समाचार विश्लेषण/आ अब लौट चलें ....कांग्रेस
-*कमलेश भारतीय
कांग्रेस के लिए यह होली काफी अच्छी आई । बेशक चुनावों में तो सफलता नहीं मिली और दूसरे दल बिना होली के कुछ दिन पहले होली मना गये जबकि कांग्रेस अपनी गुटबाजी के चलते पांचों राज्यों में निराशाजनक प्रदर्शन ही कर पाई । पंजाब जैसा राज्य खुद खो दिया तो उत्तराखंड में किसी को मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं बनाया । बनाते तो शायद लोग हरीश रावत को जिता भी देते । अब तो वे भी हार गये । गोवा में बड़ी उम्मीद रही लेकिन वहां तृणमूल कांग्रेस और आप ने वोट काट दिये और कांग्रेस देखती रह गयी । मणिपुर में कोई मुकाबला ही न हुआ ।
इस सबका मंथन हुआ और आगे भी होगा क्योंकि अब हिमाचल और गुजरात के चुनाव राह देख रहे हैं ।भाजपा तैयारियों में जुट गयी है और कांग्रेस ने संभलने के संकेत दिये हैं ।
पहले हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से कांग्रेस हाईकमान सोनिया गांधी ने मुलाकात तो एकाध दिन बाद जी 23 समूह का नेतृत्व कर रहे जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने मुलाकात की । इन दोनों के चेहरे बताते हैं कि अच्छी शुरूआत हुई है और निकट भविष्य में एकता का फार्मूला तैयार हो जायेगा । कोई राह निकलेगी जिसमें यह चर्चा बहुत जोरों से छिड़ गयी है कि हरियाणा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष शैलजा के जाने के आसार बन रहे हैं । पहले अशोक तंवर और बाद में शैलजा प्रदेश संगठन ही खड़ा न कर पाईं जिससे बिखराव बढ़ता गया । प्रदेश में विपक्ष के नाते किसी बड़े आंदोलन को भी न शुरू कर पाईं । पूरा कार्यकाल बीतने को आया और संगठन का कहीं अता पता ही नहीं । अब क्या नयी जिम्मेदारी किसे , कहां मिलती है , यह आने वाला समय ही बतायेगा लेकिन बदलाव निश्चित है । हालांकि चर्चा में दीपेंद्र हुड्डा और कुलदीप बिश्नोई भी हैं । पांच राज्यों के प्रदेशाध्यक्षों से भी इस्तीफे मांग लिये हैं और जाहिर है उन राज्यों में भी नये प्रदेशाध्यक्ष बनाये जायेंगे । यह भी बात सामने आ रही है कि उपेक्षित शशि थरूर , मनीष तिवारी और आनंद शर्मा को भी नये सिरे से एडजस्ट किया जा सकता है । शुक्र है , कांग्रेस को सुध आई और एकजुटता की बातें होने लगी हैं ।
नहीं तो यही कहते:
बड़ी देर की हुजूर आते आते ।
काश । यह सोच पांच राज्यों के चुनाव से पहले बन गयी होती तो इतने निराशाजनक परिणाम न होते ।
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।