानी कोरियोग्राफर भी हैं । अनेक बार इनकी नृत्य प्रस्तुतियां सिटी केबल के कार्यक्रमों में देखने को मिलीं । संजय सेठी राष्ट्रीय स्तर पर भी अपने लोकनृत्य की प्रस्तुतियां देते रहे हैं ! इसीलिये संजय सेठी ने अपनी एक छोटी सी संस्था खोली जिसका नाम भी रखा -नृत्यम् ! अभी तक वे छोटे छोटे बच्चों को नृत्य ही सिखा रहे थे लेकिन अब उन्होंने एक ऐसी रचना की है, जिसमें नृत्य, संगीत और रंगमंच तीनों का संगम देखने को मिला है । रंगमंच है तो कथा भी है और कथा है तो सामाजिक बुराइयां भी हैं । संगीतमयी और काव्यमयी प्रस्तुति में ये सब है -बाल रंगमंच के रूप में । संभवतः यह पहली बार है कि संजय सेठी नृत्य से आगे रंगमंच तक आये हैं । खुद ही लेखन किया है इस नाटक का । कहानी का रहस्य बनाये रखना चाहता हूं लेकिन इतना जरूर है कि अनाथाश्रम से भागी तीन छोटी बच्चियों के माध्यम से कुछ सामाजिक बुराइयों का आइना सामने रखने की मासूम सी कोशिश जरूर है इना मीना डिका । क्या दहेज हो , नारी शिक्षा हो या फिर वृद्धावस्था की मुसीबत बनी मां हो ! सब पर एक एक नजर डालती हुईं ये छोटी छोटी बच्चियां कितनी सयानी हो जाती हैं और अपनी रक्षा खुद करने लायक हो जाती हैं !
इस प्यारी सी प्रस्तुति की रिहर्सल दिखाई संजय सेठी ने जिसमें छह साल से लेकर सोलह साल तक के बच्चे अपनी प्रतिभा दिखा रहे हैं ! मेरी बेटी रश्मि भी साथ रही ।
##ये रहे कलाकार : संजय सेठी की जिंदल माडर्न स्कूल में सहयोगी अध्यापिका ज्योति चुग भी इसमें बूढ़ी मां की भूमिका के साथ साथ एक प्रकार से सहनिर्देशिका जैसा सहयोग देती दिखाई देती हैं!ईना मीना डीका के रोल में आन्या, पुन्या और मन्नत । साथ में मोनित, युवराज,यशस्वी,विनम्र,आदिल,दर्पण,निकुंज, गादिन,पावनी,संयम, आदया,चेष्टा,ध्रुवी,चिराग,देवांग,दैविक, तनिष्का,ध्रुविका, अमीशी, साहिरा, अक्षिता। आईए इस नए बाल थिएटर का स्वागत् करें।